जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) ने 2013 के बाद जारी अपनी रिपोर्ट में 14 हजार वैज्ञानिक पेपरों से इनपुट लिए है और इसे अपनी सबसे बड़ी रिपोर्ट बताया है। आईपीसीसी के कार्यकारी समूह-1 ने भौतिक विज्ञान के आधार पर किए गए छठे मूल्यांकन में जलवायु में आए बदलावों को बेहद डरावना बताया। इसमें कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग कैसे हमारे आज और भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली है।
पूर्वानुमानों को लेकर अपने बयान में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, ‘ आईपीसीसी कार्यकारी समूह-1 की रिपोर्ट मानवता के लिए खतरे की घंटी है।’ रिपोर्ट जारी होने के समय को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, जब दुनिया के सारे महाद्वीपों को मौसमी घटनाओं ने अपने कब्जे में जकड़ रखा है।
गुटेरेस के मुताबिक, ‘इस घंटी का शोर हमारे कानों को बहुत जोर से सुनाई पड़ रहा है और इससे इनकार करना नामुमकिन है। जीवाश्मों के जलने से उत्सर्जित होने वाली ग्रीनहाउस गैसों और जंगलों के लगातार कटते जाने से दुनिया का दम घुट रहा है और अरबों लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है। तापमान बढ़ने से धरती का हर इलाका प्रभावित हो रहा है। इनमें से कई बदलाव ऐसे हैं, जो अब अपरिवर्तनीय बन रहे हैं।’