जीवाश्म ईंधन के लिए करोड़ों डॉलर फाइनेंस कर रहे हैं दुनिया के कई बड़े बैंक

दुनिया के 60 सबसे बड़े बैंकों ने 2015 से 2020 के बीच जीवाश्म ईंधन से जुड़ी कंपनियों को करीब 275,70,140 करोड़ रुपए का वित्त दिया था
जीवाश्म ईंधन के लिए करोड़ों डॉलर फाइनेंस कर रहे हैं दुनिया के कई बड़े बैंक
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जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को देखते हुए भी दुनिया के कई बड़े बैंक जीवाश्म ईंधन के लिए करोड़ों डॉलर का फाइनेंस कर रहे हैं। यह जानकारी कई स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा मिलकर तैयार की गई रिपोर्ट ‘बैंकिंग ऑन क्लाइमेट चाओस’ में सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के इन 60 सबसे बड़े बैंकों ने 2015 से 2020 के बीच जीवाश्म ईंधन से जुड़ी कंपनियों को करीब 275,70,140 करोड़ रुपए (380,000 करोड़ डॉलर) का वित्त दिया था।

हालांकि 2020 के दौरान दुनिया भर में बिजली की खपत में कमी देखी गई है इसके बावजूद इसके बावजूद हैरान कर देने वाली बात है कि इन जीवाश्म ईंधन के लिए दिया जा रहे वित्त में 2017 और 2018 की तुलना में देखें तो वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार 2016 में जहां 51,44,008 करोड़ रुपए (70,900 करोड़ डॉलर) का वित्त दिया गया था, वो 2017 में 53,68,922 करोड़ रुपए  (74,000 करोड़ डॉलर) और 2020 में बढ़कर 54,48,730 करोड़ रुपए (75,100 करोड़ डॉलर) पर पहुंच गया था।

यह सच है कि अगले कई वर्षों तक ऊर्जा और अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन जैसे तेल, गैस, कोयले की जरुरत बनी रहेगी, लेकिन यह भी सच है कि 2015 में पैरिस समझौते के अनुसार यदि वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से कम करना है तो हमें इसके उपयोग में कटौती करनी होगी। ऐसे में इस रिपोर्ट से जुड़े शोधकर्ताओं का मानना है कि इस तरह का वित्तपोषण, जलवायु परिवर्तन से निपटने की राह को और कठिन बना सकता है। 

2016 से 2020 के बीच सिटी ने किया था 17,26,761 करोड़ रुपए का फाइनेंस 

यदि 2019 से 2020 के आंकड़ों की तुलना करें तो 2020 में जीवाश्म ईंधन के लिए दिए वित्त में 8.86 फीसदी की कमी दर्ज की गई है जो 2019 में  59,78,367 करोड़ रुपए (82,400 करोड़ डॉलर) से घटकर 2020 में 54,48,730 करोड़ रुपए (75,100 करोड़ डॉलर) पर पहुंच गया है। हालांकि यह बैंक पैरिस समझौते में सहयोग की बात करते हैं इसके बावजूद इनके द्वारा 2020 में जीवाश्म ईंधन से जुड़ी 100 सबसे बड़ी कंपनियों को दिए जा रहे वित्त में करीब 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। गौरतलब है कि इन 100 कंपनियों को वित्त देने वालों में सिटी सबसे बड़ा फाइनेंसर था।

यदि 2016 से 2020 के बीच जीवाश्म ईंधन से जुड़ी कंपनियों को सबसे ज्यादा फाइनेंस देने वाले बैंकों की बात करें तो इनमें जेपी मॉर्गन चेस सबसे ऊपर था जिसने इन 5 वर्षों में करीब 22,99,930 करोड़ रुपए (31,700 करोड़ डॉलर) का वित्त दिया था। इसके बाद सिटी का नंबर आता है जिसने 17,26,761 करोड़ रुपए (23,800 करोड़ डॉलर) फाइनेंस किए थे। इसी तरह वेल्स फार्गो ने 1617932 करोड़ रुपए (22,300 करोड़ डॉलर), बैंक ऑफ अमेरिका ने 14,43,805 करोड़ रुपए (19,900 करोड़ डॉलर) और आरबीसी ने 11,60,848 करोड़ रुपए (16,000 करोड़ डॉलर) का फाइनेंस किया था।  

बैंकिंग से जुड़ी नीतियों में 2020 के दौरान जो सबसे महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला था वो यह था कि बैंकों ने अपने कार्बन फुटप्रिंट में कमी करने की बात कही थी। यही नहीं 2050 तक कई बैंकों ने नेट-जीरो एमिशन की बात स्वीकारी थी। इसमें ने केवल उन्होंने जीवाश्म ईंधन से जुड़ी कंपनियों बल्कि साथ ही अन्य तरह के उद्योगों जैसे सीमेंट, स्टील, विनिर्माण, रिटेल, रियल एस्टेट आदि को दी जा रही सहायता में कमी करने की बात कही थी जिससे उत्सर्जन में कटौती की जा सके।

इसके बावजूद इन बैंकों द्वारा इन जीवाश्म ईंधन से जुड़ी कंपनियों को दिया जा रहा वित्त जलवायु परिवर्तन और उत्सर्जन में कटौती करने की राह में एक बड़ी बाधा है। जिस पर ध्यान दिए जाने की जरुरत है। 

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