खतरे से बचने के लिए तीन कृत्रिम द्वीप बना रही है मालदीव सरकार

जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और मालदीव दुनिया के सबसे निचले इलाकों में से एक है
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मालदीव की सरकार बढ़ते समुद्री जलस्तर से निपटने के लिए कम से कम तीन कृत्रिम द्वीपों का विकास कर रही है। नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

गौरतलब है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और मालदीव दुनिया के सबसे निचले इलाकों में से एक है। मालदीव के 1,190 द्वीपों में से लगभग 80 प्रतिशत द्वीप समुद्र तल से एक मीटर की कम की ऊंचाई पर हैं।

मालदीव की राजधानी माली के उत्तर-पूर्व में स्थित हुलहुमाली कृत्रिम द्वीप का एक प्रमुख उदाहरण है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस कृत्रिम द्वीप को समुद्र तल में स्थित रेत को पंप कर बनाया गया है और अब यह मालदीव का चौथा सबसे बड़ा द्वीप है।

वैश्विक तौर पर समुद्र स्तर में हर साल लगभग 3-4 मिलीमीटर की वृद्धि दर्ज की जा रही है और इसमें लगातार तेजी भी आ रही है। इस कारण कई द्वीप जलमग्न हो गए हैं, जबकि कई जलमग्न होने के कगार पर हैं। यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे, 2018 के अनुसार पीने के पानी की कमी और बाढ़ के कारण साल 2050 तक कई निचले द्वीप निर्जन हो जाएंगे।

जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर गठित एक इंटर-गवर्नमेंटल पैनल ने भी चेतावनी दी थी कि यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है, तो भी वर्ष 2100 तक समुद्र का जलस्तर आधा मीटर तक बढ़ जाएगा। वहीं अगर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की मात्रा में बढ़ोतरी जारी रहती है, तो इसमें कम से कम एक मीटर की वृद्धि होगी। समुद्र तल से 2 मीटर ऊपर स्थित हुलहुमाली द्वीप बढ़ते समुद्र स्तर से प्रभावित मालदीव की आबादी के लिए एक आश्रय स्थल बन सकता है।

मालदीव की सरकार ने 1997 में राजधानी की जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए हुलहुमाली का निर्माण करना शुरू किया था। अब यह द्वीप 4 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और लगभग यहां 50,000 लोगों का घर है। भविष्य में इसकी आबादी 2,00,000 तक बढ़ सकती है।

1990 के दशक से मालदीव सरकार ने दो अन्य कृत्रिम द्वीपों- थिलाफुशी और गुल्हिफाल्हुआ का भी विस्तार किया है। इन्हें वर्तमान में औद्योगिक क्षेत्र के रूप में उपयोग किया जा रहा है। नासा की रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्र के जलस्तर में वृद्धि को देखते हुए मालदीव की सरकार ने अन्य देशों में भी ऊंची जमीन खरीदने की योजना पर विचार किया है, वहीं ये कृत्रिम द्वीप भी आशा की एक किरण हैं। मालदीव और कुछ अन्य जगहों पर विकसित ये कृत्रिम द्वीप या तो स्थिर हैं या इनका विकास ही हुआ है।

यहां पर दो-तीन चीजें समझने लायक हैं। तूफान और बाढ़ के कारण जब द्वीपों को नुकसान पहुंचता हैं, तो उससे भारी मात्रा में समुद्र तल में तलछट जमा होती है। इन्हीं तलछटों का उपयोग इन कृत्रिम द्वीपों को ऊंचा करने में किया जा सकता है। दूसरा यह कि ये कृत्रिम प्रवाल भित्तियां अतिरिक्त तलछट पैदा कर खुद-ब-खुद और विकसित हो सकती हैं।

ऑकलैंड विश्वविद्यालय के एक भूवैज्ञानिक मरे फोर्ड ने बताया, “महत्वपूर्ण बात यह है कि ये द्वीप स्थिर नहीं हैं। ये समुद्र विज्ञान और तलछटी प्रक्रियाओं द्वारा लगातार नया आकार लेते हैं।” हालांकि रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि इन कृत्रिम द्वीपों पर अत्यधिक मानवीय गतिविधियों के कारण इनके प्राकृतिक विकास में हस्तक्षेप होता है और बाद में ये भी समुद्र की जलस्तर वृद्धि की वजह बन सकते हैं।

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