अपने विजय भाषण के दौरान, चुने गए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन उनकी शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिकियों को “हमारे ग्रह को बचाने के युद्ध में विज्ञान की ताकतों का इस्तेमाल तेज करना चाहिए।” पद संभालते ही, उन्होंने पेरिस समझौते को फिर से लागू करने की कसम खाई है। पिछले साल जून में, बाइडन ने कहा था कि उनके पास ग्रीन रिकवरी के लिए 1.7 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की योजना है, जो अगले 30 वर्षों में अमेरिकी उत्सर्जन को 75 गीगाटन कम कर देगा। बाइडन ने यह भी कहा है कि वह अमेरिकी जमीन और पानी पर किसी भी नए तेल और गैस खुदाई लीज को बंद कर देंगे। वह बिजली क्षेत्र के लिए उत्सर्जन मानकों को ठीक करने के लिए एजेंसियों को निर्देशित कर सकते हैं, ताकि शून्य उत्सर्जन के अपने लक्ष्य की ओर आगे जा सके। वह कारों और ट्रकों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने के लिए ईंधन अर्थव्यवस्था मानकों को बढ़ा सकते हैं (देखें, बाइडन जलवायु परिवर्तन और जलवायु नीति को बहाल करेंगे,)।
लेकिन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर 180 डिग्री बदलाव करना बाइडन के लिए आसान नहीं होगा। सबसे पहले, इसके लिए डेमोक्रेट को अमेरिकी सीनेट पर नियंत्रण रखना होगा। दूसरा, चार साल राष्ट्रपति पद पर रहते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने 150 से अधिक जलवायु-अनुकूल नियमों में ढील दी, जैसे टेल-पाइप उत्सर्जन, लुप्तप्राय वन्य जीवन और वर्षावन संरक्षण आदि। इससे बाइडन को नुकसान को पूर्ववत करने में काफी समय लगेगा।
तीसरा, गैस निकालने के लिए चट्टानों की ड्रिलिंग (हाइड्रोलिक फ्रैक्चरिंग) भी एक विवादास्पद मुद्दा है। इस प्रक्रिया में पानी और जहरीले रसायनों की भारी मात्रा में खपत होती है, जिससे पीने के पानी के स्रोत प्रदूषित होते हैं। इस चीज को लेकर भी जलवायु कार्यकर्ता विरोध करते आ रहे हैं। लेकिन ओबामा सरकार के दौरान शेल ऑयल में गहरी भागीदारी के लिए बाइडन को जाना जाता है। इसलिए हम फ्रैकिंग पर प्रतिबंध लगाने को लेकर बाइडन से थोड़ी कार्रवाई की उम्मीद कर सकते हैं।
बाइडन ने ग्लोबल वार्मिंग को अधिकतम 2 डिग्री सेल्सियस तक रखने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की दिशा में अन्य देशों के साथ मिलकर काम करने की कसम खाई थी। लेकिन ट्रम्प के बाद की दुनिया में, अमेरिका के लिए अंतरराष्ट्रीय वार्ता में एक जलवायु नेता बनने के आसार कम हो गए है। 2025 तक 2005 के स्तर के बराबर कार्बन उत्सर्जन को 26-28 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य अमेरिका शायद ही हासिल कर पाए।
वास्तव में, अमेरिका क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स पर सबसे निचले रैंक पर है, जिसे 2020 में जर्मनवाच, न्यू क्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क द्वारा प्रकाशित किया गया है। इससे भी बुरी बात यह है कि दुनिया का सबसे बड़ा ऐतिहासिक उत्सर्जक होने के अलावा, अमेरिका अभी भी प्रति व्यक्ति सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक है। असल में, 2019 में शुद्ध अमेरिकी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 2016 से अधिक था।
विश्वसनीयता हासिल करना
बाइडन के लिए, विश्वसनीयता हासिल करना सबसे महत्वपूर्ण चुनौती होगी। बाइडन को न केवल अपने देश को व्यवस्थित करने की जरूरत है, बल्कि बातचीत की मेज पर अमेरिका को वापस लाने पर भी ध्यान देना चाहिए। साथ ही अगले साल ग्लासगो में यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कंवेंशन ऑन क्लाइमेट एक्शन (यूएनएफसीसीसी) कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज-26 के लिए गति प्रदान करना चाहिए। बाइडन के पास कुछ हद तक नेतृत्व करने का अवसर होगा और नेट शून्य लक्ष्य निर्धारित करने में चीन और जापान जैसे अन्य देशों के साथ भी शामिल होने का मौका होगा।
इसके अलावा, अमेरिका को जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन और न्यूनीकरण पर गरीब विकासशील देशों को उचित हिस्सा देने की भी आवश्यकता है। लेकिन बाइडन के मध्यमार्गी नवउदारवादी राजनीतिक झुकाव को देखते हुए, वह बाजार-आधारित दृष्टिकोणों और जलवायु-कार्रवाई में निजी क्षेत्र की भागीदारी का पक्ष लेंगे, न कि आवश्यक सरकारी हस्तक्षेप का।
स्वास्थ्य के मोर्चे पर, बाइडन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से हटने के ट्रम्प के फैसले को पलटने की कसम खाई है। ट्रम्प ने संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी पर चीन के साथ मिलकर कोरोना वायरस के संक्रामकता को कम करने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। विश्व की प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी के साथ अमेरिका के संबंधों को बहाल करने को लेकर वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ बाइडन पर भरोसा कर रहे हैं।
वह अन्य देशों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी को चलाने या वनों की कटाई को कम करने के लिए व्यापार सौदों और अन्य अंतरराष्ट्रीय समझौतों के जरिए दबाव डाल सकते हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में ग्लोबल हेल्थ सिस्टम के प्रोफेसर रिफत अतन कहते हैं, “संबंध पूरी तरह से पुनर्स्थापित होने चाहिए।”
“बाइडन जलवायु विज्ञान और जलवायु नीति को बहाल करेंगे?” |
जॉन पी हॉल्डर्न, राष्ट्रपति बराक ओबामा के विज्ञान और प्रौद्योगिकी सलाहकार थे। जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने के लिए बाइडन क्या करेंगे, इस पर उन्होंने डाउन टू अर्थ से बात की बाइडन के साथ कुछ आशा है। 20 जनवरी, 2021 को जब जो बाइडन को अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई जाएगी, तो उनसे जलवायु परिवर्तन पर मजबूत काम शुरू करने की उम्मीद है। अपने भाषण में, उन्होंने कहा कि वह जलवायु परिवर्तन पर विज्ञान की भूमिका को मानते और उसका अनुसरण करते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के बढ़ते खतरनाक वैज्ञानिक प्रमाणों की पृष्ठभूमि में यह तथ्य विशेष रूप से प्रासंगिक है। तेजी से पिघलता आर्कटिक यह इंगित करता है कि ये उत्सर्जन 20 डिग्री सेल्सियस तक ग्लोबल वार्मिंग वृद्धि को रोकने के अंतरराष्ट्रीय लक्ष्य को असंभव बना सकता है। |