वैश्विक मीथेन संकल्प
मॉनसून सत्र के दोनों सदनों में हंगामे का दौर जारी है। इसी बीच केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे से पूछे गए एक सवाल के जवाब में, जानकारी देते हुए चौबे ने कहा कि, भारत ने 2020 के स्तर से 2030 तक वैश्विक मीथेन उत्सर्जन में 30 प्रतिशत की कमी का लक्ष्य रखने के लिए यूरोपीय संघ और अमेरिका द्वारा प्रस्तावित वैश्विक मीथेन संकल्प पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार, प्रमुख जलवायु परिवर्तन के लिए उत्तरदायी गैस सीओ2 है जिसका जीवन काल 100 से 1000 वर्ष है। यह संकल्प सीओ2 कटौती के बोझ को मीथेन कटौती पर स्थानांतरित कर देती है, जिसका जीवन काल केवल 12 वर्ष है।
शुद्ध शून्य उत्सर्जन
एक अन्य सवाल के उत्तर में चौबे ने कहा कि, भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है जहां विकास और गरीबी उन्मूलन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि होना लाजमी है। यह गौर किया जाना चाहिए कि दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी का घर होने के बावजूद, 1850 से 2019 तक भारत का ऐतिहासिक संचयी उत्सर्जन पूर्व-औद्योगिक युग से दुनिया के संचयी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के चार प्रतिशत से भी कम है।
इसलिए, ग्लोबल वार्मिंग के लिए भारत की जिम्मेदारी अब तक बहुत कम रही है और आज भी इसका वार्षिक प्रति व्यक्ति उत्सर्जन वैश्विक औसत का लगभग एक-तिहाई ही है। भारत ने नवंबर, 2021 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) (सीओपी 26) के 26वें सत्र में 2070 तक कुल शून्य उत्सर्जन हासिल करने के अपने लक्ष्य की घोषणा की है।
भारत में वनों की अवैध कटाई
आज सदन में, पर्यावरण मंत्रालय पर लगातार प्रश्नों की बौछार की गई, जिसके बचाव में, चौबे ने तर्क सहित स्टेट ऑफ फारेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 का हवाला देते हुए कहा कि, देश में कुल वन क्षेत्र 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.71 प्रतिशत है। इसके अलावा, आईइसएफआर 2021 के आकलन के अनुसार देश का कुल वन और वृक्ष आवरण 8,09,537 वर्ग किलोमीटर है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है।
चौबे ने बताया कि, आईइसएफआर 2019 के मूल्यांकन की तुलना में कुल वन क्षेत्र में 1540 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। इसलिए, वनों की कटाई को देश में पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कारक के रूप में जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
तम्बाकू उत्पादों पर कर
भारत में तम्बाकू उत्पादों के उपयोग से कई लोगों की जान चली जाती है, फिर भी भारत में इसका उपयोग जारी है। इसी को लेकर आज सदन में प्रश्न पूछा गया, इसके उत्तर में वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि, भारत सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के तंबाकू नियंत्रण फ्रेमवर्क कन्वेंशन (एफसीटीसी) में एक सदस्य है और तंबाकू नियंत्रण के लिए विभिन्न मांग और आपूर्ति में कमी के उपायों को लागू कर रहा है।
तंबाकू नियंत्रण पर डब्ल्यूएचओ-फ्रेमवर्क कन्वेंशन (एफसीटीसी) के अनुच्छेद छह, तंबाकू की मांग को कम करने के लिए कीमत और कर उपायों से संबंधित है। वैश्विक तंबाकू महामारी, 2023 पर डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, 41 देशों में सिगरेट के सबसे लोकप्रिय ब्रांड की कीमत में 75 फीसदी या उससे अधिक कर की दरों को बढ़ाया गया था।
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई
आज सदन में उठे एक सवाल के जवाब में, जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता ने बताया कि, मंत्रालय 'प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई)' योजना को लागू कर रहा है, जिसके तहत अधिसूचित एसटी वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कम से कम 50 फीसदी आदिवासी आबादी और 500 एसटी वाले 36,428 गांवों को मार्च 2026 तक कवर किया जाएगा।
सरुता ने कहा, इसमें 3764 गांव शामिल हैं। 2021 और 22 से 2025 और 26 के दौरान गुजरात के दाहोद जिले के 502 गांवों को शामिल किया जाएगा। इस योजना का उद्देश्य सरकारी योजनाओं जैसे सड़क, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं, आंगनवाड़ी आदि की उपलब्धता के उचित प्रबंध के माध्यम से विकास के विभिन्न क्षेत्रों में कमी को पाटकर चयनित गांवों में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है।
भारत में कितने गरीब?
वहीं सदन में पूछे गए एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, सरुता ने कहा कि, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय (एचडीआरओ) और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (ओपीएचआई) द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) 2021 में कहा गया है कि “भारत में अनुसूचित जनजाति समूह की हिस्सेदारी 9.4 प्रतिशत है। जनसंख्या का और सबसे गरीबी में आधे से अधिक 12.9 करोड़ लोगों में से 6.5 करोड़ बहुआयामी गरीबी में रहते हैं।
हालांकि, नवीनतम ग्लोबल एमपीआई 2023, जिसमें जाति-वार गरीबी नहीं दी गई है, का निष्कर्ष है कि 2005-2006 से 2019-2021 तक 41.5 करोड़ गरीब लोग गरीबी से बाहर निकले और सबसे गरीब समूह, जिनमें बच्चे और वंचित जाति समूहों के लोग शामिल हैं। भारत ने 2005-2006 से 2019-2021 तक अपना एमपीआई आधा कर दिया है।
शहरी क्षेत्रों में जल निकासी सुविधाएं और सीवेज उपचार संयंत्र
आज सदन में जल निकासी सुविधाएं और सीवेज उपचार संयंत्र को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में, आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि, राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 937 यूएलबी में, 3.54 करोड़ घर (36.56 प्रतिशत) पाइप्ड सीवर नेटवर्क से जुड़े हुए हैं।
शहरों द्वारा अपडेट की गई जानकारी के अनुसार कुल सीवरेज उत्पादन लगभग 45,000 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) है, जिसके मुकाबले सीवरेज उपचार क्षमता लगभग 22,491 एमएलडी है जो उत्पन्न सीवेज का 50 फीसदी पूरा करती है।
राजस्थान में लम्पी स्किन डिजीज से गायों की मौत
सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि, लम्पी स्किन डिजीज के कारण गायों की मृत्यु के संबंध में राज्य से एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में वर्ष 2022 (जून-दिसंबर) के दौरान 76030 गायों की मृत्यु की जानकारी मिली हैं।