
संसद का मानसून सत्र आज, यानी 21 जुलाई 2025 से शुरू हो गया है। सत्र की शुरुआत के साथ ही संसद में विपक्ष ने जमकर नारेबाजी की। इसी बीच सदन में पानी पर जलवायु परिवर्तन के असर को लेकर एक सवाल उठाया गया। जिसका लिखित जवाब देते हुए, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि जल चक्र में बदलाव के कारण जलवायु परिवर्तन जल उपलब्धता पर असर डालता है। वर्षा के पैटर्न में बदलाव, बढ़ते तापमान और हिमनदों के तेजी से पिघलने से जल चक्र बाधित हो रहा है, जिससे सतही और भूजल दोनों संसाधन प्रभावित हो रहे हैं।
भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, राष्ट्रीय जल नीति (2012) के माध्यम से, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी बढ़ती जल विज्ञान संबंधी बदलाव को स्वीकार करता है और इन उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए कई अनुकूलन उपायों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
देश में पीएनजी आपूर्ति नेटवर्क
सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए कहा कि न्यूनतम कार्य कार्यक्रम (एमडब्ल्यूपी) लक्ष्य के अनुसार, अधिकृत संस्थाओं को 2034 तक लगभग 12.6 करोड़ पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पीएनजी) कनेक्शन और 5.46 लाख इंच-किलोमीटर पाइपलाइन उपलब्ध करानी है। 31 मई, 2025 तक अधिकृत संस्थाओं ने 1.52 करोड़ पीएनजी घरेलू (पीएनजी (डी)) कनेक्शन उपलब्ध कराए हैं और 5.98 लाख इंच-किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई गई है।
भूजल में अत्यधिक आर्सेनिक की मात्रा के कारण होने वाली बीमारियां
भूजल प्रदूषण को लेकर सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने राज्यसभा में कहा कि बिहार के भूजल गुणवत्ता संबंधी आंकड़ों से पता चलते है कि राज्य का भूजल अभी भी काफी हद तक पीने योग्य है। हालांकि कुछ अलग-अलग इलाकों में पेयजल उपयोग के लिए निर्धारित सीमा से अधिक आर्सेनिक जैसे भारी धातुओं सहित कुछ प्रदूषकों की स्थानीय उपस्थिति दर्ज की गई है।
साल 2024 के दौरान किए गए विश्लेषण में, दरभंगा में परीक्षण किए गए पांच नमूनों में से केवल एक में ही तय सीमा से अधिक आर्सेनिक पाया गया था। हालांकि यह पता लगाने के लिए कि क्या बिहार के दरभंगा में आर्सेनिक दूषित भूजल के सेवन से लोग प्रभावित हुए हैं, आगे विस्तृत अध्ययन की जरूरत है।
उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का हवाला देते हुए कहा कि जल जीवन मिशन की एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (जेजेएमआईएमआईएस) में बिहार द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार, पाइप जलापूर्ति योजना कवरेज को देखते हुए, आज की तिथि तक, किसी भी ग्रामीण बस्ती में आर्सेनिक प्रभावित भूजल के सेवन का खतरा नहीं है।
पीएम-ई-बससेवा की स्थिति
आज सदन में उठे एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री तोखन साहू ने राज्यसभा में कहा कि भारत सरकार ने 16 अगस्त 2023 को "पीएम-ई-बस सेवा योजना" शुरू की थी, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर 10,000 इलेक्ट्रिक बसें चलाकर बस संचालन को बढ़ावा देना है।
इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती संबद्ध अवसंरचना (मीटर के पीछे बिजली और सिविल डिपो अवसंरचना) से संबंधित कार्य पूरा होने पर निर्भर है। अब तक कुल 7,293 बसों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 6518 बसों के लिए निविदाएं जारी की जा चुकी हैं।
पश्चिम बंगाल में स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की प्रगति
संसद में आज सवालों का सिलसिला जारी रहा, इसी बीच एक और प्रश्न के उत्तर में, आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू ने राज्यसभा में कहा कि पश्चिम बंगाल राज्य को स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के अंतर्गत 1449.30 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। आवंटित धनराशि में से 1438.24 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्सेदारी वाली कार्य योजनाओं को मंजूरी दी गई है और 217.65 करोड़ रुपये पश्चिम बंगाल राज्य को पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
इसके अलावा स्वच्छ भारत मिशन - शहरी 2.0 के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन घटक के अंतर्गत, 1.18 लाख टन पुराने अपशिष्ट के उपचार, 4871 टन प्रतिदिन (टीपीडी) क्षमता वाले कचरे से खाद बनाने वाले संयंत्र, 460 टीपीडी क्षमता वाले जैव-मीथेनेशन संयंत्र, 4272 टीपीडी क्षमता वाली सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधाएं (एमआरएफ), 2216 टीपीडी क्षमता वाले सेनेटरी लैंडफिल (एसएलएफ), 355 टीपीडी क्षमता वाले निर्माण एवं विध्वंस (सीएंडडी) अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों के साथ-साथ तीन मैकेनिकल रोड स्वीपर के लिए कुल 577.88 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्सेदारी वाली कार्य योजनाओं को मंजूरी दी गई है।
मंत्री ने बताया कि पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा एसबीएम-यू के अंतर्गत प्रस्तुत सभी परियोजनाओं का विवरण एसबीएम-यू, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के पोर्टल पर उपलब्ध है।
राजस्थान के अरावली क्षेत्र में अवैध खनन
राजस्थान के अरावली इलाके में अवैध खनन को लेकर संसद में एक सवाल पूछा गया, जिसका लिखित उत्तर देते हुए, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में राजस्थान सरकार के खान एवं भूविज्ञान निदेशालय द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी का हवाला दिया। जिसमें कहा गया है कि अरावली क्षेत्र में अवैध खनन पर अंकुश लगाने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए कई कड़े कदम उठाए गए हैं। राज्य सरकार ने खनिजों के अवैध खनन, परिवहन और भंडारण को रोकने के लिए एक बहुआयामी रणनीति लागू की है।
प्रमुख उपायों में खनिज कार्यालयों में बॉर्डर होमगार्ड तैनात करना, खनिज परिवहन वाहनों के लिए जीपीएस और आरएफआईडी टैग अनिवार्य करना और नियामक निगरानी को मजबूत करने के लिए राजस्थान लघु खनिज रियायत नियम, 2017 में संशोधन करना शामिल है।
सतत खनन और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जिला स्तरीय निगरानी समितियों का गठन किया गया है। रेत व बजरी की मांग को पूरा करने के लिए, राज्य सरकार ने एम-रेत नीति 2024 तैयार की है। साथ ही तौल केंद्रों का स्वचालन प्रक्रियाधीन है।
गंगा नदी में डॉल्फिन
संसद में पूछे गए एक और प्रश्न के उत्तर में, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में बताया कि डॉल्फिन परियोजना के अंतर्गत, गंगा और ब्रह्मपुत्र में गंगा नदी डॉल्फिन की संपूर्ण श्रृंखला और व्यास नदी प्रणालियों में सिंधु नदी डॉल्फिन की संपूर्ण श्रृंखला में नदी डॉल्फिन का पहला व्यापक आबादी को लेकर सर्वेक्षण किया गया।
उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में 6,324 (श्रेणी: 5,977-6,688) गंगा नदी डॉल्फिन की अनुमानित आबादी का अनुमान लगाया गया। नदियों में रहने वाले डॉल्फिन पर किए गए अध्ययनों के अनुसार, ब्रह्मपुत्र नदी में गंगा नदी डॉल्फिन की आबादी स्थिर बताई गई है, लेकिन बराक नदी में इसकी उपस्थिति की कोई हालिया रिपोर्ट नहीं है।