अंतराष्ट्रीय जर्नल एनल्स ऑफ टूरिज्म रिसर्च में छपे इस नए अध्ययन के अनुसार जलवायु परिवर्तन के चलते वैश्विक स्तर पर पर्यटन और उससे जुडी अर्थव्यवस्था को दूरगामी और घातक परिणाम झेलने पड़ेंगे। शोधकर्ताओं ने उन क्षेत्रों में की पहचान की है जहां टूरिज्म और उसके विकास की सबसे अधिक संभावनाएं हैं और वह पर्यटन के विकास पर अच्छी खासी धन राशि भी निवेश कर रहे हैं, पर साथ ही जलवायु में आ रहे परिवर्तनों के चलते इन क्षेत्रों पर गंभीर और गहरे प्रभाव पड़ने की सम्भावना भी प्रबल है।
वाटरलू विश्वविद्यालय में पर्यावरण विभाग में प्रोफेसर और इंटरडिसिप्लिनरी सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंज के कार्यकारी निदेशक डैनियल स्कॉट ने बताया कि "हमारा यह नवीनतम शोध ग्लोबल टूरिज्म इंडस्ट्री पर जलवायु परिवर्तन के पड़ रहे नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डालता है। साथ ही यह इस बात की गंभीरता को भी दर्शाता है कि यह समस्या उन देशों के लिए कितनी विकट है, जो अपने जीवन-यापन और आर्थिक विकास के लिए सीधे तौर पर पर्यटन पर ही निर्भर हैं। जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा खतरा उन विकाशील देशों को है जो चारों ओर से समुन्द्र से घिरे हैं। जहां जीवन का आधार पर्यटन है। यहां पर्यटन केवल रोजगार उपलब्ध नहीं करता बल्कि वह अर्थव्यवस्था की धुरी भी है।"
प्रोफेसर स्कॉट ने लिनियस यूनिवर्सिटी, स्वीडन के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर टूरिज्म सेक्टर के लिए क्लाइमेट चेंज वल्नेरेबिलिटी इंडेक्स भी विकसित किया है, जो कि दुनिया के 181 देशों में पर्यटन पर पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के खतरे को बतलाता है।
इस इंडेक्स के अनुसार अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, दक्षिण एशिया और कैरिबियन के साथ हिन्द एवं प्रशांत महासागरों के छोटे एवं विकासशील द्वीपीय देशों (एसआईडीएस) के पर्यटन व्यवसाय पर जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है। वहीं दूसरी ओर मध्य एशिया, पश्चिम और उत्तरी यूरोप, कनाडा और न्यूजीलैंड के पर्यटन व्यवसाय पर जलवायु परिवर्तन का खतरा तुलनात्मक रूप से कम है । स्कॉट ने बताया कि "हम जलवायु में आ रहे परिवर्तनों और पर्यटन पर इसके बढ़ते खतरे को गंभीरता से नहीं ले रहे न ही राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन रणनीतियों और पर्यटन विकास की योजनाओं के अंतर्गत इसपर विचार कर रहे हैं । पर यदि पर्यटन को भविष्य की नई जलवायु आधारित अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनना है, तो हमें अपनी इस विचारधारा को तुरंत बदलने की जरूरत है।" वैश्विक समुदाय के प्रयासों के बिना जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को रोक पाना नामुमकिन है। इसके बिना हम भविष्य में पर्यटन क्षेत्र का समुचित विकास नहीं कर सकेंगे और साथ ही कई देशों में सतत विकास के लक्ष्यों को नहीं हासिल कर सकेंगे।"
दुनिया में कितनी बड़ी है टूरिज्म इंडस्ट्री
वर्ल्ड ट्रेवल एंड टूरिज्म कौंसिल द्वारी 2019 में जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में टूरिज़्म इंडस्ट्री 31.9 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करती है, जो कि दुनिया भर कि 10 फीसदी आबादी को रोजगार देने के बराबर है । साथ ही यह वैश्विक अर्थव्यवस्था में 8,80,000 करोड़ रूपये का योगदान देती है, जो कि विश्व के सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) के 10.4 फीसदी हिस्से के बराबर है। यदि जल्द ही वैश्विक स्तर पर हो रहे उत्सर्जन पर लगाम नहीं लगायी गयी और क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए व्यापक स्तर पर कदम नहीं उठाये गए तो हम दुनिया भर में प्राकृतिक सुंदरता के चमकते चेहरों को जल्द ही खो देंगे । साथ ही लाखों करोड़ रुपये के इस व्यवसाय से भी हाथ धो बैठेंगे, जो कि दुनिया के कई देशों और वहां बसने वाले करोड़ों लोगों के जीवन का आधार है