समुद्र में लूट और डकैती की घटनाओं को कैसे बढ़ा रहा है जलवायु परिवर्तन

एक नए अध्ययन से पता चला है कि कैसे जलवायु में आते बदलावों और बढ़ते तापमान के साथ समुद्र में लूट और डकैती की घटनाएं बढ़ रही हैं
जलवायु परिवर्तन और समुद्र में बढ़ता अपराध; फोटो: आईस्टॉक
जलवायु परिवर्तन और समुद्र में बढ़ता अपराध; फोटो: आईस्टॉक
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जलवायु परिवर्तन के रोज नित नए कारनामे सामने आते रहे हैं। ऐसा ही एक कारनामा हाल ही में सामने आया है, पता चला है कि जलवायु में आते बदलावों के चलते समुद्र में लूट और डकैती की घटनाएं बढ़ रही हैं। यह जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड द्वारा किए नए अध्ययन में सामने आई है, जिसके नतीजे अमेरिकी मौसम विज्ञान सोसायटी के जर्नल वेदर, क्लाइमेट, एंड सोसाइटी में प्रकाशित हुए हैं।

यह पहले ही स्पष्ट हो चुका है कि जलवायु में आता बदलाव मौसम की चरम घटनाओं को प्रेरित कर रहा है जो खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, और समाज को प्रभावित कर रहा है। बढ़ते तापमान के चलते जहां भोजन की कमी हो रही है, वहीं साथ ही असंख्य प्रजातियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। लेकिन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की यह लिस्ट यहीं खत्म नहीं होती इसमें एक नाम समुद्री लुटेरों का भी जुड़ गया है जिन्हें जलवायु परिवर्तन प्रेरित कर रहा है।

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दर्शाया है कि कैसे तापमान में होती वृद्धि समुद्री अपराधों पर जटिल प्रभाव डाल रही है। हालांकि यह समुद्री लुटेरे समुद्री तलवार और सेक्स्टेंट लिए जैक स्पैरो से काफी अलग हैं। ये एके -47 जैसे अत्याधुनिक हथियारों और जीपीएस उपकरणों से लैस हैं। 

इस बारे में अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता प्रोफेसर गैरी लाफ्री का कहना है कि, "जब हम समुद्री लुटेरों के बारे में सोचते हैं तो एक नकली पैर और तोते वाला लुटेरा सामने आता है लेकिन आधुनिक चोरी काफी बदल चुकी है। मौजूदा समय में समुद्री डकैती अवैध रूप से जहाज पर कब्जा करने के प्रयास से जुड़ी घटना है जिसे समद्र या बंदरगाह में सम्पति की चोरी करने या किसी अन्य वित्तीय लाभ के लिए बंधक बनाने के उद्देश्य से किया जाता है।“

क्या है जलवायु परिवर्तन और अपराध के बीच की कड़ी

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने समुद्र के तापमान और दक्षिण चीन सागर और पूर्वी अफ्रीका के समुद्री क्षेत्र में पिछले 15 वर्षों के दौरान हुई समुद्री डकैती की घटनाओं का विश्लेषण किया है। यह दोनों ही क्षेत्र ऐसे हैं जहां बड़े पैमाने पर समुद्री डकैतियों की घटनाएं सामने आई हैं। हालांकि इन दोनों क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव एकदम उलट है। जहां समुद्र में बढ़ता तापमान पूर्वी अफ्रीका में मछली उत्पादन में गिरावट के साथ जुड़ा है। वहीं दूसरी तरफ यह दक्षिण चीन सागर में मछलियों के वृद्धि की वजह है।

पता चला है कि बढ़ते तापमान के कारण मछलियों के उत्पादन में गिरावट आई है, जिसके कारण पूर्वी अफ्रीका में समुद्री डकैती की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इसके कारण आर्थिक अवसरों को नुकसान पहुंचा है।

वहीं इसके विपरीत दक्षिण चीन सागर में जहां वाणिज्यिक रूप से पकड़ी जाने वाली मछलियों की कुछ प्रजातियां गर्म पानी में कहीं बेहतर फल-फूल रहीं हैं। वहां मछली उत्पादन में वृद्धि से मछली पकड़ने से जुड़े परिवारों की आय में वृद्धि हुई है इससे अपराधों की ओर प्रोत्साहन में गिरावट हुई है।

पहले किए गए शोध भी इस ओर इशारा करते हैं कि आर्थिक असुरक्षा किसी व्यक्ति को अपराध की राह पर जाने की सोच को प्रभावित कर सकती है। वहीं मछली पकड़ने जैसे व्यवसायों को देखें जो सीधे तौर पर पर्यावरण से जुड़े हैं उनपर जलवायु परिवर्तन के व्यापक असर पड़ने की आशंका है।

शोधकर्ता बो जियांग का कहना है कि, "परिणामों से पता चलता है कि जैसे-जैसे जलवायु में बदलाव जारी है, हिंसा और आपराधिक व्यवहार पर इसका जटिल प्रभाव होगा। उनके अनुसार इससे यह भी सामने आता है कि कौन अपराधी है या हो सकता है। उनके मुताबिक जब आर्थिक स्थिति खराब होती है तो यह मछुआरे अपराध का सहारा लेने लगते हैं। वहीं जैसे ही स्थिति सुधरती है वो इससे बाहर निकल जाते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार यह परिणाम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के पड़ने वाले एक और गंभीर प्रभाव को प्रदर्शित करते हैं।

प्रोफेसर गैरी लाफ्री ने जानकारी दी है कि वैश्विक व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इन्हीं क्षेत्रों से आता है। जो कई अरबों डॉलर का है। ऐसे में अगर इसे ऐसे ही नजरअंदाज कर दिया जाए तो इन क्षेत्रों में समुद्री डकैती का एक बड़ा आर्थिक प्रभाव हो सकता है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।

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