ग्रीनलैंड की बर्फ पिघल रही है, 10 करोड़ लोगो पर मंडरा रहा है बाढ़ का संकट

1992 के बाद से ग्रीनलैंड में 3,80,000 करोड़ टन बर्फ पिघल चुकी है। जबकि इसके पिघलने की दर पिछले तीन दशकों में सात गुना बढ़ गयी है
Photo :  डाउन टू अर्थ
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वैश्विक रुप से पिछले कुछ दशकों में समुद्री जल स्तर में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है। इसमें ग्रीनलैंड की बर्फ चादरों (आइस शीट) की बड़ी हिस्सेदारी रही है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि क्लाइमेट चेंज की वजह से  आइस शीट तेजी से पिघल रही है। यदि 90 के दशक की तुलना में देखें तो आज ग्रीनलैंड की बर्फ कहीं तेजी से पिघल रही है और इसके भविष्य में भी इसी तरह जारी रहने का अंदेशा है। इसको भांपकर वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस सदी के अंत तक तटीय इलाकों में रहने वाले 10 करोड़ लोगों पर बाढ़ का जोखिम मंडराने लगेगा।

यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स द्वारा किया गया यह आंकलन आईपीसीसी के आरसीपी 8.5 परिदृश्य पर आधारित है। जोकि अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर में प्रकाशित हुआ है। 50 अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के 89 वैज्ञानिकों ने ग्रीनलैंड में हो रहे बर्फ के इस नुकसान की सबसे व्यापक तस्वीर तैयार की है। जिसके लिए उन्होंने 26 अलग-अलग सर्वेक्षणों और 11 उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों को आधार बनाया है। जिसमें उन्होंने 1992 से 2018 के बीच ग्रीनलैंड आइस शीट की बदलती मात्रा, प्रवाह और गुरुत्वाकर्षण का अध्ययन किया है। यह शोध लीड्स विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एंड्रयू शेफर्ड और डॉ एरिक इविंस के नेतृत्व में किया गया है। जिसे नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) का सहयोग प्राप्त है।

 किस तेजी से पिघल रही है आइस शीट

निष्कर्ष बताते हैं कि 1992 के बाद से ग्रीनलैंड में 3,80,000 करोड़ टन बर्फ पिघल चुकी है। जोकि वैश्विक स्तर पर समुद्र के जल स्तर में 10.6 मिलीमीटर की वृद्धि करने के लिए काफी है। आंकड़ें दिखाते हैं कि 90 के दशक में जहां बर्फ 3,300 करोड़ टन प्रति वर्ष की दर से पिघल रही थी, वो पिछले एक दशक में बढ़कर 25,400 करोड़ टन प्रति वर्ष हो गई है। जिसका अर्थ हुआ कि पिछले तीन दशकों में इसके पिघलने की दर में सात गुना वृद्धि हो चुकी है। जिसके लिए वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि जिम्मेदार है| 2011 में यह नुकसान सबसे ज्यादा हुआ था, जब बर्फ के पिघलने की दर करीब 33500 करोड़ टन प्रति वर्ष हो गयी थी । वैज्ञानकों का अनुमान है कि 2019 में यह दर एक नयी ऊंचाई को छू सकती है। जिसके लिए भीषण गर्मी को जिम्मेदार माना जा रहा है।

कितना बड़ा है यह खतरा

इस शोध के प्रमुख लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स में प्रोफेसर एंड्रयू शेफर्ड ने बताया कि सैद्धांतिक रूप से धरती पर समुद्र तल में होने वाली हर सेंटीमीटर की वृद्धि से और 60 लाख लोगों पर तटीय बढ़ का खतरा बढ़ जायेगा । वर्तमान रुझानों को देखते हुए लगता है, ग्रीनलैंड आइस शीट के पिघलने से इस सदी के अंत तक, हर साल करीब 10 करोड़ लोगों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगेगा। जबकि समुद्र तल में होने वाली वृद्धि के यदि सभी कारकों को जोड़ दें तो यह खतरा बढ़कर, 40 करोड़ लोगों को अपनी जद में ले लेगा। उनका मानना है कि यह कोई अप्रत्याशित घटना नहीं है, जिसका प्रभाव काफी कम है। इसके कारण तट पर रहने वाले लोगों को विनाशकारी परिणाम झेलने होंगे।

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