21वीं सदी में ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप, ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर आने वाली शताब्दियों में समुद्र के स्तर को कई मीटर तक बढ़ा सकती है। हालांकि प्रभावी जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने के उपायों से नुकसान को काफी कम किया जा सकता है।
बढ़ते तापमान के कई प्रभावों में से एक समुद्र के स्तर में वृद्धि होना है, जिसमें पृथ्वी की बर्फ की चादरें और ग्लेशियरों का पिघलना और पीछे हटना एक प्रमुख कारण है। जैसे-जैसे समुद्र का स्तर बढ़ता है, घनी आबादी वाले तटीय इलाके बड़ी मात्रा में डूब सकते हैं। इसलिए बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों के कारण समुद्र के स्तर में बदलाव पर भविष्य के जलवायु परिवर्तन के विभिन्न प्रभावों को समझना महत्वपूर्ण है।
होक्काइडो विश्वविद्यालय के कम तापमान विज्ञान संस्थान में प्रोफेसर राल्फ ग्रीव और डॉ क्रिस्टोफर चेम्बर्स ने 21वीं सदी के बढ़ते तापमान के लंबे समय तक पड़ने वाले प्रभावों की जांच के लिए वर्ष 3000 तक ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के विकास का सिमुलेशन किया।
युग्मित मॉडल इंटरकंपेरिसन प्रोजेक्ट चरण 6 (आईएसएमआईपी6) के लिए आइस शीट मॉडल इंटरकंपेरिसन प्रोजेक्ट एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रयास था। इसने अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड की बर्फ की चादरों पर बढ़ते तापमान के प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए नए मॉडल का उपयोग किया। इसका उद्देश्य आईपीसीसी की हाल ही में प्रकाशित छठी मूल्यांकन रिपोर्ट के लिए भी आंकड़े प्रदान करना था। आईएसएमआईपी6 में उनके योगदान के आधार पर, शोध दल ने बढ़ते तापमान की स्थितियों के तहत 21वीं सदी के बाद ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के लिए लंबे समय के परिप्रेक्ष्य की जांच की।
ग्रीव और चेम्बर्स ने आइस शीट मॉडल सिकोपोलिस का उपयोग बढ़ते तापमान के 12 आईएसएमआईपी6 प्रयोगों में से प्रत्येक के लिए भविष्य के अनुमानों को पूरा करने के लिए किया और कम उत्सर्जन के लिए दो प्रयोग किए गए। समय अवधि को 3000 साल तक बढ़ाते हुए। शरुआती वर्ष 2100 आईएसएमआईपी6 प्रयोगों के समान ही थे। 2100 के बाद जलवायु 21वीं सदी के अंत की तरह ही रहेगी, ऐसा माना गया था।
बढ़ते तापमान के इसी तरह जारी रहने और कम उत्सर्जन मार्गों की प्रतिक्रियाओं के बीच एक स्पष्ट अंतर उत्पन्न होता है। वर्ष 3000 तक लगातार बढ़ते तापमान के चलते समुद्र का जल स्तर 0.71 से 3.54 मीटर के बराबर हो सकता है। ऐसा बर्फ के नुकसान के कारण हो सकता है, जबकि कम उत्सर्जन मार्ग के लिए नुकसान केवल 0.16 से 0.4 मीटर एसएलई है। ये संख्या 21वीं सदी की तुलना में काफी बड़ी है। ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के पिघलने और पीछे हटने से नुकसान सुदूर उत्तर से दक्षिण तक सभी क्षेत्रों में होता है। यह समय के साथ धीरे-धीरे विकसित होता है। भले ही नुकसान पूरे बर्फ की मात्रा का 50 फीसदी जितना बड़ा हो सकता है, यह अचानक अस्थिरता के रूप में विकसित नहीं होता है।
यह अध्ययन स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है कि 21वीं सदी के जलवायु परिवर्तन का ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर पर प्रभाव 21वीं सदी से भी आगे तक फैला हुआ है और सबसे गंभीर परिणाम हो सकते हैं। हो सकता है समुद्र के स्तर में भारी वृद्धि हो जाए।
इस अध्ययन के लिए, केवल एक ही आइस-शीट मॉडल (सिकोपोलिस) का उपयोग किया गया था। इसके परिणाम 21वीं सदी के अंत की निरंतर जलवायु की सरलीकृत धारणा के तहत हासिल किए गए थे। भविष्य में, आईएसएमआईपी6 समुदाय 2100 से अधिक यथार्थवादी भविष्य के जलवायु परिदृश्यों के साथ सिमुलेशन का संचालन करेगा। जिसमें चल रहे, बढ़ते तापमान से लेकर 21वीं सदी के चरम सीमा तक की पूरी श्रृंखला शामिल होगी। अन्य कार्य समूह विभिन्न बर्फ की चादर के मॉडल के साथ प्राप्त परिणामों में अहम भूमिका निभाएगें। यह पृथ्वी की बर्फ की चादरों के अपेक्षित लंबे समय के लिए बड़े पैमाने पर नुकसान की पूरी तस्वीर प्रदान करेगा।