पांच क्षेत्रों में खतरनाक तरीके से बढ़ रही है ग्रीनहाउस गैस, अध्ययन से हुआ खुलासा

वैज्ञानिकों ने दुनिया भर के 10 क्षेत्रों में ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के बारे में पता लगाया, साथ ही तुलना की कि प्रत्येक में कौन से क्षेत्र सबसे बड़े उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं और सबसे ज्यादा वृद्धि कहां दिखाई दी।
Photo : Wikimedia Commons
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एक नए अध्ययन से स्पष्ट है कि यदि हमें 2050 तक कुल कार्बन उत्सर्जन को शून्य पर लाना है, तो दुनिया भर में सरकारों, उद्योगों और लोगों को कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।

यह अध्ययन सिडनी की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी (यूएनएसडब्ल्यू) और उनके सहयोगियों द्वारा किया गया है। इस शोध से पता चला है कि 2000 के बाद से 20 से अधिक देशों ने अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के बावजूद भी ग्रीन हाउस गैसों का उत्पादन बढ़ा है।  

कोविड-19 महामारी कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए कुछ समय तक एक अस्थाई समाधान बनकर सामने आई। महामारी को वास्तव में समाधान के रूप में देखा भी नहीं जाना चाहिए। विशेषज्ञों ने बताया कि कोविड-19 के दौरान लगे लॉकडाउन खुलने के बाद पहले की तरह आर्थिक विकास के आगे बढ़ने से ग्रीनहाउस गैस उत्पादन के फिर बढ़ने का अनुमान लगाया है।

शोधकर्ता बताते हैं कि सड़क परिवहन, मांस की खपत, भवन आदि की दिशा में दुनिया भर में विकसित एवं समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं की पहचान ग्रीनहाउस गैस बढ़ाने वालों में की जाती है। जबकि उद्योग, कृषि और ऊर्जा प्रणाली कुल कार्बन उत्सर्जन के मामले में एक बड़े हिस्से के लिए जिम्मेदार है।  

यूएनएसडब्ल्यू के स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर टॉमी विडमैन ने छह महाद्वीपों के 29 शोधकर्ताओं की एक टीम की अगुवाई की, जिन्होंने 2018 तक के दशक के लिए नवीनतम, विश्व स्तर पर उपलब्ध उत्सर्जन के आंकड़ों की जांच की।

टीम ने दुनिया भर के 10 क्षेत्रों में उत्सर्जन के बारे में पता लगाया, साथ ही तुलना की कि प्रत्येक में कौन से क्षेत्र सबसे बड़े उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं और सबसे ज्यादा वृद्धि कहां दिखाई दी।

प्रो. विडमैन कहते हैं कि हमने लगभग हर जगह की जांच की और हर क्षेत्र में, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि हुई। कोविड-19 की शुरुआती दौर में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बहुत अधिक था। उत्सर्जन में वृद्धि के बावजूद 20 से अधिक देश ऐसे हैं जिन्होंने अपने उत्सर्जन में कमी की है। जब आप कुल उत्सर्जन के बारे में ऊपरी तौर से देखते हैं तो आप पाएंगे कि उनमें कटौती करने पर भी मुश्किल से कोई फर्क पड़ता है। 

प्रो. विडमैन का कहना है कि उन्हें पता था कि उत्सर्जन अभी भी बढ़ रहा है, लेकिन उन्हें आश्चर्य इस बात से हुआ कि अक्षय ऊर्जा की ओर बढ़ने के बावजूद भी उत्सर्जन में कोई बड़ी रोक नहीं लगी।

उन्होंने बताया कि परिणाम काफी चिंताजनक हैं, हम अभी भी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के इस बढ़ते वक्र को रोकने में सक्षम नहीं हैं। हालांकि हमने 2010 तक के दशक की तुलना में उत्सर्जन की वृद्धि को थोड़ा धीमा जरूर कर दिया है। लेकिन अगर हम 2050 तक पेरिस समझौते के लक्ष्य को पूरा करना चाहते हैं, तो हमें उत्सर्जन को वास्तव में जल्दी-जल्दी से कम करना होगा।

पांच क्षेत्र जहां उत्सर्जन को रोकने की आवश्यकता है

अध्ययन में ऊर्जा, उद्योग, भवन, परिवहन और भूमि उपयोग के पांच प्रमुख समूहों में क्षेत्रों को विभाजित किया। शोधकर्ताओं ने इन क्षेत्रों और उनके अंदर के घटकों जैसे बिजली उत्पादन, सड़क परिवहन, या पशुओं के द्वारा उत्सर्जन के साथ-साथ आर्थिक विकास, जनसंख्या वृद्धि, ऊर्जा दक्षता और  विभिन्न मानव गतिविधियों की कार्बन बढ़ाने वाली चीजों पर गौर किया। उन्होंने गणना की कि प्रत्येक कारक का प्रत्येक क्षेत्र में और पूरी दुनिया में किस हद तक प्रभाव पड़ा है। 

प्रमुख अध्ययनकर्ता और बर्लिन के मर्केटर रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑन ग्लोबल कॉमन्स एंड क्लाइमेट चेंज के शोधकर्ता डॉ विलियम लैम्ब का कहना है कि 2010 से 2018 तक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। डॉ लैम्ब ने बताया कि केवल कुछ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई, जैसे कि यूरोप में ऊर्जा क्षेत्र में।

इसके विपरीत, एशिया में जलवायु को नुकसान पहुंचाने वाले कोयले से बिजली उत्पादन में वृद्धि हुई है। परिवहन और निर्माण क्षेत्रों में उत्सर्जन दुनिया के लगभग सभी क्षेत्रों में बढ़ा है। यह आंशिक रूप से था क्योंकि अमीर देशों में लोग अधिक से अधिक यात्रा कर रहे हैं और अधिक से अधिक रहने की जगह ले रहे हैं।  

अध्ययन में यह भी पाया गया कि पिछले दो दशकों में वैश्विक माल ढुलाई गतिविधि में 68 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि कुल मिलाकर यह सबसे बड़ा उत्सर्जक औद्योगिक क्षेत्र था, जो 2018 में दुनिया भर में सीओ2 के 20.1 गीगाटन के बराबर था, जो कुल उत्सर्जन का 35 प्रतिशत था और 2010 की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक था।

प्रो. विडमैन कहते हैं कि नए भवनों में अधिक से अधिक फ्लोर स्पेस क्षेत्र के चलन ने उत्सर्जन को बढ़ाने के रूप में भी उजागर किया गया था। फ्लोर स्पेस में प्रति व्यक्ति 55 वर्ग मीटर के साथ, ऑस्ट्रेलिया इस प्रवृत्ति को आगे बढ़ाने वाले शीर्ष तीन देशों में शामिल है। यह अध्ययन एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ है।

ऑस्ट्रेलिया में बड़े घरों के चलन को देखते हुए, हम देख रहे हैं कि लोग अपना अधिकतर समय घर के अंदर बिताते हैं  जिससे ऊर्जा की मांग बढ़ जाती है। क्योंकि एक बड़े घर को अधिक ठंडा या गर्म करने की आवश्यकता होती है। आपको उस घर के लिए फर्नीचर, साज-सज्जा, उपकरणों से भरना, इसलिए सामग्री की खपत भी सामान्य स्तर भी बढ़ रही है और यह सब अधिक उत्सर्जन को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।

जिन पांच क्षेत्रों पर हमने गौर किया, उनमें से वैश्विक स्तर पर कुल उत्सर्जन में 6 प्रतिशत का हिस्सा इमारतों का था। लेकिन अगर आप इमारतों में हीटिंग, कूलिंग, लाइटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली बिजली को सम्मिलित करें और इसे इमारतों को आवंटित करें, तो यह हिस्सा 17 प्रतिशत तक चला जाता है।

प्रो. विडमैन का कहना है कि उत्सर्जन के लिए अक्सर अनदेखा किया जाने वाला क्षेत्र भूमि क्षेत्र था, जो एक चौथाई जलवायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हो सकता है। 1990 से 2018 तक, लोगों ने प्राथमिक वन क्षेत्रों को 70 लाख वर्ग किलोमीटर से अधिक कम कर दिया है, यह लगभग ऑस्ट्रेलिया के आकार के बराबर है।

यह अक्सर लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में चरागाह और फसल भूमि के लिए होता है जो अब यूरोप, उत्तरी अमेरिका या चीन के लिए भोजन का उत्पादन करता है।  

2050 तक उत्सर्जन के मद्देनजर हम अपने आपको कहां पाते हैं तथा उत्सर्जन पर किस तरह लगाम लगेगी

प्रो. विडमैन कहते हैं कि कुल शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 30 साल से भी कम समय में, विकसित दुनिया को अपनी खपत को सीमित करने की आवश्यकता है।

2050 तक उत्सर्जन को कम करने के लिए वे तीन सबसे शक्तिशाली बदलाव किए जा सकते हैं:

सरकार के स्तर पर

जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए कानून बनाना

नवीकरणीय ऊर्जा का समर्थन

अधिक खपत पर कार्बन टैक्स

अर्थव्यवस्था गठबंधन सिद्धांतों को अपनाना

उत्पादकों के स्तर पर

उत्सर्जन के विज्ञान-आधारित लक्ष्य में कमी का पालन करें

औद्योगिक पारिस्थितिकी/परिपत्र अर्थव्यवस्था सिद्धांतों को अपनाएं

अधिकतम ऊर्जा और सामग्री दक्षता प्राप्त करें

व्यक्तिगत स्तर पर

आवश्यकता न हो तो कार न खरीदे, सार्वजनिक परिवहन या कार/राइड शेयरिंग का उपयोग करें

मांस कम खाएं, 80 प्रतिशत  से अधिक शाकाहार अपनाएं

100 प्रतिशत नवीकरणीय बिजली का उपयोग करें या अपने घर पर सौर ऊर्जा लगाएं

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