तापमान के 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ने से एक अरब लोगों को झेलना होगा गर्मी का कहर

यदि दुनिया का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो दुनिया भर में गर्मी के कहर से प्रभावित लोगों की संख्या लगभग 15 गुना बढ़ सकती है।
तापमान के 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ने से एक अरब लोगों को झेलना होगा गर्मी का कहर
Published on

यदि दुनिया का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो दुनिया भर में गर्मी के कहर से प्रभावित लोगों की संख्या लगभग 15 गुना बढ़ सकती है।

नए तापमान से संबंधित आंकड़ों के अनुसार अत्यधिक गर्मी के तनाव से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की संख्या आज 6.8 करोड़ से बढ़कर लगभग एक अरब हो गई है। तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से दुनिया की लगभग आधी आबादी के गर्मी से प्रभावित होने के आसार हैं।   

32 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान के आकलन के लिए उपयोग किया जाने वाला संकेतक जिसे वेट बल्ब ग्लोब टेम्परेचर (डब्लूबीजीटी) कहा जाता है। यह वातावरण में गर्मी के तनाव को मापने का एक अंतरराष्ट्रीय मानक है। इन स्तरों से ऊपर, गर्मी से होने वाली थकावट से बचने के लिए हर घंटे आराम के लिए समय बढ़ाने की सिफारिश की जाती है।  

मौसम कार्यालय में क्लाइमेट इम्पैक्ट्स के प्रमुख डॉ. एंडी हार्टले ने कहा कि तापमान के इस स्तर से ऊपर होने से लोगों के अत्यधिक खतरे में होने के रूप में परिभाषित किया जाता है। आबादी में  रहने वाले कमजोर लोग और जो बाहर नौकरी करते हैं  उन  लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ने का अधिक खतरा है। भारत के कुछ हिस्सों के अधिक प्रभावित होने के आसार हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि 4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने से, अत्यधिक गर्मी का खतरा दुनिया के अधिकांश महाद्वीपों के बड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रभावित कर सकता है।

अध्ययन के निष्कर्ष 2 डिग्री सेल्सियस और 4 डिग्री सेल्सियस से जलवायु में होने वाले बदलावों के पांच अलग-अलग प्रभावों के बारे में बताते हैं। इनमें अलग-अलग प्रभावों से प्रभावित होने वाले इलाकों को मानचित्रों द्वारा दर्शाया गया है। वहीं अन्य प्रभाओं में नदियों में आने वाली बाढ़, जंगल की आग का खतरा, सूखा और खाद्य असुरक्षा आदि शामिल हैं।  

यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर और मौसम विभाग के प्रोफेसर रिचर्ड बेट्स एमबीई, ने कहा कि यह नया संयुक्त विश्लेषण ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करने की तात्कालिकता को दर्शाता है। बढ़ते तापमान का स्तर जितना अधिक होगा, उतना ही गंभीर असर दिखेगा। लोगों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन अगर हम अभी से तापमान पर लगाम लगाने का कार्य करते हैं तो इन खतरों से बचना अभी भी संभव है।

अर्थ सिस्टम एंड मिटिगेशन साइंस के प्रमुख डॉ एंडी विल्टशायर ने कहा कि जलवायु में होने वाले बदलावों के चलते यह भविष्य की एक डरावनी छवि को प्रस्तुत करता है। लेकिन, निश्चित रूप से, गंभीर जलवायु परिवर्तन कई प्रभावों को जन्म देगा। 

शोधकर्ताओं ने कहा उष्णकटिबंधीय इलाकों के कुछ हिस्से ब्राजील और इथियोपिया जैसे देश सबसे अधिक प्रभावित हैं। जिनके चार खतरों से प्रभावित होने के आसार हैं। अगर हमें जलवायु परिवर्तन के लगातार हो रहे बुरे परिणामों से बचना है तो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेजी से कमी लानी होगी।

हैडली सेंटर के मौसम विभाग के निदेशक प्रोफेसर अल्बर्ट क्लेन टैंक ने कहा ये मानचित्र दुनिया के उन क्षेत्रों को प्रकट करते हैं जहां ग्लोबल वार्मिंग के उच्च स्तर के साथ सबसे गंभीर प्रभाव पड़ने का अनुमान है। हालांकि, यूके और यूरोप सहित दुनिया के सभी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के निरंतर प्रभावों का सामना करने के आसार हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in