तपता हिमालय: कई इलाकों में टूटे गर्मी के रिकॉर्ड, जनवरी में ही खिल गया बुरांश

हिमालयी राज्यों में गर्मी बढ़ने से कई ऐसे बदलाव देखने को मिल रहे हैं, जो स्थानीय लोगों ने नहीं देखे थे। पढ़ें, दूसरी कड़ी-
हिमाचल-उत्तराखंड में जनवरी में ही बुरांस खिल गया था। फोटो: रोहित पराशर
हिमाचल-उत्तराखंड में जनवरी में ही बुरांस खिल गया था। फोटो: रोहित पराशर
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इतिहास का दूसरा सबसे गर्म वर्ष 2020 रहा, लेकिन 2021 के शुरुआती तीन महीने रिकॉर्ड के नए संकेत दे रहे हैं। खासकर भारत के लिए ये तीन महीने खासे चौंकाने वाले हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि भारत के मौसम के लिए बेहद अहम एवं संवेदनशील माने जाने वाले हिमालय से मिल रहे संकेत अच्छे नहीं हैं। पिछले तीन माह के दौरान हिमालयी राज्यों में बढ़ती गर्मी और बारिश न होने के कारण वहां के लोग चिंतित हैं। डाउन टू अर्थ ने पांच हिमालयी राज्यों के लोगों के साथ-साथ विशेषज्ञों से बात की और रिपोर्ट्स की एक ऋंखला तैयार की। पहली कड़ी में आपने पढ़ा कि कैसे हिमालयी राज्यों में मार्च में ही लू के हालात बन गए। पढ़ें, आगे की कड़ी- 

"डांड्यू खिलणा ह्वाला बुरंसी का फूल,
पाख्यू हैंसणी ह्वोली, फ्याेंली मुलमूल,
फुलारी फुलपाती लेकी, देल्यूं देल्यूं जाला
दगड्या भगयान थ्ड्या चौंफुला लगाला। 
घूघूती...." 

अगर आप कभी उत्तराखंड गए हों तो आपने यह गीत जरूर सुना होगा। इसका अर्थ है, जंगलों में बुरांश का फूल खिल गया होगा, पहाड़ों पर फ्योंली का फूल हंस रहा होगा, फूल वाले (बच्चे) फूल-पत्ती लेकर देहरी-देहरी जा रहे होंगे, सहेलियां आपस में थड्या-चौंफला (पहाड़ का नृत्य) कर रही होंगी। दरअसल, इस गीत में चैत ऋतु आने पर एक महिला अपने मायके को याद कर रही है और इन पंक्तियों में जिस बुरांश के खिलने का जिक्र है, वह उत्तराखंड-हिमाचल प्रदेश में मार्च-अप्रैल (चैत) में खिलना शुरू होता है। बेशक यह गीत उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में घर-घर में गाया जाता हो, लेकिन शायद अब इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठने लगे। क्योंकि अब यह फूल मार्च-अप्रैल में नहीं, जनवरी में खिलने लगा है।


उत्तराखंड के टिहरी जिले में समुद्र तल से लगभग 2,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रानीचौरी इलाके में इस साल 17 जनवरी को एसपी सती ने जब बुरांश के पेड़ पर फूल खिले देखे तो वह चौंक उठे। सती उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय में पर्यावरण विभाग के अध्यक्ष हैं। वह कहते हैं कि बुरांश समुद्र तल से 1,500 से 3,600 मीटर की ऊंचाई पर लगता है। यह फूल मार्च-अप्रैल के दौरान उस समय खिलना शुरू होता है, जब तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस होता है। लेकिन इस साल जनवरी में ही पहाड़ों में कई जगह अधिकतम तापमान इस स्तर पर पहुंच चुका था, जिसकी वजह से बुरांश खिलने लगा। वह कहते हैं कि पहाड़ में बदलते मौसम का यह सबसे बड़ा संकेत है।

उत्तराखंड में बुरांश का अपना महत्व है। हर साल 14 मार्च से 14 अप्रैल तक उत्तराखंड में एक त्योहार की शुरुआत होती है, जिसे फूलों का त्योहार या फूलदेई या फूल संग्राद कहा जाता है। इस त्योहार में बच्चे अपने आसपास खिलने वाले फूलों को तोड़कर सुबह-सुबह अपने आसपास के घरों की देहरियों में सजाते हैं। बच्चों की थाली में बुरांश और पीले रंग की फ्योली के ताजे फूल होते हैं। लेकिन इस बार कुछ इलाकों में बुरांश का फूल पहले ही तोड़ लिए गए क्योंकि बुरांश का इस्तेमाल न केवल खाने में होता है, बल्कि जूस बनाने के लिए व्यवसायिक तौर पर भी होने लगा है।

हिमाचल प्रदेश में भी इस साल जनवरी में ही बुरांश खिलने लगा। शिमला के रहने वाले सोमदत्त शर्मा बताते हैं कि इस बार शिमला में केवल दो बार ही बर्फबारी हुई और जनवरी में ही बुरांश के फूल खिल गए। हिमालय में बढ़ती गर्मी अब विनाशकारी संकेत भी देने लगी है। 7 फरवरी 2021 को उत्तराखंड के चमोली जिले में रॉक एवलांच के कारण अचानक आई बाढ़ से क्षेत्र में कोहराम मच गया। वैज्ञानिकों का कहना है कि बर्फ पिघलने के कारण वहां काफी पानी जमा था, जब पहाड़ टूटकर उस अस्थायी झील में गिरा तो इससे अचानक बाढ़ आ गई। वह कहते हैं कि बर्फ पिघलने का कारण बढ़ता तापमान ही था। स्थानीय लोगों का भी कहना है कि आपदा आने से पहले इस इलाके में गर्मी पड़ रही थी। इतनी गर्मी फरवरी माह में अमूमन नहीं होती। यह गर्मी बर्फ पिघलने का एक कारण हो सकती है।

चमोली आपदा के बाद हिमालयी क्षेत्रों में शोध करने वाली इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि चमोली क्षेत्र में पिछले कुछ सालों से लगातार अधिकतम तापमान में वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, 1980 से 2018 के बीच चमोली क्षेत्र में सालाना औसतन तापमान में अधिकतम 0.032 डिग्री और न्यूनतम तापमान में 0.024 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि इस रिपोर्ट में आईसीआईएमओडी ने चमोली की घटना के लिए सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन को कारण नहीं माना है।

इस साल हिमालयी राज्यों में सर्दियों के मौसम जनवरी-फरवरी में गर्मी ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए(देखें, रिकॉर्डतोड़ गर्मी, पेज 27)। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 9 जनवरी को उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश का अधिकतम तापमान सामान्य से 5-7 डिग्री अधिक रिकॉर्ड किया गया। यहां तक कि 9 एवं 10 जनवरी की रात का तापमान भी सामान्य से 3-5 डिग्री अधिक रिकॉर्ड किया गया। मध्य हिमालय और शिवालिक रेंज के बीच बसी उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में फरवरी माह में 16 साल पुराना गर्मी का रिकॉर्ड टूट गया। यहां 21 फरवरी 2021 का अधिकतम तापमान 31.3 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। इससे पहले 2006 में फरवरी माह का सबसे अधिक तापमान 31.2 डिग्री था।

हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला निवासी जोगेंद्र शर्मा कहते हैं कि इस बार तो मौसम बिलकुल अलग ही रहा। जनवरी-फरवरी में कई इलाकों में पानी पाइपलाइन में जम जाता था। बिजली और टेलिफोन व्यवस्था ठप हो जाती थी, लेकिन इस साल ऐसा कुछ नहीं हुआ। ठंड से निपटने के लिए अंगीठियों और लकड़ियों का इंतजाम करना पड़ता था, लेकिन इस साल की पूरी सर्दी केवल रजाइयों में ही निपट गई। कुछ साल पहले तक शिमला में कूलर-एयरकंडिशनर (एसी) के बारे में लोग सोचते भी नहीं थे, लेकिन अब यहां अच्छा-खासा व्यापार खड़ा हो गया है। शिमला में एक एसी शोरूम के मालिक विक्रम नंदा बताते हैं कि जनवरी-फरवरी का मौसम देखकर लगता है कि इस बार एसी की मांग अधिक रहने वाली है।

हिमाचल प्रदेश के जिला किन्नौर के क्षेत्र कल्पा में 28 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा। यहां 21 फरवरी 2021 में 19 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया। समुद्र तल से 2,759 मीटर की ऊंचाई पर बसे कल्पा में इस तापमान को फरवरी माह का सबसे अधिक तापमान बताया गया। इससे पहले 11 फरवरी 1993 में यहां का अधिकतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इसी तरह प्रदेश के ऊना इलाके का तापमान 26 फरवरी 2021 को 33.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इससे चार पहले 2017 में यहां का तापमान फरवरी माह में 33.2 डिग्री तक पहुंचा था।

उत्तराखंड-हिमाचल की तरह इस साल जम्मू कश्मीर में भी लोगों ने सर्दियों के मौसम में सर्दी का अहसास कम किया। दक्षिणी कश्मीर के जिले बांदीपोरा निवासी गुलाम मोहम्मद शेख एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं। वह बताते हैं कि हमारे इलाके में गर्मी के मौसम में पंखे-कूलर की जरूरत नहीं पड़ती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से गर्मी पड़ने लगी, लेकिन इस बार तो जनवरी-फरवरी में भी जितनी ठंड़ पड़ती थी, उतनी नहीं पड़ी। मौसम विज्ञान केंद्र, श्रीनगर के मुताबिक, इस साल श्रीनगर के न्यूनतम तापमान ने 16 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। 26 फरवरी को यहां का न्यूनतम तापमान 7.4 डिग्री रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से 6 डिग्री अधिक था। इससे पहले 27 फरवरी 2004 को न्यूनतम तापमान 7.3 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था। जम्मू में भी फरवरी माह की गर्मी ने 14 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा। इस साल 21 फरवरी को जम्मू का अधिकतम तापमान 31.6 डिग्री था, जबकि इससे पहले 2006 में 30.5 डिग्री रिकॉर्ड किया गया था।

इस साल गर्मी का अहसास पूर्वोत्तर के राज्यों में भी देखा गया। अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में अधिकतम तापमान ने पिछले 36 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। यहां 23 फरवरी को 32.7 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया। इससे पहले फरवरी माह का सबसे गर्म दिन 1975 में हुआ था। 28 फरवरी 1975 को 31.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। मणिपुर के इंफाल में अधिकतम तापमान ने 46 साल का रिकॉर्ड तोड़ा। 2021 में 28 फरवरी को अधिकतम तापमान 28.9 डिग्री था, इससे पहले 1975 में भी फरवरी में 28.9 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था।

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