चार धाम यात्रा के चार महीने: 55 दिन तक धाम पहुंचे ही नहीं श्रद्धालु

एसडीसी फाउंडेशन के विश्लेषण के अनुसार चारधाम यात्रा 2025 के ये शुरुआती महीने हाल के वर्षों में सबसे अधिक बाधित रहे हैं
चारधाम यात्रा मार्ग भूस्खलन के कारण अवरुद्ध। @chamolipolice / एक्स (पूर्व में ट्विटर)
चारधाम यात्रा मार्ग भूस्खलन के कारण अवरुद्ध। @chamolipolice / एक्स (पूर्व में ट्विटर)
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30 अप्रैल 2025 से शुरू हुई चारधाम यात्रा के पहले चार महीने उत्तराखंड की तीर्थयात्रा व्यवस्था के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हुए हैं। 31 अगस्त 2025 तक यात्रा में 55 “जीरो-तीर्थयात्री दिवस” रहे और 89 ऐसे दिन दर्ज किए गए, जिनमें चारों धामों में कुल यात्रियों की संख्या 1 से 1,000 के बीच रही।

“जीरो-तीर्थयात्री दिवस” वे दिन हैं जब चारों धामों तक एक भी यात्री नहीं पहुंच पाया। देहरादून स्थित पर्यावरणीय एक्शन और एडवोकेसी ग्रुप, सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन के विश्लेषण के अनुसार, चारधाम यात्रा 2025 के ये शुरुआती महीने हाल के वर्षों में सबसे अधिक बाधित रहे हैं।

चारों धामों में यमुनोत्री धाम सबसे ज्यादा प्रभावित रहा, जहां 23 “जीरो-तीर्थयात्री दिवस” और 30 दिन 1,000 से कम यात्रियों के साथ रहे। गंगोत्री में 27 ऐसे दिन रहे, जब एक भी यात्री नहीं पहुंच पाया, और 9 दिन ऐसे रहे जब संख्या 1,000 से कम रही।

हेमकुंड साहिब और बद्रीनाथ में क्रमशः 3 और 2 दिन बिना यात्रियों के रहे। यहां एक से 1,000 यात्रियों की उपस्थिति वाले दिन भी बड़ी संख्या में दर्ज हुए; हेमकुंड साहिब में 29 दिन, केदारनाथ में 19 दिन और बद्रीनाथ में 2 दिन।

एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि अत्यधिक वर्षा, भूस्खलन और आपदाओं के कारण बार-बार होने वाले व्यवधानों ने इस वर्ष चार धाम यात्रा को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे उत्तराखंड की तीर्थयात्रा आधारित अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूट रही है। लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए वार्षिक यात्रा पर निर्भर हैं, इसलिए राज्य सरकार से तुरंत और सक्रिय हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

नौटियाल कहते हैं, “चारधाम यात्रा हमारे पर्वतीय अर्थतंत्र की एक प्रमुख आर्थिक जीवनरेखा है। इस वर्ष मौसम और वर्षा से जुड़ी आपदाओं एवं व्यवधानों की आवृत्ति स्पष्ट रूप से दिखाती है कि राज्य को रिकॉर्ड तोड़ यात्रियों की संख्या पर ध्यान देने के बजाय तीर्थयात्रा के इंफ्रास्ट्रक्चर में स्थिरता लाने की दिशा में काम करना होगा।

अनूप नौटियाल ने जोर देकर कहा कि जलवायु-संवेदनशील सड़कों, बेहतर जल निकासी तंत्र, रियल-टाइम मौसम मॉनिटरिंग, मजबूत संचार नेटवर्क और आपदा-सुरक्षित आश्रयों में निवेश उत्तराखंड की प्राथमिकता होनी चाहिए। इस सीजन में प्रभावित व्यवसाय, ट्रांसपोर्टरों और सेवा प्रदाताओं के लिए व्यापक आर्थिक राहत पैकेज आवश्यक है।

अनूप ने निष्कर्ष में कहा कि लंबी अवधि के लिए यात्रा को जलवायु और आपदा-सुरक्षित बनाना और केवल संख्याओं पर आधारित आयोजन न करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। वर्तमान दृष्टिकोण में बदलाव लाना समय की मांग है, जहां रिकॉर्ड तोड़ संख्या के बजाय मजबूती और तैयारी पर ध्यान दिया जाए।

उन्होंने कहा कि आगे का परिदृश्य भी अनिश्चित है, क्योंकि सितंबर के शुरुआती दिनों में पांच दिनों तक यात्रा स्थगित रहेगी और यमुनोत्री व गंगोत्री के सड़क मार्ग गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हैं। आने वाले हफ्ते राज्य की तैयारी और शेष यात्रा सीजन में त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता की बड़ी परीक्षा होंगे।

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