उत्तराखंड: अतिवृष्टि से देहरादून में मरने वालों की संख्या 13 हुई, 16 लापता

देहरादून के सहस्रधारा में लगातार दो घंटे सुबह साढ़े चार से साढ़े छह बजे तक दो स्पेल (49 मिमी और 54 मिमी) में लगभग 100 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई
Uttarakhand Floods
देवभूमि कॉलेज, प्रेमनगर में बाढ़ के कारण छात्रों के फंसे होने की सूचना मिलने पर बचाव कर्मी वहां पहुंचे। फोटो: X@NDRFHQ
Published on

15-16 सितंबर 2025 को उत्तराखंड में भारी बारिश की वजह से राज्य की राजधानी देहरादून में मरने वालों की संख्या 13 हो चुकी है, जबकि तीन लोग घायल हुए और 16 लोग लापता हैं। नैनीताल में भी एक की मौत हुई है।

16 सितंबर को देर सायं देहरादून जिला सूचना विभाग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक देहरादून जनपद के सभी विकासखंडों में 13 पुल, 10 पुलिया, 02 मकान, 31 दीवार, 02 अमृत सरोवर, 12 खेत, 12 नहर, 21 सड़के, 7 पेयजल योजना, 08 हॉज, 24 पुस्ता आदि परिसंपत्तियों का भारी नुकसान हुआ है।

बादल नहीं फटा!

मौसम विभाग केंद्र, देहरादून से मिले आंकड़े बताते हैं कि सहस्रधारा में चौबीस घंटे में (सुबह 08.30 बजे तक) 264 मिलीमीटर (मिमी)  बारिश हुई है जो बहुत भारी बारिश की श्रेणी में आती है। विभाग की परिभाषा के अनुसार ‘बादल फटने’ (एक घंटे में 100 मिमी से ज़्यादा) जैसी स्थिति नहीं हुई, लेकिन सुबह सवा पांच बजे से सवा छह बजे के बीच यानी एक घंटे में 54 मिमी बारिश हुई, जो ‘अत्यधिक भारी बारिश’ है।

सहस्रधारा के अलावा देहरादून के कालसी में भी भारी बारिश रिकॉर्ड की गई। यहां 24 घंटे में 119 मिमी बारिश हुई है और रात पौने 11 से पौने 12 के बीच 67 मिमी बारिश हुई है। इसके साथ ही देहरादून के मालदेवता में 24 घंटे में 149 मिमी बारिश हुई है। नैनीताल में 105 मिमी बारिश हुई है, जौलीग्रांट में 93 मिमी, हाथीबड़कला में 89.5 मिमी, थल में 80 मिमी, भीमताल में 75.5 मिमी, रानी चौरी में 71.5 मिमी, पोखरी में 69.5 मिमी, कर्णप्रयाग में 53.5  मिमी और चौखुटिया में 52.5 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।  

बता दें कि मौसम विभाग के अनुसार बादल फटना उस स्थिति को कहते हैं जब 1 घंटे में 100 मिमी से ज़्यादा बारिश हो जाए।

मौसम विभाग केंद्र, देहरादून के निदेशक डॉक्टर चंद्र सिंह तोमर ने डाउन टू अर्थ से बातचीत में कहा कि यह असामान्य बारिश नहीं है। देहरादून में पहले भी बहुत भारी बारिश होती रही है और पिछले कुछ सालों में भी भारी बारिश रिकॉर्ड की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि देहरादून में सबसे ज़्यादा बारिश जुलाई, 1966 में 24 घंटे में 487 मिलीमीटर रिकॉर्ड की गई थी।

तोमर बताते हैं कि सहस्रधारा में लगातार दो घंटे तक बहुत अत्यधिक भारी बारिश हुई है। साढ़े चार से साढ़े छह बजे तक दो स्पेल (49 मिमी और 54 मिमी) में लगभग 100 मिमी बारिश दर्ज की गई है। वह कहते हैं कि भले ही बादल फटने जैसी स्थिति न हो, लेकिन बारिश से होने वाला नुक़सान भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करता है।

पहाड़ियों से आए मलबे पर बसा है दून

भूगर्भ वैज्ञानिक डॉक्टर एसपी सती ने बताया कि देहरादून के जिन इलाकों में भारी और बहुत भारी बारिश हुई है यह सारा मसूरी रेंज का दक्षिणी क्षेत्र है। उत्तराखंड में सबसे ज़्यादा बारिश नरेंद्र नगर में होती है और इसलिए इसे उत्तराखंड का चेरापूंजी भी कहते हैं। इसकी वजह यह है कि मसूरी और कुंजापुरी वाली रेंज (साथ ही नैनीताल और लैंसडौन भी) मॉनसून के बादलों को रोक लेती है और दक्षिणी छोर पर बारिश कर देती है।

यह इतना प्रभावी है कि दून घाटी के साथ ही जो भी भाबर के क्षेत्र हैं, चाहे वह कोटद्वार हो या हल्द्वानी, रामनगर, ऋषिकेश... इन सारे इलाकों के मैदान ऐसी ही बारिशों ने मसूरी, लैंसडौन, नीलकंठ, नैनीताल की पहाड़ियों को तोड़कर, घिसकर बनाए हैं। एक तरह से ये पहाड़ों से लाए मलबे के पुराने मैदान हैं जो बारिशों ने बनाए हैं। इन क्षेत्रों का मिज़ाज है कि ये मानसून के बादलों को रोकते हैं और दक्षिणी छोर पर बारिश करते हैं। चूंकि यह नाज़ुक पहाड़ हैं तो बारिश के पानी के साथ मलबा आना ही है।  

सती कहते हैं कि यह प्राकृतिक घटनाक्रम है और यह अप्रत्याशित नहीं है। दून घाटी ही ऐसे मलबे से बनी है। हालांकि अब अतिवृष्टि की घटनाएं बहुत ज़्यादा होने लगी हैं और यह अप्रत्याशित है। 1966 की रिकॉर्ड बारिश का उल्लेख करने पर सती कहते हैं कि तब भी बहुत ज़्यादा बाढ़ आई होगी, लेकिन आबादी बेहद कम होने से नुकसान नहीं हुआ होगा।  

सती के मुताबिक रिस्पना, बिंदाल, सौंग, मालन जैसी बरसाती नदियां पहले स्वछन्द बहती थीं और पहले जितनी भी बारिश आए, जितना भी बहाव बढ़े कभी-भी इन्होंने अपने तटबंध नहीं तोड़े। इसके अलावा नहरों का शहर करने जाने वाले देहरादून की जलनिकासी प्रणाली बहुत अच्छी थी, अतिक्रमण नहीं था इसलिए बस्तियों में तबाही नहीं होती थी। नदियों में उफान आना सामान्य प्रक्रिया है, नदियों में घरों का बहना असामान्य प्रक्रिया है और यह मानव जनित है।

इस बारिश में देहरादून के पौंधा स्थित एक वोकेशनल इंस्टिट्यूट में जलभराव होने से 200 छात्र-छात्राएं फंस गए थे। राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचकर सभी को सुरक्षित निकाला! इसके अलावा ऋषिकेश में उफान पर आई चंद्रभागा नदी में फंस गए तीन लोगों को भी फ़ायर सर्विस और एसडीआरएफ़ ने सुरक्षित निकाला।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in