दुनिया भर में जलवायु में होने वाले बदलाव के कारण जानवरों के पारिस्थितिकी और जीवन में बदलाव देखा जा रहा है। यहां इस बात की तस्दीक की जा सकती है कि जलवायु परिवर्तन से केवल लोग ही प्रभावित नहीं होते हैं बल्कि जानवरों को भी इससे निपटना पड़ता है।
कुछ गर्म खून वाले जानवर इससे निपटने के लिए अपना आकार बदल रहे हैं। धरती के गर्म होने पर जानवर अपने शरीर के तापमान को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने के लिए चोंच, पैर और कान में बढ़ोतरी कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में डीकिन विश्वविद्यालय के पक्षी शोधकर्ता सारा राइडिंग ने इन परिवर्तनों का वर्णन किया है।
राइडिंग कहते हैं कि कई बार जब जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की जाती है, तो लोग पूछते हैं कि क्या इंसान इसे दूर कर सकता है?, या कौन सी तकनीक इसे हल कर सकती है?। अब समय आ गया है कि हम समझें कि जानवरों को भी इन परिवर्तनों के अनुकूल होना पड़ता है, लेकिन यह विकासवादी समय के अधिकांश समय की तुलना में बहुत जल्दी-जल्दी हो रहा है।
राइडिंग ने कहा हमने जो जलवायु परिवर्तन में बदलाव किए है वह पूरी तरह से सभी को प्रभावित कर रहा है, सभी पर इसका बहुत बड़ा दबाव है। जबकि कुछ प्रजातियां इस बदलाव को सहन या इसके अनुकूल होंगी, जबकि अन्य ऐसा नहीं कर पाएंगे।
राइडिंग ने बताया कि जलवायु परिवर्तन एक जटिल और बहुआयामी घटना है जो दिनो-दिन घटित हो रही है। इसलिए इसको केवल आकार बदलने तक सीमित करना मुश्किल है। लेकिन ये बदलाव व्यापक भौगोलिक क्षेत्रों में और विविध प्रकार की प्रजातियों के बीच हो रहे हैं, इसलिए जलवायु परिवर्तन के अलावा कुछ भी समान नहीं है।
अधिकतर पक्षियों में विशेष रूप से आकार बदलने की जानकारी मिली है। ऑस्ट्रेलियाई तोते की कई प्रजातियों में 1871 के बाद से इनके बिल के आकार में औसतन 4 से 10 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। इसका हर साल गर्मियों में बढ़ने वाले तापमान के साथ संबंध है। उत्तरी अमेरिकी डार्क-आइड जंकोस, एक प्रकार का छोटा सांगबर्ड है, जिनमें ठंडे वातावरण में इनके बिलों का आकार बढ़ा हुआ पाया गया जिसका संबंध कुछ समय के बढ़ते तापमान से था।
स्तनधारी प्रजातियों में भी आकार में बदलाव की जानकारी मिली है। शोधकर्ताओं ने वुड चूहों के नाम से जाने जाने वाले चूहों में पूंछ की लंबाई बढ़ने के बारे में पता चला है और मास्क्ड श्रीवस या नकाबपोशों में पूंछ और पैर के आकार में वृद्धि हुई है।
राइडिंग कहते हैं कि कुछ जीवों के आकार में अब तक की वृद्धि काफी कम हुई है, जो कि 10 फीसदी से भी कम हैं। इसलिए इस तरह के बदलाव पर तुरंत ध्यान नहीं दिया जाता है। हालांकि, कानों जैसे प्रमुख अंगों में वृद्धि का पूर्वानुमान है।
इसके बाद, राइडिंग ने कहा कि पिछले 100 वर्षों के 3-डी स्कैनिंग संग्रहालय पक्षी नमूनों द्वारा पहली बार ऑस्ट्रेलियाई पक्षियों में आकार बदलने की जांच करना है। इससे उनकी टीम को इस बात की बेहतर समझ होगी कि जलवायु परिवर्तन के कारण कौन से पक्षी के अंगों का आकार बदल रहे हैं और क्यों।
राइडिंग कहते हैं आकार बदलने का मतलब यह नहीं है कि जानवर जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहे हैं और यह सब ठीक है। या वास्तव में सभी प्रजातियां बदलने और जीवित रहने में सक्षम हैं। यह अध्ययन ट्रेंड्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया भर में तापमान में वृद्धि हो रही है और जानवर कई तरीकों से इससे निपटने के लिए मुकाबला कर रहे हैं। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि जैसा कि हम वर्तमान मानवजनित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को मानते हैं, भविष्य में इसके बारे में पूर्वानुमान लगाना बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसा करने के लिए, निरंतर अध्ययन तथा जानकारियों को जुटाना अहम है, जैसे लंबे समय तक फील्ड के आंकड़ों, संग्रहालय के नमूनों का विश्लेषण, आणविक डेटा और अस्थायी रुझानों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।