जमीन के बंजरपन को रोकने के लिए होने वाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के चार दिन पहले भारत ने कहा है कि वह 2030 तक अपने देश में बंजर हो चुकी 50 लाख हेक्टेयर जमीन को फिर से उपजाऊ बनाएगा, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल उठ खड़ा हुआ कि क्या भारत ने अपना लक्ष्य कम कर दिया है?
यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है, क्योंकि बीते 17 जून को आयोजित 'लैंड डिग्रेडेशन न्यूट्रलिटी (एलडीएन) टारगेट सेटिंग प्रोग्राम में कहा गया था कि भारत 2030 तक 3 करोड़ हेक्टेयर जमीन का बंजरपन दूर करेगा। तो क्या सरकार ने अपने टारगेट में 80 फीसदी से अधिक की कमी कर दी है?
इस बारे में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारी कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं। डाउन टू अर्थ ने जब मंत्रालय में मरुस्थलीकरण सेल का काम देख रहे संयुक्त सचिव जिगेमट टकपा से बात की तो उन्होंने कहा, “मैं टिप्पणी नहीं कर सकता क्योंकि यह अब एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है। हालांकि लक्ष्य अभी भी अंतिम नहीं है। अभी प्रधानमंत्री के स्तर पर बातचीत के बाद ही कुछ स्थिति स्पष्ट होगी।
उधर, मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने डाउन टू अर्थ को बताया कि लक्ष्य को कम इसलिए किया गया है, क्योंकि क्योंकि मंत्रालय में आम सहमति नहीं बन सकी। सचिव स्तर पर 30 माह के लक्ष्य को मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन अब इसे संशोधित किया जा रहा है। भारत पहले 2011 में जर्मनी बोन चैलेंज में यह वादा कर चुका है कि 2030 तक 2.1 करोड़ हेक्टेयर जमीन का बंजरपन खत्म किया जाएगा। ऐसे में यह संभव है कि अब जो लक्ष्य रखा गया है, उसमें इसे जोड़ दिया जाए और कुल लक्ष्य 2.6 करोड़ हेक्टेयर का तय कर दिया जाए, लेकिन अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं है।
दरअसल, भारत में जमीन का बंजरपन बड़ी तेजी से बढ़ा है। इसकी वजह वनों का कटाव, भूमि का क्षरण, बरसात के पैटर्न में बदलाव, जमीन का अत्याधिक दोहन है। यही वजह है कि 2011 में जब जर्मनी के बोन शहर में हुए एक कार्यक्रम में दुनिया के देशों ने 150 मिलियन हेक्टेयर जमीन का बंजरपन दूर करने की शपथ ली थी तो उस समय भारत ने शपथ ली थी कि वह 2020 तक 13 मिलियन (1.3 करोड़) हेक्टेयर जमीन का बंजरपन दूर करेगा और अगले 10 साल में 80 लाख हेक्टेयर जमीन को बंजर होने से बचाएगा। लेकिन जून 2019 में मंत्रालय ने इस लक्ष्य को बढ़ा कर 30 मिलियन हेक्टेयर कर दिया था।
यूएनसीसीडी का आयोजन भारत में दो सितंबर से 13 सितंबर तक होगा। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस सम्मेलन में भाग ले सकते हैं। ऐसे में समझा जा रहा है कि भारत देश में बढ़ रहे मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए कई अहम घोषणाएं कर सकता है।