दुनिया भर में आधे से अधिक लोगों को प्रभावित करने वाले जाने पहचाने रोग जैसे डेंगू, हेपेटाइटिस, निमोनिया, मलेरिया और जीका जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ सकते हैं। वह चौंकाने वाला खुलासा एक शोध पत्र ने किया है, यह शोध मानोआ में हवाई विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा किया गया है।
शोधकर्ताओं ने प्रत्येक ज्ञात लोगों में रोगाणुओं द्वारा फैलने वाले रोग पर ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन के प्रति संवेदनशील 10 जलवायु खतरों के प्रभावों के बारे में एक व्यवस्थित खोज की है। इन खतरों में बढ़ता तापमान, सूखा, लू या हीटवेव, जंगल की आग, अत्यधिक वर्षा, बाढ़, तूफान, समुद्र के स्तर में वृद्धि, महासागरीय जैव-रासायनिक परिवर्तन और भूमि उपयोग में बदलाव शामिल थे।
रिकॉर्ड किए गए इतिहास में मानवता को प्रभावित करने वाले सभी ज्ञात संक्रमणों और रोगों को फैलाने वालों की दो आधिकारिक सूचियों को मिलाकर, शोधकर्ताओं ने प्रत्येक ज्ञात बीमारियों को प्रभावित करने वाले जलवायु खतरे के प्रत्येक संभावित संयोजन के प्रयोगसिद्ध उदाहरणों के लिए 70,000 से अधिक वैज्ञानिक पत्रों की समीक्षा की।
शोध से पता चला कि बढ़ता तापमान, वर्षा, बाढ़, सूखा, तूफान, भूमि उपयोग में बदलाव, महासागरीय जलवायु परिवर्तन, आग, लू और समुद्र के स्तर में परिवर्तन सभी वायरस, बैक्टीरिया, जानवरों, कवक, सूक्ष्म जीवों, पौधों और क्रोमिस्टों द्वारा उत्पन्न बीमारियों को प्रभावित करते पाए गए थे।
रोगाणुओं द्वारा फैलाए जाने वाले रोग मुख्य रूप से इसमें शामिल थे, हालांकि जलजनित, हवाई, प्रत्यक्ष संपर्क और खाद्य जनित मार्गों से फैलने वाली बीमारी के मामले भी पाए गए थे। अंततः शोध में पाया गया कि लोगों में फैलने वाले रोगजनक रोगों में से 58 फीसदी से अधिक, या 375 में से 218, 1,006 अनोखे मार्गों के माध्यम से कम से कम एक जलवायु खतरे से किसी बिंदु से प्रभावित हुए थे।
कॉलेज ऑफ सोशल साइंसेज (सीएसएस) में भूगोल के प्रोफेसर तथा अध्ययनकर्ता कैमिलो मोरा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के व्यापक परिणामों को देखते हुए, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य को होने वाले खतरों की खोज करना वास्तव में डरावना था। हमारे लिए यह सोचना कि हम वास्तव में जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हो सकते हैं, अभी बहुत सारी बीमारियां और उनके फैलने के रास्ते हैं। यह दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
शोध टीम द्वारा जलवायु संकट और रोग के मामले के बीच प्रत्येक संबंध को दर्शाने वाला एक इंटरैक्टिव वेब पेज बनाया गया था। उपकरण उपयोगकर्ताओं को विशिष्ट खतरों, मार्गों और रोग समूहों से पूछताछ करने और उपलब्ध साक्ष्य देखने में मदद करता है।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्षों में निम्नलिखित शामिल हैं:
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि, जबकि अधिकांश रोग जलवायु संबंधी खतरों से बढ़ गए थे, वहीं कुछ कम भी हो गए थे। उदाहरण के लिए, बढ़ते तापमान ने संक्रामक रोगों के फैलने को कम कर दिया है जो संभवतः वायरस के लिए अनुपयुक्त परिस्थितियों से संबंधित हैं या गर्म परिस्थितियों में एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण ऐसा है। हालांकि, ज्यादातर बीमारियां जो कम से कम एक खतरे से कम हो गई थीं, कभी-कभी दूसरे और कभी-कभी एक ही खतरे से भी बढ़ जाती हैं।
सीएसएस में भूगोल पीएच.डी. छात्र तथा सह-अध्ययनकर्ता किरा वेबस्टर ने कहा हम जानते थे कि जलवायु परिवर्तन लोगों में रोगजनक रोगों को प्रभावित कर सकता है। फिर भी, जैसे-जैसे हमारा डेटाबेस बढ़ता गया, हम उपलब्ध केस स्टडी की भारी संख्या से मोहित और व्यथित दोनों हो गए, जो पहले से ही दिखाते हैं कि हम ग्रीनहाउस गैसों के अपने बढ़ते उत्सर्जन के प्रति कितने संवेदनशील होते जा रहे हैं। यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।