फूड वेस्ट की खाद से होता है भारी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: रिपोर्ट

अध्ययन से पता चलता है कि भोजन के कचरे से बनाई जाने वाली खाद से 12 गुना अधिक मीथेन का उत्सर्जन होता है
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
Published on

एक नए अध्ययन से पता चला है कि अनुपचारित कचरे की खाद से होने वाले उत्सर्जन की तुलना में बायोगैस उत्पादन के बाद बचे हुए खाद से वातावरण में काफी अधिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है।

एक चक्रीय अर्थव्यवस्था यानी सर्कुलर इकोनॉमी को हासिल करने के लिए, जैविक कचरे का अच्छा प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण है। हमें ऐसी रिसाइक्लिंग तकनीकों की जरूरत है जो पर्यावरण में कम से कम ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती हो, साथ ही मिट्टी में पाए जाने वाले कार्बनिक पदार्थों और उनके पोषक तत्वों को फिर से मिट्टी में मिला दे।

बायोगैस बनने के बाद बचे हुए अवशेष में मूल्यवान पोषक तत्व होते हैं, इसलिए इनका उपयोग कृषि उर्वरकों के रूप में किया जा सकता है। उपचार के बाद इनको खाद में बदलने की प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसके लिए इन्हें ठोस, कम गंध निकलने वाला, सुरक्षित और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने वाले के रूप में बदला जाता है।

अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, विशेष रूप से मीथेन का उत्सर्जन, खाद्य अपशिष्ट के खाद (कम्पोस्ट) बनाने से, खाद्य अपशिष्ट को उसके अनुपचारित रूप में खाद बनाने से होने वाले उत्सर्जन से बहुत अधिक है।

बचे हुए भोजन की खाद (कम्पोस्ट) में 12 गुना अधिक मीथेन उत्सर्जन मापा गया। नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइकोनॉमी रिसर्च (एनआईबीआईओ) की शोध वैज्ञानिक मारिया डिट्रिच कहती हैं खाने की बर्बादी के बाद बचे हुए भोजन की कम्पोस्टिंग से निकलने वाली मीथेन की मात्रा बहुत अधिक थी, जिसने हमें चौंका दिया।

अध्ययन में, कच्चे खाद्य कचरे की खाद बनाने से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की तुलना पके खाद्य अपशिष्ट के खाद (कम्पोस्ट) से होने वाले उत्सर्जन से की गई। परिणामों से पता चला कि तीन सप्ताह में कच्चे खाद्य अपशिष्ट खाद (कंपोस्ट) की तुलना में पके खाद्य अपशिष्ट के खाद (कम्पोस्ट) से कुल मीथेन उत्सर्जन लगभग 12 गुना अधिक था।

अधिक मीथेन उत्सर्जन के अलावा, शोधकर्ताओं ने पाया कि खाद बनाने के दौरान नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन कच्चे खाद्य अपशिष्ट की तुलना में पके भोजन के अपशिष्ट से काफी अधिक था। हालांकि, कुल ग्लोबल वार्मिंग क्षमता मुख्य रूप से अधिक मीथेन उत्सर्जन से होती है।

डायट्रिच कहती हैं हमें लगता है कि कच्चे माल (फीडस्टॉक) के माध्यम से मीथेन उत्पादन के लिए तैयार किए गए सूक्ष्मजीवों का आयात, विशेष रूप से डाइजेस्ट में मीथेनोजेन्स, बाद की कास्टिंग प्रक्रिया के दौरान मीथेन उत्पादन को बढ़ा सकते हैं।

भविष्य में, कच्चे माल में माइक्रोबियल समुदायों को अपनाना और बाद में कंपोस्टिंग प्रक्रिया के दौरान ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का एक आशाजनक तरीका हो सकता है। उदाहरण के लिए इसे खाद (कंपोस्ट) बनाने से पहले इसमें से मीथेन उत्पादक सूक्ष्म जीवों को समाप्त करके किया जा सकता है।

2020 में पता चला कि भोजन के कचरे की खाद (कंपोस्टेड डाइजेस्ट) को मिट्टी बनाने से बहुत कम या ग्लोबल वार्मिंग की क्षमता न के बराबर थी। डिट्रिच कहती हैं इन परिणामों से साफ इशारा मिलता है कि, मिट्टी पर इसे लागू करने से कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होती है तथा खाद बनाने की प्रक्रिया के दौरान होने वाला उत्सर्जन अधिक ग्लोबल वार्मिंग क्षमता की भी भरपाई कर सकता है।

उन्होंने कहा यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रणाली को पाचन के रूप में छोड़ने से पहले एनारोबिक पाचन के दौरान खाद्य अपशिष्ट की कार्बनिक पदार्थ सामग्री आधे से कम हो जाती है। अवायवीय पाचन या एनारोबिक डायजेस्चन: सूक्ष्मजीवों द्वारा सीवेज या अन्य कार्बनिक अपशिष्ट पदार्थ को तोड़कर, आमतौर पर अपशिष्ट निपटान या ऊर्जा उत्पादन के साधन के रूप में उपयोग किया जाता है।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in