जलवायु आपातकाल, कॉप-25: धीमी हुई कार्बन उत्सर्जन की वृद्धि दर, फिर भी खतरनाक स्तर पर पहुंचा

एक् नए अनुमान के मुताबिक प्राकृतिक गैस और तेल की खपत बढ़ने से कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) के स्तर में इस साल 3700 करोड़ (37 बिलियन) टन की बढ़ोतरी होने की आशंका है
जलवायु आपातकाल, कॉप-25: धीमी हुई कार्बन उत्सर्जन की वृद्धि दर, फिर भी खतरनाक स्तर पर पहुंचा
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कैलिफोर्निया स्थित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक रॉब जैक्सन की अगुवाई में ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट का अनुमान लगाया गया है। इस नए अनुमान के मुताबिक प्राकृतिक गैस और तेल की खपत बढ़ने से कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) के स्तर में इस साल 3700 करोड़ (37 बिलियन) टन की बढ़ोतरी होने की आशंका है।

सिस्टम्स साइंस डाटा, एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि पिछले दो वर्षों की तुलना में उत्सर्जन वृद्धि की दर धीमी है। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि कार्बन उत्सर्जन 2030 तक बढ़ सकता है। इसे तब तक नहीं रोका जा सकता है, जब तक ऊर्जा, परिवहन और उद्योग की नीतियों में नाटकीय रूप से बदलाव किए जाएं।

संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के कॉन्फ्रेंस ऑन पार्टीज (कॉप) की 25 वें सम्मेलन में इन नए अनुमानों पर चर्चा की जाएगी। जीवाश्म ईंधन स्रोतों से वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का अनुमान लगाया जाता हैं। जो कि मानव गतिविधियों के द्वारा सभी तरह के उत्सर्जन का लगभग 90 प्रतिशत है। 2018 में कार्बन उत्सर्जन में अनुमानित 0.6 फीसदी की वृद्धि हुई थी। एक साल पहले 2.1 फीसदी की वृद्धि दर थी और 2017 में यह 1.5 फीसदी रही।

शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है, कि जिस तरह से यूरोपीय संघ और अमेरिका में कोयले के उपयोग में गिरावट आई है। उसी तरह दुनिया भर में कोयले के उपयोग में कमी आएगी, और प्राकृतिक गैस का उपयोग बढ़ेगा। समृद्ध देशों में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन बहुत अधिक है। विकासशील देश अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अधिक प्राकृतिक-गैस-ईंधन बिजली और गैसोलीन से चलने वाले वाहनों आदि का उपयोग करते है। इन सबसे उत्सर्जन बढ़ेगा, जो कि खतरे का संकेत है।

प्राकृतिक गैस के उपयोग में वृद्धि

शोधकर्ताओं ने पाया कि अमेरिका, .यू.(यूरोपियन यूनियन) और चीन विश्व स्तर पर सभी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार है। जबकि अमेरिका सहित कई औद्योगिक क्षेत्रों में वार्षिक उत्सर्जन धीरे-धीरे कम हो रहा है, जहां पिछले वर्ष से अनुमानित 1.7 फीसदी कम हैं। यह चीन सहित कई देशों में बढ़ रहा हैं, जहां इस वर्ष उत्सर्जन 2.6 फीसदी तक बढ़ सकता है। वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन का लगभग 40 फीसदी कोयले के उपयोग से, 34 फीसदी तेल से, 20 फीसदी प्राकृतिक गैस से और शेष 6 प्रतिशत सीमेंट उत्पादन और अन्य स्रोतों से होता है।

पिछले एक साल में कोयले का वैश्विक उपयोग 0.9 प्रतिशत कम हुआ है। यूरोपियन यूनियन में कोयले के उपयोग में और 10 फीसदी की गिरावट आई है। कोयले के वैश्विक उपयोग का आधा हिस्सा चीन में खपत किया जाता है। प्राकृतिक गैस का उपयोग अधिक आपूर्ति और सस्ती कीमतों के कारण बढ़ गया है। 2019 के लिए कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 2.6 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। 

उत्सर्जन की जिम्मेदारी

दुनिया भर में, औसत प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 4.8 टन जीवाश्म (फोसिअल फ्यूल) से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। तुलना करके देखे तो अमेरिका में औसत प्रति व्यक्ति उस राशि के साढ़े तीन गुना से अधिक उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। यूरोपियन यूनियन में उत्सर्जन में प्रति वर्ष लगभग 1 फीसदी की गिरावट आई है।

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