इसके अलावा गोहरमा पंचायत की प्रधान सरिता ने बताया कि लिंडूर गांव के सभी घरों में दरारें आ चुकी हैं और लोगों की खेती वाली जमीनों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि लोगों में भय बना हुआ है और हमने प्रशासन से गांव को बचाने और दरारें के कारणों की शीघ्र जांच पूरी कर आगामी कार्रवाई करने की मांग की है।
जिला उपायुक्त लाहौल-स्पीति राहुल कुमार का कहना है कि लिंडूर गांव और इसके आसपास के इलाके आ रही दरारों और भू-धंसाव के कारणों की जांच के लिए आईआईटी मंडी और एनएचपीसी के विशेषज्ञों से क्षेत्र का सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। दोनों संस्थाओं के विशेषज्ञों ने मौके का कई बार मुआयना कर लिया और अभी उनकी फाइनल रिपोर्ट आना बाकि है। इसके अलावा गांव के साथ लगते नाले को चैनलाइज करने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है।
क्षेत्र में बढ़ रही भू-धंसाव और प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए लिंडूर, जसरथ, जोबरंग, जुंडा, ताड़ग और फूड़ा गांव के लोगों ने क्षेत्र की पारिस्थितिकी में आए बदलावों पर गहन शोध की मांग की है। लाहौल पोटेटो सोसायटी के अध्यक्ष सुदर्शन जास्पा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर क्षेत्र में दिखने लगा है और इससे निपटने के लिए अब हमें सही नीतियों का निर्माण कर काम करने की जरूरत है। पिछले कुछ सालों में क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएं अधिक देखने को मिली हैं जो बड़ी चिंता का विषय है। हमने सरकार से पूरे क्षेत्र में गहन शोध करने की मांग की है और इसके बाद ही क्षेत्र में विकास को गति दी जाएगी।