जलवायु संकट: कई प्रजातियों को एकाएक टिपिंग प्वाइंट की ओर धकेल सकता है बढ़ता तापमान

अध्ययन में पता चला है कि बढ़ता तापमान कई जीवों को एकाएक टिपिंग प्वाइंट की ओर धकेल सकता है। जो उनके अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर सकता है
शहरों से लुप्त होती गौरैया; फोटो: पिक्साबे
शहरों से लुप्त होती गौरैया; फोटो: पिक्साबे
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जलवायु में आता बदलाव जोकि आज दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। उसको लेकर नित नए खुलासे हो रहे हैं। ऐसे ही एक नए अध्ययन में पता चला है कि बढ़ता तापमान कई जीवों को एकाएक टिपिंग प्वाइंट की ओर धकेल सकता है। जो उनके अस्तित्व के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

रिसर्च के मुताबिक इन प्रजातियों के आवास क्षेत्रों में बढ़ता तापमान नए अभूतपूर्व स्तरों तक पहुंच रहा है। जो इन जीवों की सहन क्षमता के बाहर जा रहा है। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन, कनेक्टिकट, बफेलो और केप टाउन विश्वविद्यालय से जुड़े वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। इस रिसर्च के नतीजे जर्नल नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुए हैं।

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस बात की भविष्यवाणी की है कि कब, कहां जलवायु में आते बदलाव के चलते प्रजातियों को जानलेवा तापमान के संपर्क में आने की आशंका है। अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जीवों की 35,000 से अधिक प्रजातियों पर जलवायु में आते बदलावों का विश्लेषण किया है।

इन प्रजातियों में स्तनधारी जीवों से लेकर उभयचर, सरीसृप, पक्षियों, मछलियों, कोरल्स, प्लैंकटन और ऑक्टोपस जैसे जीव शामिल थे। साथ ही इस अध्ययन में करीब-करीब हर महाद्वीप की समुद्री घास से जुड़े आंकड़ों का भी विश्लेषण किया है।

शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में इस बात की भी जांच की है कि कब किस प्रजाति को भौगोलिक सीमा में बढ़ता तापमान उनकी सहनक्षमता के बाहर निकल जाएगा। वैज्ञानिकों ने सहनक्षमता की इस दहलीज को लगातार पांच वर्षों की घटना के रूप में परिभाषित किया है। जब इन प्रजातियों की भौगोलिक सीमा में तापमान 1850 से 2014 के बीच उच्चतम मासिक रिकॉर्ड को पार कर गया था।

रिसर्च के मुताबिक यह जरूरी नहीं की एक बार जब तापमान इस सीमा को पार कर जाता है तो वो जीव खत्म हो जाएगा। इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि क्या वो जीव इस बढ़ते तापमान में जीवित रहने के काबिल है या नहीं। हालांकि रिसर्च में यह जरूर सामने आया है कि भविष्य में कई प्रजातियों के लिए यह बदलाव बड़ी तेजी से होंगें, जिनकी वजह से उनके आवास को भारी नुकसान होगा। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि औसतन दशक के भीतर ही प्रजातियों पर अनुमानित जोखिम में बढ़ते तापमान की वजह से 50 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि होगी।

रिसर्च में शोधकर्ताओं ने एक सुसंगत पैटर्न की खोज की है जो इंगित करता है कि कई जानवरों के लिए इसी दशक में बढ़ता तापमान उनकी सहनशीलता की सीमा के परे निकल जाएगा।

तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ, छिन जाएगा कई प्रजातियों का घर

शोधकर्ताओं को पता चला है कि बढ़ता तापमान इन जीवों को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी। उनके मुताबिक यदि धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है तो अध्ययन की गई करीब 15 फीसदी प्रजातियां एक दशक से भी कम समय में अपने 30 फीसदी आवास क्षेत्रों में अत्यधिक गर्म तापमान का सामना करने को मजबूर हो जाएंगी। वहीं यदि तापमान में हो रही वृद्धि बढ़कर 2.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाती है तो यह खतरा बढ़कर दोगुना हो जाएगा और 30 फीसदी प्रजातियों को अपनी गिरफ्त में ले लेगा।

अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर एलेक्स पिगोट का इस बारे में कहना है कि, इस बात की सम्भावना कम है कि जलवायु परिवर्तन प्रजातियों के लिए परिवेश को धीरे-धीरे कठोर बना देगा। इसके बजाय कई जानवरों के लिए उनकी भौगोलिक सीमा का बड़ा हिस्सा एकाएक थोड़े ही समय में असामान्य रूप से गर्म हो जाएगा।

उनके अनुसार ऐसे में कुछ जीव इस बढ़ते तापमान में जीवित रहने में सक्षम हो सकते हैं, जबकि कई अन्य जानवरों को इससे बचने के लिए ठंडे स्थानों की ओर रुख करने की जरूरत पड़ेगी, जबकि कुछ इसके अनुकूल बनने के लिए जद्दोजहद करेंगें। हालांकि इतने जल्द होते बदलावों के चलते कुछ जीव इसे नहीं अपना सकेंगें।

उन्होंने बताया कि जब तक हमें इसका पता चलेगा, तब तक इन प्रजातियों का अधिकांश क्षेत्र बढ़ते तापमान के चलते इन प्रजातियों की सहनशीलता की सीमा तक पहुंच जाएगा। ऐसे में कार्रवाई के लिए हमारे पास बहुत कम समय ही बचेगा। ऐसे में उन प्रजातियों की पहचान जरूरी है जो आने वाले दशकों में इस बढ़ते तापमान और जलवायु में आते बदलावों के चलते खतरे में पड़ जाएंगी।

पिगोट का कहना है कि, "हमारा अध्ययन इस बात का एक और उदाहरण है कि हमें जानवरों और पौधों पर जलवायु परिवर्तन के बढ़ते हानिकारक प्रभावों को कम करने और बड़े पैमाने पर इनको विलुप्त होने से बचाने के लिए कार्बन उत्सर्जन में तत्काल कटौती करने की जरूरत क्यों है।

वैज्ञानिकों की मानें तो इस अध्ययन से जुड़े आंकड़े इन जीवों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रुप में काम कर सकते हैं जो दर्शाते हैं कब, कहां, किस विशेष जानवर के जोखिम में होने की आशंका है।

इससे पहले भी अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं ने पुष्टि की थी कि भले ही हम जलवायु परिवर्तन को रोक दें और वैश्विक तापमान में होती वृद्धि चरम पर पहुंचने के बाद घटना शुरू हो जाए तो भी जैव विविधता पर दशकों तक जोखिम बना रहेगा।

वहीं एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि तापमान में बदलाव की यह अपरिचित परिस्थितियां कई जीवों को एक साथ ले आएंगी, जिनको अपना आवास क्षेत्र साझा करना पड़ सकता है, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है।

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