जलवायु परिवर्तन पर शोध: तापमान वृद्धि से उदासीनता को कैसे दूर करें

शोध में उम्मीद जताई गई है कि वही तापमान के आंकड़े, जो कभी जनता की उदासीनता का कारण बनते थे, अब लोगों को जलवायु संकट के बारे में अधिक सोच-विचार करने में मदद कर सकते हैं।
जलवायु में बदलाव केवल गर्म सर्दियों की बात नहीं है, यह आइस हॉकी और व्हाइट क्रिसमस का भी नुकसान है।
जलवायु में बदलाव केवल गर्म सर्दियों की बात नहीं है, यह आइस हॉकी और व्हाइट क्रिसमस का भी नुकसान है।फोटो साभार :आई-स्टॉक
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एक शोध में जलवायु विशेषज्ञों का मानना है कि मानवजनित जलवायु परिवर्तन को धीमा करने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है। लेकिन दुनिया भर में तापमान में वृद्धि उन लोगों में उदासीनता को बढ़ावा देती है जो अक्सर जलवायु के कारण होने वाली आपदाओं से गुजरते हैं।

प्रिंसटन और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक नए अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के वास्तविक प्रभाव को सामने लाने के तरीकों पर गौर किया और एक समाधान भी खोजा है।

लोगों को लगातार आंकड़े दिखाने से, जैसे कि किसी शहर में तापमान में वृद्धि, लोगों को क्रमिक बदलाव का अस्पष्ट आभास होता है, लेकिन उसी शहर के लिए बाइनरी आंकड़े दिखाने से, विशेष रूप से यह कि क्या हर सर्दियों में झील जमती है या नहीं, इस तरह के बदलाव प्रस्तुत करने से अधिक स्पष्टता आती है।

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जलवायु में बदलाव केवल गर्म सर्दियों की बात नहीं है, यह आइस हॉकी और व्हाइट क्रिसमस का भी नुकसान है।

अध्ययन में अध्ययनकर्ता के हवाले से कहा गया है कि लोग बिगड़ती पर्यावरणीय परिस्थितियों, जैसे कि हर साल कई बार आग लगने के मौसम के साथ बहुत तेजी से तालमेल बिठाना। जब किसी जगह के लिए समान तापमान के आंकड़ों का उपयोग किया जाता है, लेकिन इसे अधिक स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत किया गया तो इसने लोगों की जलवायु के प्रति उदासीनता को दूर करने में मदद की।

अध्ययन में कहा गया है कि लोग जलवायु परिवर्तन के बारे में कैसे तर्क करते हैं, इसके बारे में कैसे संवाद करते हैं और जलवायु संचार को कैसे बेहतर बनाते हैं। राजनीतिक और व्यक्तिगत अनुभव जलवायु परिवर्तन के बारे में खतरे की धारणाओं को कितना प्रभावित करते हैं और लोग कितनी जल्दी "सामान्य" को फिर से परिभाषित करते हैं।

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विज्ञान ने यह साबित कर दिया है कि लोगों के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है और जंगल की आग, सूखा, बाढ़, तूफान और समुद्र के स्तर में वृद्धि जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं।

अध्ययन में अध्ययनकर्ता के हवाले से कहा गया है कि सालों से हम यह मान रहे थे कि अगर जलवायु काफी खराब हो गई तो लोग कुछ करेंगे, कुछ बदलाव इतने छोटे हैं कि उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। शोध इस बात की जांच करता है कि लोग हमारे पर्यावरण में बुरे बदलावों के साथ मानसिक रूप से कैसे तालमेल बिठा रहे हैं।

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नेचर ह्यूमन बिहेवियर नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पहले अध्ययन प्रतिभागियों से एक काल्पनिक शहर में जलवायु के बारे में पूछा, जिसका नाम उन्होंने "टाउन्सविले" रखा और बाद में दूसरे समूह से दुनिया भर के पांच वास्तविक झील किनारे के शहरों के बारे में पूछा, जिसमें न्यूयॉर्क में लेक जॉर्ज और मिशिगन में ग्रैंड ट्रैवर्स बे शामिल हैं।

प्रयोग के दोनों चरणों में, वैज्ञानिकों ने अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों में से आधे को 1940 से 2020 तक तापमान में वृद्धि के ग्राफ दिखाए और दूसरे आधे को एक ग्राफ दिखाया जो दर्शाता है कि क्या तापमान के कारण झील हर सर्दियों में जम जाती है। चाहे तापमान का चार्ट हो या झील का जमना, चार्ट की प्रत्येक जोड़ी ने धीरे-धीरे गर्म होने वाली मौसम की जानकारी को एक ही तरह से तैयार किया।

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जैसे-जैसे तापमान धीरे-धीरे बढ़ता गया, झीलें उतनी बार जमना कम हो गई। वास्तविक शहरों के लिए, झील के बारे में सुनने वाले अध्ययन प्रतिभागियों ने आइस स्केटिंग और आइस फिशिंग जैसी गतिविधियों में गिरावट के बारे में भी जाना।

जब शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से एक से 10 तक रेटिंग देने के लिए कहा कि जलवायु परिवर्तन ने शहर को कितना प्रभावित किया, तो जिन लोगों ने तापमान की एक सीमा के बारे में सीखा, उन्होंने उन लोगों की तुलना में कम प्रतिक्रिया दी, जिन्होंने यह सीखा कि झील जम गई या नहीं, औसतन, 6.6, जबकि 7.5, या 12 फीसदी से अधिक का जवाब आया।

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अध्ययन में कहा गया कि स्थानीय परंपराओं से भावनात्मक जुड़ाव, चाहे वह सर्दियों में आइस स्केटिंग हो या गर्मियों में जंगल की आग के धुएं से मुक्ति, उदासीनता पर काबू पाने में भी मदद कर सकता है। अध्ययन जलवायु परिवर्तन पर चर्चा करने के महत्व को न केवल बदलते तापमान के संदर्भ में, बल्कि कठोर शब्दों में बताता है कि जीवन कैसे बदल गया है।

यह केवल गर्म सर्दियों की बात नहीं है, यह आइस हॉकी और व्हाइट क्रिसमस का भी नुकसान है। यह केवल गर्म गर्मियों की बात नहीं है, यह सूखे के कारण तैराकी के तालाबों का गायब होना या खतरनाक रूप से गर्म होने के कारण फुटबॉल मैच रद्द होना है।

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शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से उम्मीद जताई गई है कि ये नतीजे जलवायु परिवर्तन ग्राफिक्स के विज़ुअल को डिजाइन करने वाले या लगातार हो रहे बदलावों को स्पष्ट करने की कोशिश करने वाले लोगों, जलवायु से संबंधित आकड़ों का विज़ुअलाइजेशन करने वाले पेशेवरों से लेकर नीति निर्माताओं और पत्रकारों तक, सभी के लिए मददगार साबित होंगे।

इन क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को लगता है कि बाइनरी आंकड़े ज्यादा प्रभावी है और अध्ययन सावधानी पूर्वक जानकारी से संबंधित प्रयोगों का उपयोग करके सैद्धांतिक कठोरता को जोड़ता है। यह अध्ययन यह समझाने में भी मदद करता है कि 'अपनी क्षमता दिखाएं' विज़ुअलाइजेशन इतना आकर्षक क्यों है क्योंकि यह लगातार आंकड़ों का उपयोग करता है और इसे अधिक बाइनरी प्रारूप में प्रस्तुत करता है।

दुर्लभ घटनाओं, जैसे अत्यधिक गर्मी वाले दिन या हजार साल की बाढ़ या स्कीइंग या आउटडोर आइस स्केटिंग जैसे मौसमी समारोहों के धीरे-धीरे खत्म होने की बढ़ती दर पर गौर करके, शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि वही तापमान के आंकड़े, जो कभी जनता की उदासीनता का कारण बनते थे, अब लोगों को जलवायु संकट के बारे में अधिक सोच-विचार करने में मदद कर सकते हैं।

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