जलवायु परिवर्तन के कारण अब बर्फबारी सर्दियों के शुरूआती महीनों की बजाय गर्मियों के शुरुआती महीनों में होने लगी है।
हिमाचल प्रदेश में जहां इस बार नवंबर, दिसंबर और जनवरी में नाम मात्र की बर्फबारी हुई, वहीं मार्च और अप्रैल में रिकार्ड बर्फबारी देखने को मिली है।
बीते सप्ताह हिमाचल के अधिक उंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बर्फबारी हुई, वहीं मौसम विभाग ने एक बार फिर पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से 26 से 28 अप्रैल तक प्रदेश के 11 जिलों में बारिश और बर्फबारी को लेकर यलो अलर्ट जारी किया है।
हिमाचल के कबायली इलाकों किन्नौर और लाहौल स्पीति में तीन दिनों में तीन फीट से अधिक बर्फबारी हुई। लाहौल स्पीति जिले में सामान्य से 530 फीसदी से अधिक बर्फबारी रिकॉर्ड की गई, जबकि दिसंबर 2023 में हिमाचल प्रदेश -92 और जनवरी 2024 में -85 फीसदी बारिश व बर्फबारी दर्ज की गई थी।
अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में किसान-बागवान साल के केवल छह माह अक्टूबर माह तक ही खेतीबाड़ी कर पाते हैं। ऐसे में यहां पर बर्फबारी का क्रम अप्रैल के अंतिम दिनों तक चले रहने से इन क्षेत्रों में कृषि कार्याें में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
दूसरी ओर तापमान के कम होने से फलों की सेटिंग में भी असर देखने को मिल रहा है। सेब और अन्य स्टोन फ्रूट बहुल क्षेत्रों में बार-बार हो रही बारिश और तापमान के कम होने से फूल झड़ जा रहे हैं। इससे बागवानों को कम पैदावार होने को लेकर चिंता सताने लगी है।
वानिकी एवं बागवानी विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर किशोर शर्मा ने बताया कि फलों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हिमाचल प्रदेश में किसान-बागवानों के लिए अप्रैल माह बहुत महत्वपूर्ण होता है और इस दौरान फलों की अच्छी पैदावार के लिए मौसम सामान्य होना बहुत जरूरी होता है, लेकिन इस बार मौसम में बहुत उतार चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं।
शर्मा के मुताबिक मौसम में ठंडक आने से फूल आने और फ्रूट सेटिंग का काम प्रभावित हो रहा है और परागण करने वाली मधुमक्खियों की वजह से फूल से फल बनने में दिक्कत आ रही है।
शिमला जिला में कृषि विभाग के सब्जेक्ट मैटर स्पेशलिस्ट मुनीष सूद का कहना है कि मौसम के ठंडे होने की वजह से फलों के फूल गिर रहे हैं।
आपदा प्रबंधन के आंकडों के अनुसार बारिश और बर्फबारी के कारण हिमाचल प्रदेश में 87 सड़कें अवरूद्ध पड़ी हैं। वहीं बर्फबारी और बारिश की वजह से लेह लदाख को जोड़ने वाले दर्रों और कुंजुम पास को यातायात के लिए खोलने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।