जलवायु परिवर्तन के चलते भविष्य के शीतकालीन ओलंपिक पड़े खतरे में

इस अध्ययन में 339 उत्कृष्ट एथलीटों और कोचों का शीतकालीन ओलंपिक पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर एक सर्वेक्षण किया गया है
जलवायु परिवर्तन के चलते भविष्य के शीतकालीन ओलंपिक पड़े खतरे में
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अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के मुताबिक वह खेलों के लिए जलवायु परिवर्तन के खतरों से वाकिफ है। समिति ने कहा है कि वह जलवायु में हो रहे बदलाव को रोकने के लिए की जाने वाली कार्रवाई में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

पिछले ओलंपिक शीतकालीन खेलों (ओडब्ल्यूजी) को आयोजित किए गए स्थानों पर सर्दी का मौसम बदल रहा है। जलवायु परिवर्तन के खतरों को समझने के लिए एथलीटों का एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है जो इन बड़े खेलों का आयोजनों के दौरान खुद को खतरे में डालते हैं। 

एक नए अध्ययन के मुताबिक जलवायु परिवर्तन भविष्य में उत्तरी गोलार्ध में आयोजित होने वाले शीतकालीन ओलंपिक को सीमित कर सकता है। यह अध्ययन वाटरलू विश्वविद्यालय की अगुवाई में शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने किया है। इस अध्ययन में कनाडा, ऑस्ट्रिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के शोधकर्ता शामिल हैं।

इस अध्ययन में 339 उत्कृष्ट एथलीटों और कोचों का शीतकालीन ओलंपिक पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को लेकर के एक सर्वेक्षण किया गया है।

अध्ययन में पाया गया कि यदि दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में तेजी से कमी नहीं होती है, तब तक पहले शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी करने वाले 21 शहरों में से केवल एक ही रह जाएगा। यहीं 1 शहर जो बर्फ में खेले जाने वाले खेलों के लिए सुरक्षित स्थिति प्रदान कर सकता।

हालांकि अगर पेरिस जलवायु समझौते के उत्सर्जन लक्ष्यों को हासिल किया जाय, तो जलवायु के आधार पर शीतकालीन ओलंपिक आयोजन करने वाले शहरों की संख्या आठ हो सकती है, तब भी छह को आयोजन लायक नहीं माना जा सकता है।  

वाटरलू में भूगोल और पर्यावरण प्रबंधन के प्रोफेसर डैनियल स्कॉट ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के चलते तेजी से शीतकालीन खेलों की दुनिया बदल रही है। उन्होंने कहा कि जिन अंतरराष्ट्रीय एथलीटों और कोचों का हमने सर्वेक्षण किया है, वे ओलंपिक सहित प्रतियोगिता और प्रशिक्षण स्थानों पर प्रभाव देख रहे हैं।

अध्ययन करने के लिए शोधकर्ताओं ने 1920 के दशक से लेकर आज तक के ऐतिहासिक जलवायु के आंकड़ों और 2050 और 2080 के लिए भविष्य के जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों की समीक्षा की है।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय एथलीटों और कोचों का भी सर्वेक्षण किया और पाया कि 89 फीसदी ने महसूस किया कि बदलते मौसम के पैटर्न प्रतिस्पर्धा की स्थिति को प्रभावित कर रहे हैं। इनमें से 94 फीसदी को डर है कि जलवायु परिवर्तन उनके खेल के भविष्य को प्रभावित करेगा।

अध्ययनकर्ता नताली नोल्स ने कहा हम एथलीट के दृष्टिकोण से समझना चाहते थे कि किस जलवायु और बर्फ की स्थिति ने प्रतियोगिता को निष्पक्ष और सुरक्षित बनाया। फिर यह निर्धारित किया कि भविष्य में कौन से ओलंपिक का आयोजन करने वाले उन स्थितियों को प्रदान कर सकते हैं।

मौसम संबंधी खतरों के प्रबंधन अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि आयोजन करने वाले शहरों के औसत फरवरी के दिनों के तापमान में लगातार वृद्धि हुई है। 1920 से 1950 के दशक में आयोजित खेलों में तापमान 0.4 डिग्री सेल्सियस से, 1960 से 1990 के दशक के दौरान खेलों में 3.1 डिग्री सेल्सियस और इक्कीसवीं सदी (बीजिंग खेलों सहित) में आयोजित खेलों में तापमान 6.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा। हमारे द्वारा किए जा रहे उत्सर्जन के आधार पर 21वीं सदी में तापमान के 2 डिग्री सेल्सियस से 4.4 डिग्री सेल्सियस अतिरिक्त बढ़ने का अनुमान है।

वाटरलू के पर्यावरण संकाय के मिशेल रूटी ने कहा कि हमने कई तरीकों का अध्ययन किया है। जिसमें शीतकालीन ओलंपिक ने लगभग 100 साल पहले फ्रांस के शैमॉनिक्स में आयोजित पहले खेलों के बाद से मौसम संबंधी खतरों को कम किया है। लेकिन मौसम संबंधी खतरों का प्रबंधन करने की रणनीतियों का सामना करने की सीमाएं हैं और हमने देखा कि पहले से सोची गई सीमाएं वैंकूवर में पार हो गई हैं। 

ऑस्ट्रिया में इंसब्रुक विश्वविद्यालय के रॉबर्ट स्टीगर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन शीतकालीन ओलंपिक खेलों के भूगोल को बदल रहा है। दुर्भाग्य से, कुछ आयोजन करने वाले शहरों को शीतकालीन खेलों से बाहर कर देगा। भविष्य में कम उत्सर्जन के बाद भी यूरोप में अधिकांश खेलों का आयोजन करने वाले स्थानों का 2050 के दशक की शुरुआत तक सीमित होने का अनुमान है।

अर्कांसस विश्वविद्यालय के सियाओ मा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति को खेलों के लिए पुरस्कार देने के बारे में तेजी से कठिन निर्णय होंगे। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ एथलीट, जिन्होंने खेलों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है, ओलंपिक को ऐसी जगहों पर रखने के लायक हैं जो मज़बूती से सुरक्षित और निष्पक्ष प्रतियोगिताओं का आयोजन कर सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने जलवायु परिवर्तन को प्राथमिकता दी है क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र स्पोर्ट्स फॉर क्लाइमेट एक्शन फ्रेमवर्क का एक संस्थापक संगठन है।

स्कॉट ने कहा कि कोई भी खेल बदलते माहौल के प्रभावों से नहीं बच सकता। पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करना बर्फ में खेले जाने वाले खेलों को बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि हम इसे जानते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि दुनिया भर में शीतकालीन ओलंपिक का आयोजन करने के लिए एक जगह है।

नोल्स ने कहा कि खेल कई लोगों के लिए बदलाव का एक महत्वपूर्ण घटक हो सकता है। एथलीट समाधान का एक बड़ा हिस्सा बनना चाहते हैं। यह अध्ययन जर्नल करंट इशू इन टूरिज्म में प्रकाशित हुआ है।

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