भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि जलवायु में आते बदलावों के चलते हिंद महासागर, उत्तरी अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के मध्य में उन दिनों की संख्या बढ़ सकती है, जिनमें तूफानी लहरे उठती हैं।
इस बारे में विस्तृत जानकारी जर्नल क्लाइमेट डायनामिक्स में प्रकाशित हुई है। वैज्ञानिकों को डर है कि यह तटीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों के जीवन और संपत्ति को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकती है। ऐसे में समय पर चेतावनी और योजना इससे उबरने में मददगार हो सकती है।
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र में ऊंची लहरों का उठना ऐसी घटनाएं हैं जो हाल के दिनों में काफी बार देखी गई हैं। आशंका है कि यह घटनाएं तटीय आबादी, बुनियादी ढांचे और समुद्र से जुड़ी गतिविधियों से होने वाली जीविका को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं।
तूफान की तीव्रता और उसके मार्ग में होते बदलावों के साथ उठने वाली इन बेहद ऊंची लहरों में होने वाला बदलाव तटरेखा में बदलाव के साथ-साथ उसके क्षरण की दर को प्रभावित कर सकता है। इतना ही नहीं यह ऊंची लहरें बाढ़ आने की दशाओं और तटों से जुड़े अन्य खतरों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
जलवायु में आते बदलावों के चलते आने वाले लहरें और उसके परिणाम क्षेत्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर सामने आने लगे हैं। ऐसे में समय पर चेतावनी, तटीय योजनाओं और उनके प्रबंधन के लिए उच्च-आवृत्ति वाली इन लहरों, इनके परिणामों और भविष्य में इनमें होने वाले बदलावों की बेहतर समझ जरुरी हो जाती है।
इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नई दिल्ली, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना केंद्र, हैदराबाद के वैज्ञानिकों की एक टीम ने हिंद महासागर में उठती इन अत्यधिक ऊंची लहरों में होने वाले संभावित बदलावों का अनुमान लगाया है।
क्या कुछ निकलकर आया अध्ययन में सामने
वैज्ञानिकों द्वारा किए इस अध्ययन से पता चला है कि क्लाइमेट चेंज के आरसीपी 4.5 परिदृश्य में पूर्वी उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर के क्षेत्रों के साथ अरब सागर के उत्तरी क्षेत्र, बंगाल की मध्य खाड़ी में तूफानी लहरों के दिनों में वृद्धि होने की आशंका है।
वहीं आरसीपी 8.5 यानी उच्च उत्सर्जन परिदृश्य में हिंद महासागर के अधिकांश क्षेत्रों में तेज लहरों वाले दिनों की प्रवृत्ति में कमी आने की संभावना है। हालांकि उत्तरी अरब सागर और दक्षिणी हिंद महासागर के 48 डिग्री से परे के अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय क्षेत्र इसके अपवाद हैं।
इसके साथ ही आरसीपी 4.5 और 8.5 दोनों परिदृश्यों के तहत दक्षिण हिंद महासागर में ऊंची लहरों वाले दिनों में बदलाव होने का अनुमान है। साथ ही आरसीपी 8.5 के तहत उत्तरी अरब सागर, बंगाल की खाड़ी, दक्षिण-पूर्वी हिंद महासागर और दक्षिण हिंद महासागर में लहरों से प्रेरित तूफानों की अवधि के बढ़ने की भी आशंका वैज्ञानिकों ने जताई है।
रिसर्च से पता चला है कि दक्षिणी गोलार्ध में उच्च-आवृत्ति वाली लहर की घटनाओं के आयाम में होने वाले संभावित परिवर्तन समुद्र-स्तर के प्रेशर ग्रैडीएंट में होने वाले बदलावों से प्रेरित होते हैं। जो इक्कीसवीं सदी की इस अवधि के लिए सदर्न ऐन्नयुलर मोड (एसएएम) के अनुमानों के अनुरूप ही हैं।