चावल की गुणवत्ता में क्यों आ रही है गिरावट, वैज्ञानिकों ने बताई वजह

चीन में चावल की औसत गुणवत्ता का हेड राइस रेट (एचआरआर) 62 फीसदी था, लेकिन इसमें हर दशक में 1.45 फीसदी की कमी आई। जापान में, औसत एचआरआर थोड़ा अधिक 66 फीसदी था, जिसमें हर दशक में 7.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई
पैदावार के अलावा, चावल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है, जो स्वादिष्टता, पोषण संबंधी प्रोफाइल और मिलिंग गुणों के मिश्रण से तय होती है
पैदावार के अलावा, चावल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है, जो स्वादिष्टता, पोषण संबंधी प्रोफाइल और मिलिंग गुणों के मिश्रण से तय होती है फोटो साभार: अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई)
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दुनिया भर में अरबों लोग चावल का उपयोग मुख्य भोजन के रूप में करते हैं। पिछले 50 सालों में इसकी मांग दोगुनी हो गई है, मुख्य रूप से एशिया में उगाई जाने वाली धान की फसल दुनिया भर में निर्यात की जाती है। धान की फसल पर मौसम का बड़ा असर पड़ता है और इसलिए, यह समझना कि जलवायु परिवर्तन से पैदावार कैसे प्रभावित होती है, भविष्य में सतत खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सबसे जरूरी है।

पैदावार के अलावा, चावल की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है, जो स्वादिष्टता, पोषण संबंधी प्रोफाइल और मिलिंग गुणों के मिश्रण से तय होती है। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित शोध ने पूर्वी एशिया में चावल की गुणवत्ता में गिरावट को उजागर किया है, जो बदलते तापमान के साथ मेल खाता है।

शोधकर्ताओं ने जापान और चीन से चावल की गुणवत्ता के पैटर्न का पता लगाने के लिए 35 सालों में एकत्र किए गए आंकड़ों का उपयोग किया। यह हेड राइस रेट (एचआरआर) पर आधारित है, जो मिल्ड चावल के दानों के हिस्से की एक माप है जो मिलिंग के बाद अपनी लंबाई का 75 फीसदी हिस्सा बनाए रखता है, इस दौरान भूसी और चोकर को हटा दिया जाता है।

शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से बताया कि उन्होंने मॉडलिंग के माध्यम से कई जलवायु संबंधी बदलावों की जांच-पड़ताल की ताकि यह पता लगाया जा सके कि हेड राइस रेट (एचआरआर) पर किसका सबसे अधिक प्रभाव था।

ये बदलाव रात का तापमान, दिन का तापमान, रोजमर्रा का तापमान, रोजमर्रा का औसत तापमान, गर्म दिन, जो 30 से 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो, बारिश, बारिश की आवृत्ति, मिट्टी की नमी, सौर विकिरण, बादलों से छाया हिस्सा, सापेक्ष आर्द्रता, दिन के समय वाष्प दबाव की कमी, वाष्पोत्सर्जन और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा शामिल थी

आखिरकार वैज्ञानिकों ने निर्धारित किया कि रात का तापमान चावल की गुणवत्ता में कमी का मुख्य कारण हैं। विशेष रूप से, जैसे-जैसे रात का तापमान गर्म होता जाता है, गिरावट की एक बड़ी सीमा जापान में 12 डिग्री सेल्सियस और चीन में 18 डिग्री सेल्सियस पर शुरू होती है।

जब ऐसी परिस्थितियों में फूल और अनाज की वृद्धि होती है, तो अनाज में प्रकाश संश्लेषण और स्टार्च जमा होने की दर कम हो जाती है, जिससे चावल की गुणवत्ता कम हो जाती है क्योंकि अधिक अनाज टूटने के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं।

इसके बाद, हर दिन के सौर विकिरण चावल की गुणवत्ता में बदलाव में योगदान देने वाला दूसरा सबसे बड़ा कारण था, फिर हर दिन होने वाली बारिश और अंत में दिन के समय वाष्प दबाव की कमी इसके लिए जिम्मेवार थी।

चीन के लिए सभी जगहों और सालों में चावल की औसत गुणवत्ता का एचआरआर लगभग 62 फीसदी था, लेकिन इसमें हर दशक में 1.45 फीसदी की कमी आई। जापान में, औसत एचआरआर थोड़ा अधिक लगभग 66 फीसदी था, जिसमें हर दशक में 7.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

दोनों देशों में, उत्तरी से दक्षिणी प्रांतों में चावल की गुणवत्ता में कमी का एक मजबूत कारण है, जो हो सकता है दक्षिणी इलाकों के भूमध्य रेखा के करीब होने और इसलिए रात के उच्च तापमान से जुड़ा है।

इसके अलावा शोधकर्ताओं की टीम ने इस बात पर गौर किया कि मॉडल लगातार दिखाते हैं कि फसल की तारीख से 40 दिन पहले औसत जलवायु के आंकड़े उस उपज के लिए चावल की गुणवत्ता का एक अच्छा पूर्वानुमान लगा सकता था।

यह शोध इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मध्यम और उच्च उत्सर्जन परिदृश्यों के तहत अनुमानों से पता चलता है कि बढ़ते जलवायु परिवर्तन के साथ आने वाले दशकों में चावल की गुणवत्ता में गिरावट जारी रहेगी।

इस अध्ययन में 2020 और 2100 के बीच कम उत्सर्जन परिदृश्यों के लिए अनुमानों में जापान के लिए एचआरआर 0.5 फीसदी और चीन के लिए एचआरआर 1.5 फीसदी की कमी आई है। हालांकि, जैसे-जैसे मॉडल उत्सर्जन बढ़ता है, 2050 के बाद एचआरआर में और अधिक कमी आने का अनुमान है, जो हो सकता है 2100 तक चीन में पांच फीसदी से अधिक हो सकता है।

चीन में चावल की गुणवत्ता पर जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभाव जापान की तुलना में अधिक कठोर होने का अनुमान है, जिसमें स्थानिक संवेदनशीलता (तापमान वृद्धि के प्रति डिग्री लगभग 1.2 फीसदी की एचआरआर गिरावट) अस्थायी संवेदनशीलता (तापमान वृद्धि के प्रति डिग्री लगभग 0.7 फीसदी) से अधिक है।

इस प्रकार, चीन के दक्षिणी प्रांत रात के बढ़ते तापमान के अनुकूल होने में अधिक सीमित हो सकते हैं, जिसे दूर करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है क्योंकि ये चावल की खेती के मुख्य क्षेत्र हैं।

यह सब देखते हुए, चावल की किस्मों के जलवायु परिवर्तन की दर के साथ तालमेल बिठाने की संभावना आने वाले सालों में स्थायी खाद्य आपूर्ति, मानव पोषण और आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकती है।

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