जलवायु परिवर्तन से एचआईवी की रोकथाम व देखभाल में पड़ती है खलल

चरम मौसमी घटनाओं के कारण स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचता है, एचआईवी क्लीनिकों तक पहुंचने में मरीजों को दिक्कत होती है
जलवायु परिवर्तन से संबंधित चरम मौसम की घटनाएं, जैसे सूखा और बाढ़, एचआईवी की रोकथाम के बुरे परिणामों से जुड़ी पाई गई।
जलवायु परिवर्तन से संबंधित चरम मौसम की घटनाएं, जैसे सूखा और बाढ़, एचआईवी की रोकथाम के बुरे परिणामों से जुड़ी पाई गई।फोटो साभार: आईस्टॉक
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एक नए शोध में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम की घटनाएं एचआईवी की रोकथाम और देखभाल को कई तरह से प्रभावित करती हैं, जिसमें एचआईवी के संपर्क में वृद्धि, परीक्षण में कमी और एचआईवी से पीड़ित लोगों का स्वास्थ्य और भी बदतर होने का अंदेशा जताया गया है।

करंट ओपिनियन इन इन्फेक्शियस डिजीज में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण एचआईवी की रोकथाम और देखभाल में नई चुनौतियां सामने आ रही हैं।

टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में एचआईवी से जुड़े 22 अध्ययनों का विश्लेषण किया और चरम मौसम की घटनाओं तथा एचआईवी की रोकथाम और देखभाल के बीच कई संबंधों की भी पहचान की।

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जलवायु परिवर्तन से संबंधित चरम मौसम की घटनाएं, जैसे सूखा और बाढ़, एचआईवी की रोकथाम के बुरे परिणामों से जुड़ी पाई गई।

जलवायु परिवर्तन से संबंधित चरम मौसम की घटनाएं, जैसे सूखा और बाढ़, एचआईवी की रोकथाम के बुरे परिणामों से जुड़ी पाई गई।

चरम मौसम की घटनाएं एचआईवी के खतरों को बढ़ाने वाली प्रथाओं में वृद्धि से भी जुड़ी पाई गई, जैसे कि कंडोम के बिना मिलन जैसी चीजें नए एचआईवी संक्रमण में वृद्धि की ओर इशारा करते हैं। शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया कि जलवायु परिवर्तन कई रास्तों से एचआईवी की रोकथाम पर बुरा असर डालता है।

चरम मौसमी घटनाओं के कारण स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचता है और प्रवासन तथा विस्थापन में वृद्धि होती है, जिससे रोकथाम और परीक्षण के लिए एचआईवी क्लीनिकों तक पहुंच में रुकावट आती है। जलवायु परिवर्तन से निपटने से संबंधित संसाधनों की कमी के कारण एचआईवी के खतरों को बढ़ाने वाली प्रथाओं में भी वृद्धि देखी जा रही है।

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जलवायु परिवर्तन से संबंधित चरम मौसम की घटनाएं, जैसे सूखा और बाढ़, एचआईवी की रोकथाम के बुरे परिणामों से जुड़ी पाई गई।

अध्ययन में एचआईवी से पीड़ित लोगों के बीच एचआईवी देखभाल के लिए महत्वपूर्ण चीजों को भी सामने लाया गया है, जैसे कि संकमण को रोकने में कमी, सही तरीके से उपचार न करना और खराब शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य।

एचआईवी की देखभाल पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए अलग-अलग स्तरों की रणनीतियों की आवश्यकता है, जैसे कि लंबे समय तक एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी, दवा वितरण आपूर्ति में वृद्धि और समुदाय-आधारित दवा वितरण और आउटरीच कार्यक्रम।

शोधकर्ता मौजूदा शोध में कई कमियों को सामने लाए, जिसमें विशिष्ट चरम मौसम की घटनाओं जैसे, अत्यधिक गर्मी, जंगल की आग, तूफान और भौगोलिक क्षेत्रों में जलवायु में तेजी से होता बदलाव तथा बढ़ती एचआईवी दरों पर शोध की कमी शामिल है।

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जलवायु परिवर्तन से संबंधित चरम मौसम की घटनाएं, जैसे सूखा और बाढ़, एचआईवी की रोकथाम के बुरे परिणामों से जुड़ी पाई गई।

उन्होंने यौनकर्मियों, नशीली दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों और लिंग विविधता वाले लोगों सहित हाशिए पर रहने वाली आबादी के बीच चरम मौसम की घटनाओं और एचआईवी के बारे में जानकारी की लगातार कमी का भी वर्णन किया, साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि चरम मौसम की घटनाएं किस प्रकार उपचार में खलल डालती हैं।

शोध के अनुसार, एचआईवी से निपटने के लिए नए काम, जैसे कि मोबाइल फार्मेसी और स्वास्थ्य क्लिनिक, खाद्य और जल असुरक्षा को कम करने वाले काम, सभी चरम मौसम की घटनाओं के दौरान एचआईवी देखभाल को बेहतर बनाने में योगदान दे सकते हैं।

शोध में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के तहत एचआईवी रोकथाम और हस्तक्षेप रणनीतियों का परीक्षण करने के लिए अधिक शोध और मूल्यांकन की आवश्यकता है। आपदा तैयारी और एचआईवी देखभाल को एक साथ जोड़ना बदलती जलवायु में एचआईवी देखभाल को अनुकूलित करने के नए अवसर प्रदान करता है।

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