जलवायु परिवर्तन का मत्स्य पालन और कृषि सहित प्रमुख खाद्य उत्पादन करने वाले क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ने की आशंका जताई गई है। जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले इस नुकसान की भयावहता को समझना महत्वपूर्ण है।
इन बदलावों से समाज के किस हद तक प्रभावित होने के आसार हैं। क्या लोग इन बदलावों के कारण पड़ने वाले प्रभावों का सामना करने में समर्थ हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए पांच हिंद-प्रशांत देशों में अध्ययन किया गया।
अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों को मत्स्य पालन और कृषि दोनों से भोजन के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
जलवायु परिवर्तन का खाद्य उत्पादन करने वाले क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव पड़ने के आसार हैं। ये प्रभाव उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कृषि और मत्स्य पालन दोनों पर दिख सकते हैं। यह तटीय इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए दोहरा बोझ पैदा कर सकता है जो दोनों क्षेत्रों पर अत्यधिक निर्भर हैं।
उदाहरण के लिए 2100 तक उष्णकटिबंधीय क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के कारण हर साल 200 उपयुक्त पौधे उगाने वाले दिनों का नुकसान हो सकता है। इसी तरह, कुछ उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्र में मछली पकड़ने योग्य बायोमास 40 फीसदी तक गिर सकता है।
पिछले शोध से यह पता चला है कि दुनिया भर में कृषि और मत्स्य पालन जलवायु परिवर्तन का मुकाबला कैसे कर सकते हैं। लेकिन बड़े पैमाने पर लगाए गए ये पूर्वानुमान स्थानीय आधार पर सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ने पर बहुत कम मेल खाते हैं।
जोशुआ सिनर और उनके सहयोगियों ने इंडोनेशिया, मेडागास्कर, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस और तंजानिया में 72 तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए कृषि और मत्स्य पालन पर जलवायु परिवर्तन के कारण पड़ने वाले प्रभावों का पता लगाया।
शोधकर्ताओं ने बहुत अधिक उत्सर्जन वाले परिदृश्य (एसएसपी 5-8.5) और कम उत्सर्जन वाले परिदृश्य (एसएसपी 1-2.6) के तहत फसल उपज और मत्स्य पालन के नुकसान के मॉडल अनुमानों के साथ 3,000 से अधिक घरों से सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षणों को जोड़ा।
हालांकि समुदायों में भिन्नता है वे दोनों देशों के भीतर कमजोर हैं, कम सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले समुदाय विशेष रूप से गंभीर प्रभावों के संपर्क में हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि कृषि की तुलना में मत्स्य पालन के अधिक नुकसान होने के आसार हैं।
लेकिन सर्वेक्षण किए गए कई समुदायों को बहुत अधिक उत्सर्जन परिदृश्य के तहत कृषि और मत्स्य पालन दोनों को एक साथ भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। शोधकर्ताओं ने कहा कि कम उत्सर्जन परिदृश्य के तहत कम समुदायों को कृषि और मत्स्य पालन दोनों का नुकसान भी कम होगा।
शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष में कहा कि यह जलवायु परिवर्तन को कम करने से अधिक फायदे हो सकते हैं। यह शोध नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ है।