शोधकर्ताओं ने इन जलवायु प्रभावों का मुकाबला करने के लिए और आहार से संबंधित रोगों और मृत्यु दर को कम करने के लिए, इस रिपोर्ट के आधार पर सुझाव दिए हैं, जिसमे कहा गया है कि उच्च आय वाले देशों को शाकाहारी आहारों में तेजी लानी चाहिए। अध्ययनकर्ता इस बात पर जोर देते हैं कि इन आहारों और उनके पर्यावरणीय प्रभाव के जांच के आधार पर आहार संबंधी सिफारिशों को अपनाया जाना चाहिए, जिससे स्वास्थ्य और पोषण की जरूरतों, सांस्कृतिक प्राथमिकताओं आदि के बीच ताल-मेल बिठाया जा सके।
शोधकर्ता कहते है कि हमारे डेटा से पता चलता है कि आहार मे डेयरी उत्पाद की अधिक खपत ग्रीनहाउस गैस में बढ़ोत्तरी करता हैं। वहीं दूसरी ओर पोषण विशेषज्ञ मानते हैं कि डेयरी उत्पादों की बौनेपन की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, जो विश्व बैंक मानव विकास सूचकांक का एक घटक भी है। ब्लीम कहते हैं, अध्ययन के निष्कर्ष में इस कठिनाई को उजागर किया गया कि हर देश की आहार जरूरते अलग- अलग होती है, हम आहार सम्बंधित जरूरतों को पूरा करने की सिफारिशे नहीं कर सकते हैं।