भविष्य में भयानक दु्ष्प्रभाव पैदा कर सकता है सीओटू का उत्सर्जन

गहरे समुद्रों में करीब 2000 मीटर नीचे ऑक्सीजन की उपलब्धता में भारी कमी है, जिसके चलते यहां रहने वाले समुद्री जीवों में 25 फीसदी तक की बड़ी गिरावट देखी गई है।
Photo : Wikimedia Commons
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जीवनदाता ऑक्सजीन सतह पर जितना जरूरी है उतना ही जलीय जीवों के लिए गहरे समुद्रों में भी है। जलीय जीवों का जीवन ऑक्सीजन की उपलब्धता पर निर्भर करता है, जो समुद्र के पानी में गैस के रूप में घुल जाती है।हालांकि, चिंताजनक यह है कि महासागर में कई दशकों से लगातार ऑक्सीजन का नुकसान हो रहा है। दुनिया भर में पिछले 50 वर्षों में, लगभग 2 फीसदी का नुकसान हुआ है, यह क्षेत्रीय आधार पर कभी-कभार बहुत अधिक भी हो सकता है।

ऑक्सीजन की कमी का मुख्य कारण ग्लोबल वार्मिंग है, जो गैसों की घुलनशीलता में कमी के लिए जिम्मेदार है और इस तरह ऑक्सीजन की भी कमी हो रही है। एक नए अध्ययन से पता चलता है कि इन प्रक्रियाओं का सदियों तक जारी रहने की आशंका है, भले ही सभी तरह की सीओ 2 उत्सर्जन और पृथ्वी की सतह का गर्म होना तुरंत बंद ही क्यों हो जाए।  

जियोमार हेल्महोल्टज सेंटर फॉर ओशिएन रिसर्च किएल के अध्ययनकर्ता और प्रोफेसर एंड्रियास ऑस्क्लीज ने कहा कि अध्ययन में पृथ्वी प्रणाली के एक मॉडल का उपयोग किया गया है, जो इस बात का आकलन करता है कि अगर सभी तरह के सीओ 2 उत्सर्जन को तुरंत बंद कर दिया जाए तो लंबे समय में समुद्र में किस तरह का असर होगा। उन्होंने कहा कि परिणाम बताते हैं कि इस चरम परिदृश्य में भी, ऑक्सीजन की कमी सदियों तक जारी रहेगी।  

ऑक्सीजन की लंबे समय तक कमी मुख्य रूप से समुद्र की गहरी परतों में होती है। प्रो. ऑस्क्लीज ने कहा कि इससे समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर भी प्रभाव पड़ता है। एक 'मेटाबोलिक इंडेक्स' जो ऑक्सीजन में सांस लेने वाले जीवों की अधिकतम संभावित गतिविधियों को मापता है। विशेष रूप से गहरे समुद्र में, जहां गहराई 2000 मीटर से नीचे होती है, वहां ऑक्सीजन में 80 फीसदी तक की कमी देखी गई है, जिसके चलते यहां रहने वाले समुद्री जानवरों में 25 फीसदी तक की गंभीर गिरावट देखी गई है।   

समुद्र विज्ञानी बताते हैं कि जीवों के निवास स्थानों में बड़े बदलाव के आसार हैं, जिसे पहले बहुत स्थिर माना जाता था, इन परिवर्तनों को हमारे ऐतिहासिक सीओ2 उत्सर्जन द्वारा पहले ही शुरू कर दिया गया है और अब इसके कारण गहरे महासागर प्रभावित हो रहे हैं।

अध्ययनकर्ता इस बात की सिफारिश करते है कि गहरे समुद्र में रहने वाले जीवों के निवास स्थानों की एक व्यापक जांच होनी चाहिए, जिसका केवल अब तक फौरी तौर पर अध्ययन किया गया है। समुद्र के वातावरण में लगातार होने वाले इन बदलावों को, कई सदियों से स्थिर माना जा रह था, अब ऑक्सीजन की अपेक्षित कमी के कारण इसमें कई तरह के बदलाव होने की आशंका है। 

नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि समुद्र की ऊपरी परतों में मॉडल ने दिखाया है कि जलवायु बदलावों पर तुरंत कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। यदि उत्सर्जन को रोक दिया गया तो कुछ वर्षों के भीतर अपेक्षाकृत सतह में ऑक्सीजन की कमी को कम से कम क्षेत्रों तक फैलने से रोका जा सकता है।  इसलिए एक महत्वाकांक्षी जलवायु नीति को लागू करने की आवश्यकता है, जो समुद्र की सतह की पारिस्थितिकी प्रणालियों में ऑक्सीजन की कमी को रोकने में मदद कर सकती है।

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