क्या कैलिफोर्निया दावानल जलवायु परिवर्तन का परिणाम है?
हॉलीवुड के गढ़ व कैलिफोर्निया का चमकता शहर लॉस एंजिलिस आग की चपेट में है। गत 7 जनवरी से हॉलीवुड सुलग रहा है। लॉस एंजिलिस के कई हिस्सों में दावानल से दो लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं तथा दो दर्जन से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई हैं। इस जंगली आग से 200 वर्ग किलोमीटर इलाका खाक हो चुका है और पन्द्रह हजार से ज्यादा इमारतें नष्ट हो गई हैं। बड़े - बड़े हॉलीवुड सितारों के खूबसूरत आशियाने जल गए और वे बेघर हो गए। अमेरिका अब तक की सबसे भीषण आग से झुलस रहा है।
अमेरिका के ‘नेशनल ओसियानिक एंड एटमास्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (नोआ)' का मानना है कि पिछले दो दशकों में पश्चिमी अमेरिका में जलवायु परिवर्तन के कारकों की अनदेखी ने जो परिस्थितियां पैदा की हैं, वे इस आग के लिए मुख्यत: जिम्मेदार हैं।
यह आग प्रशांत महासागर तट पर स्थित पैलिसेड्स में लगी और तेजी से अन्य इलाकों में फैल गई। इस आपदा से अन्य प्रभावित क्षेत्र ईटन, हर्स्ट, लिडिया, केनेथ, ह्यूजेस और सनसेट हैं।
इस वनाग्नि के सबसे अहम कारक सांता एना पवन के डायनामिक्स तथा यहां सूखे की स्थिति को समझना जरूरी है। सांता एना पवनें कैलिफोर्निया के जलवायु पैटर्न का एक स्वाभाविक हिस्सा हैं और आमतौर पर यें अक्टूबर से जनवरी तक प्रवाहित होती हैं। सिएरा नेवादा और रॉकी पर्वतमाला के बीच ग्रेट बेसन में उच्च वायुदाब तथा प्रशांत महासागर तट के पास निम्न वायुदाब का क्षेत्र विकसित होने पर यें पवनें दक्षिणी कैलिफोर्निया तट की ओर बहती हैं।
यहां पर्वतीय स्थलाकृति भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सांता एना ऑफ-शोर पवनें हैं जो ग्रेट बेसिन व मोजावे मरुस्थल से प्रशांत महासागर की और चलती है। जैसे-जैसे यें सांता एना हवाएँ सैन गैब्रियल, सिएरा नेवादा, सांता मोनिका और सांता एना पर्वतों से नीचे उतरती हैं, वे शुष्क और गर्म हो जाती हैं। आइए इसके पीछे का विज्ञान समझते है।
वायु के ऊर्ध्वाधर रूप में ऊपर या नीचे जाने के कारण बिना अतिरिक्त ऊष्मा मिलाए तापमान में परिवर्तन आ जाता है। वायु में अंत:क्रिया (फैलने या सिकुड़ने) के कारण तापमान में परिवर्तन को रुद्धोष्म परिवर्तन कहते है। जब कोई असंतृप्त वायु ऊपर उठती है तो उसका तापमान प्रति 1000 मीटर पर 10 डिग्री सेंटीग्रेड कम हो जाता है।
इसके उल्ट जब ऊंचाई से वायु नीचे उतरती है तो अधिक वायुमंडलीय भार के कारण सिकुड़ती है तथा तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेड प्रति 1000 मीटर की दर से बढ़ता है। इसे शुष्क रुद्धोष्म (एडियाबेटिक) दर कहते है। बढ़ते तापमान से सापेक्षिक आर्द्रता में कमी आती है और पवन गर्म व शुष्क हो जाती है।
कैलिफोर्निया में भूमध्य सागरीय जलवायु है जिसमें शीतकाल में वर्षा होती है एवं ग्रीष्मकाल शुष्क होता है। पिछली दो सर्दियों में यहां भारी वर्षा हुई, जिससे वनस्पति वृद्धि को बढ़ावा मिला। यहां झाड़ीनुमा चैपरल वनस्पति पाई जाती हैं। इस वर्ष की असामान्य रूप से शुष्क सर्दियों ने लॉस एंजिलिस में वनस्पति को सुखा दिया, जिससे यह जंगल की आग के लिए ईंधन बन गई है।
आमतौर पर, शरद ऋतु में दक्षिणी कैलिफोर्निया में अब तक इतनी बारिश हो चुकी होती है कि नमी की उपस्थिति में वनस्पति आसानी से जलती नहीं है। इस वर्ष, दक्षिणी कैलिफोर्निया में बहुत शुष्क व खतरनाक सूखे की स्थिति देखी गई है।
ऐसे में सौ किलोमीटर प्रति घंटा से भी ज्यादा रफ्तार से प्रचलित तीव्र गर्म व शुष्क सांता एना पवनों ने आग को फैलाने में अहम् भूमिका निभाई हैं। मौसम की ऐसी चरम परिघटनाओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देखा जा रहा है।
कैलिफोर्निया में पहले की तुलना में अधिक विनाशकारी आग देखी जा रही है। जनसंख्या वृद्धि के कारण अब अधिक लोग जंगली इलाकों के किनारों पर रहते हैं।अमेरिका के जिन इलाको में आग फैली है, अमीर लोगों ने वहां की प्राकृतिक सुंदरता पर रीझ कर आलीशान घर बनाए हैं।
नई बसावट के साथ पावर ग्रिड का भी विस्तार हुआ है। इससे आग लगने के अधिक अवसर पैदा होते हैं। बिजली लाइनों के गिरने या पेड़ की शाखाओं से टकराकर आग लगने का खतरा अधिक होता है। बड़े पैमाने पर लगने वाली जंगली आग गर्म व शुष्क सांता एना हवाओं के दौरान मानवीय गतिविधियों के कारण लगती हैं। यहां लकड़ी से बने भूकंपरोधी घर बने हैं। जिससे आग आस-पड़ोस में तेजी से फैलती है।
मृदा-क्षरण, जैव विविधता की हानि व संपत्ति एवं जीवन के विनाश की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं। आग बुझाने के लिए फायर फाइटर्स पानी की कमी का सामना कर रहे हैं, यह कैलिफोर्निया में जल-कुप्रबंधन का परिणाम है। अमेरिकी अधिकारी आग को बुझाने या आग को धीमा करने के लिए फॉस-चेक (अग्निरोधी) का उपयोग कर रहे हैं, जिसमें अमोनियम पॉलीफॉस्फेट जैसे लवण और क्रोमियम और कैडमियम जैसी जहरीली धातुएं होती हैं, जो मनुष्यों में कैंसर, किडनी और लीवर की बीमारियों का कारण बन सकता है।
अग्निरोधी में गुलाबी रंग मिलाया जाता है, ताकि फायर फाइटर्स इसे धरातल पर पहचान सकें। जंगल में आग को आगे बढ़ने से रोकने के लिए एक अन्य तरीके के अंतर्गत सीमित तरीके से आग लगाई जाती है। इसे कंट्रोल्ड बर्न भी कहते है। जिस क्षेत्र में आग आगे बढ़ रही होती है, उसके चारों तरफ के पेड़-पौधों को जला दिया जाता हैं। इससे आग को आगे सूखे हुए पेड़ यानी ईंधन नहीं मिलता और वह बुझ जाती है।
पिछले पचास सालों में कैलिफोर्निया के जंगलों में 75 से ज्यादा बार आग लग चुकी है। जब आग बुझ भी जाएगी तब भी रिकवरी में लंबा समय लगेगा और सूखे से त्रस्त कैलिफोर्निया में आग लगने का खतरा हमेशा बना रहेगा। ऐसे में यह शहर 2028 में होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक और 2026 में फीफा विश्व कप मैचों की मेजबानी करने के लिए कितना तैयार है? समय रहते जलवायु परिवर्तन के प्रकोप तथा प्रकृति- विरुद्ध बढ़ती मानवीय गतिविधियों के न्यूनीकरण की आवश्यकता है।
बकौल कैफ भोपाली, आग का क्या है, पल दो पल में लगती है, बुझते बुझते एक जमाना लगता है।
लेखक डॉ. सुभाष चंद्र यादव, असिस्टेंट प्रोफेसर, भूगोल एवं डॉ. बबीता, प्रोफेसर, भूगोल एल.बी.एस.राजकीयमहाविद्यालय,कोटपुतली, राजस्थानमें कार्यरतहैं एवं एडिलेड विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में विजिटिंग स्कॉलर रहे हैं। लेख में व्यक्त लेखकों के निजी विचार हैं