वाइल्डलाइफ इकोलॉजिस्ट एसोसिएट प्रोफेसर टोपा पेटिट के नेतृत्व में किए गए शोध में पाया गया कि चीनी खाने वाली चींटियां मूत्र में पाई जाने वाली चीनी को पसंद करती हैं। रात के समय भोजन की खोज करने वाले ये जीव मूत्र से नाइट्रोजन के अणुओं को निकालते है। जिससे ग्रीनहाउस गैस के रूप में निकलने वाली नाइट्रस ऑक्साइड का निकलना बंद हो सकता है। यह शोध ऑस्ट्रल इकोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
अध्ययन में ऑस्ट्रेलियाई चीनी खाने वाली चींटियों को शामिल किया गया, जिन्हें “कैंपोनोटस टेरेब्रेनस” कहा जाता है। इनके व्यवहार की तुलना मूत्र में पाए जाने वाले विभिन्न मिश्रणों से की गई। सामान्यत: मानव और कंगारू के मूत्र, जिसमें लगभग 2.5 फीसदी यूरिया, 20 फीसदी चीनी और 40 फीसदी पानी होता है। तुलना के लिए पानी में यूरिया के अलग-अलग स्तर मिलाए गए, जिसमें 2.5 फीसदी, 3.5 फीसदी, 7 फीसदी और 10 फीसदी थे, यहां चीनी की चींटियों में यूरिया के मिश्रण के प्रति अधिक आकर्षित पाई गई।
एसोसिएट प्रोफेसर पेटिट का कहना है कि यह एक अनोखी खोज है, जिसमें नाइट्रोजन साइकलिंग में चींटियां अहम भूमिका निभा सकती है।जब हमने पहली बार चींटियों को सूखे मूत्र को खुरचते हुए देखा तो इसे महज संयोग माना, लेकिन शोध के तहत हमने पाया कि चींटियों ने हर रात यूरिया वाले भाग को खोदा और जहां यूरिया की मात्रा अधिक थी, वहां चींटियां भी अधिक संख्या में पाई गई।
कैंपोनोटस टेरेब्रेनस प्रजाति की चीटियां मूत्र में यूरिया की तलाश करती हैं, क्योंकि कुछ अन्य चींटी प्रजातियों के समान उनके पाचन तंत्र में एक जीवाणु उन्हें प्रोटीन के लिए यूरिया से नाइट्रोजन प्राप्त करने के लिए दबाव डालता है।
चींटियों में सूखी जमीन से यूरिया निकालने की अद्भुत क्षमता होती है, बल्कि वे शुष्क परिस्थितियों में भी जीवित रह सकती हैं। चींटियां मूत्र से निकलने वाली अमोनिया को कम कर सकती हैं, जिससे नाइट्रस ऑक्साइड का उत्पादन होता है, जो एक अत्यधिक सक्रिय ग्रीनहाउस गैस है।
नाइट्रस ऑक्साइड (एनओ2) एक ग्रीनहाउस गैस है जो कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 300 गुना अधिक शक्तिशाली है। और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की तुलना में कम मात्रा में होने के बावजूद वातावरण में इसकी उपस्थिति में पिछले एक दशक में काफी वृद्धि हुई है। नाइट्रस ऑक्साइड की मात्रा ज्यादातर उर्वरकों के व्यापक उपयोग से बढ़ी है।
चीनी की चींटियों की क्षमता शुष्क, रेतीले वातावरण में पनपने और नाइट्रोजन के स्रोतों का उपयोग अन्य प्रजातियों से अधिक प्रभावशाली तरीके से कर सकती हैं।
चराई और असिंचित भूमि पर जैव-संकेतक के रूप में चींटियों पर काम करने वाले शोधकर्ताओं को चाहिए कि वे चींटियों द्वारा यूरिया को अलग करने की क्षमता का उपयोग करना चाहिए।