भविष्य में अपना अधिकतर समय पेड़ों पर ही बिताएंंगी छिपकलियां!

अध्ययन के मुताबिक, जलवायु संकट और अत्यधिक गर्मी जानवरों को अधिक आरामदायक जगहों की तलाश करने के लिए मजबूर करती है, जैसे हम गर्म दिन में छायादार क्षेत्र की तलाश करते हैं
जलवायु संकट और अत्यधिक गर्मी जानवरों को अधिक आरामदायक जगहों की तलाश करने के लिए मजबूर करती है, फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, पिंकू हलदर
जलवायु संकट और अत्यधिक गर्मी जानवरों को अधिक आरामदायक जगहों की तलाश करने के लिए मजबूर करती है, फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, पिंकू हलदर
Published on

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में लगातार जंगलों को काटे जाने के साथ-साथ भीषण गर्मी की घटनाएं जानवरों की कई प्रजातियों के लिए विनाशकारी हो सकती हैं। यह अध्ययन तेल अवीव विश्वविद्यालय (टीएयू) और कोलोराडो विश्वविद्यालय (सीयू) के अध्ययनकर्ताओं की अगुवाई में किया गया है। 

अध्ययन में शोधकर्ताओं ने छिपकलियों पर गौर किया और देखा कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बाद वे गर्म जमीन को छोड़कर पेड़ों पर शरण ले रही हैं। इस बात की आशंका जताई गई है कि भविष्य में छिपकलियां अपना अधिकतर समय पेड़ों पर ही बिताएंगे।

हालांकि, मानवजनित गतिविधियों, जैसे कि जंगलों को काटे जाने, शहरीकरण और प्राकृतिक भूमि को कृषि भूमि में तब्दील करने से उन क्षेत्रों में पेड़ों की उपलब्धता कम हो जाएगी जहां छिपकलियां रहती हैं और इससे कई जीवों का पतन हो सकता है। यह अध्ययन नेचर क्लाइमेट चेंज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन में शोधकर्ता बताते हैं कि जलवायु संकट और अत्यधिक गर्मी जानवरों को अधिक आरामदायक जगहों की तलाश करने के लिए मजबूर करती है, जैसे हम गर्म दिन में छायादार इलाकों की तलाश करते हैं।

जो जानवर पेड़ों पर चढ़ना जानते हैं, उनके लिए पेड़ आरामदायक और सुखद आश्रय के रूप में काम कर सकते हैं। इसका एक कारण यह है कि आप जमीन से जितना दूर जाएंगे, हवा का तापमान उतना ही कम होगा और हवा उतनी ही तेज होगी।

इसलिए, उदाहरण के लिए गर्म दिनों में, जानवर गर्म जमीन से बचने के लिए पेड़ पर चढ़ सकते हैं। जलवायु गर्म होने के साथ-साथ पेड़ों का महत्व बढ़ने की उम्मीद है।

समस्या यह है कि दुनिया में कई स्थानों पर पेड़ों का घनत्व वास्तव में कम हो रहा है, जिसका मुख्य कारण जंगलों की कटाई और निर्माण आदि जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए पेड़ों का बढ़ता उपयोग है।

इससे ऐसी स्थिति पैदा हो रही है, जहां एक ओर, जलवायु परिवर्तन के कारण, जानवर अपने अस्तित्व के लिए पेड़ों पर अधिक निर्भर होंगे, वहीं दूसरी ओर, आवासों के नष्ट होने से पेड़ों की उपलब्धता में कमी आएगी।

अध्ययन के हवाले से शोधकर्ता ने कहा कि हम यह जांचना चाहते थे कि इन दोनों प्रक्रियाओं का जुड़ा हुआ प्रभाव जानवरों पर क्या होगा। विशेष रूप से, हमने छिपकलियों पर गौर किया, क्योंकि वे शरीर के सामान्य तापमान को बनाए रखने के लिए अपने पर्यावरण पर बहुत निर्भर हैं और रहने के लिए आरामदायक स्थानों की कमी उन्हें प्रभावित कर सकती है।

अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने अनुकरण करने के लिए एक कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग किया कि छिपकली को 20 वर्षों तक, हर मिनट, धूप में, छाया में या पेड़ पर होना चाहिए। अतीत में मौजूद और भविष्य में अपेक्षित जलवायु स्थितियों के तहत, पता लगाया गया कि पेड़ उपलब्ध होने पर छिपकलियों की आबादी जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित होगी और पेड़ों को काटे जाने  के बाद उनकी स्थिति कैसे बदलेगी। 

अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि, जलवायु परिवर्तन से वास्तव में छिपकलियों की आबादी को लाभ होने वाला है। अधिकांश स्थानों पर, अपेक्षित गर्मी छिपकलियों को पूरे दिन और पूरे वर्ष अधिक समय तक सक्रिय रहने में मदद करेगी, क्योंकि ऐसे समय कम होंगे जब उनके लिए अपने बिलों से बाहर निकलने के लिए बहुत ठंड होगी।

हालांकि, जब पेड़ों को काटे जाने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन होता है, तो प्रवृत्ति उलटने की आशंका होती है, जिससे छिपकलियों की कई आबादी खत्म हो सकती है।

गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में, जलवायु परिवर्तन से, भले ही कोई पेड़ न काटा जाए, छिपकली की आबादी को नुकसान पहुंचने की आशंका है और पेड़ों को काटने से स्थिति और भी बदतर हो जाएगी।

अध्ययन के मुताबिक, छिपकलियों के बारे में वास्तव में दिलचस्प बात यह है कि उन्हें एक बहुत ही अलग जलवायु और आवास वातावरण में जाने के लिए पेड़ के तने के चारों ओर थोड़ी दूरी तक चलने में सक्षम होना चाहिए।

ये छोटे आवास विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं जब हम सोचते हैं कि हम अपने प्राकृतिक पर्यावरण को कैसे बदलते हैं और संरक्षण संबंधी निर्णय लेते हैं।

अध्ययन में कहा गया है कि शोध छिपकलियों पर आधारित है, लेकिन यह वास्तव में एक व्यापक समस्या को प्रदर्शित करता है जो जानवरों की कई प्रजातियों के लिए प्रासंगिक है।

अध्ययन के परिणाम दर्शाते हैं कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए जानवरों की क्षमता के लिए पेड़ बेहद महत्वपूर्ण हैं और कई मामलों में उनकी उपलब्धता, जानवरों के लिए, रेंगने और ढहने के बीच का अंतर हो सकती है।

अध्ययन के मुताबिक, बदलती जलवायु के मद्देनजर शोध यह साबित करता है कि सामान्य रूप से जंगलों और पेड़ों को संरक्षित करना कितना महत्वपूर्ण है।

शोध के हिस्से के रूप में, निर्णय निर्माताओं के लिए अधिक व्यावहारिक उपकरण भी प्रदान करते हैं, जैसे कि विभिन्न क्षेत्रों में आवश्यक पेड़ों की ऊंचाई या घनत्व। अध्ययन के हवाले से शोधकर्ता ने उम्मीद जताई है कि इस शोध का उपयोग प्राकृतिक क्षेत्रों के संरक्षण और बहाली के लिए अधिक प्रभावी कार्यक्रम बनाने के लिए किया जाएगा, ताकि हम जानवरों को जीवित रहने के लिए आवश्यक चीजें प्रदान कर सकें।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in