बढ़ते वायुमंडलीय मीथेन को कम करने लिए कृषि और उद्योग पर देना होगा ध्यान : अध्ययन

वैश्विक मीथेन उत्सर्जन के लिए मानव गतिविधियों को लगभग 60 फीसदी तक जिम्मेवार माना जाता है, जिसमें कृषि, लैंडफिल, तेल और गैस से संबंधित गतिविधियां शामिल हैं।
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स
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जलवायु परिवर्तन के चलते आर्कटिक और उष्णकटिबंधीय इलाकों में गर्मी तेजी से बढ़ रही है। जहां प्राकृतिक आर्द्रभूमि कार्बन की बड़ी मात्रा को जमा करती है और मीथेन का उत्सर्जन करती है।

जैसे-जैसे जलवायु गर्म होती जा रही है, इस बात की चिंता बढ़ गई है कि आर्द्रभूमि की मीथेन का उत्सर्जन भी बढ़ेगा। जो वायुमंडलीय ग्रीनहाउस गैसों और जलवायु परिवर्तन में और भी अधिक बढ़ोतरी करेगा।

2007 के बाद से, वायुमंडलीय मीथेन की दर तेजी से बढ़ी है। 2020 में मीथेन की व्यवस्थित माप शुरू होने के बाद से इसमें सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई है।

सटीक कारणों को निर्धारित करना मुश्किल है क्योंकि मीथेन प्राकृतिक और विभिन्न प्रकार के मानव गतिविधियों से उत्सर्जित होती है और मीथेन का निष्कासन जटिल रासायनिक प्रक्रियाओं से होता है।

अध्ययन में मीथेन स्थिर समस्थानिकों पर नए आंकड़ों का उपयोग किया गया है। जिसमें हजारों संभावित उत्सर्जन परिदृश्यों को शामिल किया गया है। कृषि, अपशिष्ट लैंडफिल और जीवाश्म ईंधन उद्योग सहित मानवजनित स्रोतों से उत्सर्जन में होने वाले वृद्धि के बारे में नए सिरे से पता लगाया गया हैं।

2007 के बाद से शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस में भारी वृद्धि देखी गई है, जबकि दुनिया भर के आर्द्रभूमि 20 फीसदी से कम के योगदान के साथ एक बहुत छोटी भूमिका निभाती है।

मीथेन एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है जिसमें पिछले 20 सालों की अवधि में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 80 गुना अधिक तापमान को बढ़ाया है। औद्योगिक क्रांति के बाद से यह लगभग आधे से अधिक ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार है।

मीथेन जमीनी स्तर के ओजोन प्रदूषण को भी बढ़ाने के लिए जिम्मेवार है और इस प्रकार मीथेन उत्सर्जन से निपटने से अल्पकालिक जलवायु लाभ के साथ-साथ वायु गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

2007 के बाद से, वायुमंडलीय मीथेन की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। 2014 के बाद और वृद्धि के कारणों पर प्राकृतिक प्रक्रियाओं बनाम मानव गतिविधियों के योगदान के संदर्भ में बहस जारी है। 

ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के ग्लोबल मीथेन बजट के अनुसार, दुनिया भर में मीथेन उत्सर्जन का लगभग एक तिहाई प्राकृतिक आर्द्रभूमि में सूक्ष्मजीवों से आता है। सूक्ष्मजीव कार्बनिक पदार्थ को विघटित करते समय मीथेन का उत्पादन करते हैं जहां कोई ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं होती है।

वैश्विक मीथेन उत्सर्जन के लिए मानव गतिविधियों को लगभग 60 फीसदी तक जिम्मेवार माना जाता है, जिसमें कृषि, अपशिष्ट लैंडफिल, तेल और गैस गतिविधियां शामिल हैं। जिसमें से हर एक का वैश्विक मीथेन उत्सर्जन में 20 से 25 फीसदी तक का हिस्सा है। इसका मतलब यह है कि प्राकृतिक आर्द्रभूमि में बढ़ते तापमान में कोई भी बदलाव संभावित रूप से वायुमंडलीय मीथेन के स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं।

वैज्ञानिकों ने विभिन्न ग्रीनहाउस गैस इन्वेंट्री और आर्द्रभूमि या वेटलैंड मॉडल के आंकड़ों का उपयोग करके उत्सर्जन परिदृश्यों के एक व्यापक सेट का परीक्षण किया। जिसमें उन्होंने पाया कि बड़ी आर्द्रभूमि मीथेन वृद्धि मानने वाले उत्सर्जन परिदृश्य देखे गए, जो वायुमंडलीय समस्थानिक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाते हैं। इसके विपरीत, मानव गतिविधियों से जुड़े मीथेन उत्सर्जन स्रोत देखे गए जो वायुमंडलीय समस्थानिकों से बेहतर मेल खाते हैं।

यह कार्य कृषि से होने वाले उत्सर्जन के लिए मीथेन वृद्धि का एक विस्तृत श्रेय प्रदान करता है। जिसमें 2000 से 2017 तक लगभग 20 फीसदी की वृद्धि हुई है। जो पशुधन की बढ़ती आबादी, लैंडफिल और अपशिष्ट उत्सर्जन में 1 करोड़ मीट्रिक टन की वृद्धि हो सकती है।

जिसका मुख्य कारण दुनिया भर में 2000 से 2017 तक शहरी आबादी में 40 फीसदी से अधिक की वृद्धि होना है। तेल और प्राकृतिक गैस उद्योग से उत्सर्जन में बड़ी अनिश्चितता के साथ 50 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि हुई है और इसी अवधि से वैश्विक स्तर पर कोयले के उत्पादन में 40 फीसदी की वृद्धि हुई है। 

अध्ययन की अगुवाई करने वाले तथा यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड कॉलेज पार्क के अर्थ-सिस्टम के शोधकर्ता जेन झांग कहते हैं कि बढ़ती हुई मानवीय गतिविधियां स्पष्ट रूप से बढ़ते वायुमंडलीय मीथेन की मात्रा के मुख्य कारण के रूप में उभरी है। यह अध्ययन नेशनल साइंस रिव्यु में प्रकाशित हुआ है। 

आर्द्रभूमि के मीथेन उत्सर्जन पर जलवायु की मजबूत प्राकृतिक प्रतिक्रिया का कोई सबूत अभी तक मौजूद नहीं है। क्योंकि भविष्य में इसकी संभावित प्रमुख भूमिका के बावजूद तापमान बढ़ जाता है।

मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के एक शोध वैज्ञानिक बेंजामिन पॉल्टर ने कहा की यह अध्ययन मीथेन के स्रोतों को अलग करने और बेहतर ढंग से समझने की तकनीक के रूप को दर्शाता है। जलवायु परिवर्तन प्रतिक्रियाओं का पता लगाने के लिए आर्द्रभूमि क्षेत्रों पर मीथेन की निरंतर और रणनीतिक सुझाओं की आवश्यकता होती है। हर साल जलवायु के गर्म होने की आशंका बढ़ रही है।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के लिए पार्टियों के हालिया 26वें सम्मेलन में भी कहा गया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक आवश्यक घटक के रूप में मीथेन को कम करने पर प्रकाश डाला गया। यह अध्ययन दर्शाता है कि मानवीय गतिविधियों के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में शमन का वायुमंडलीय मीथेन के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

जेन झांग ने कहा की पर्याप्त शमन कार्यों के बिना, हम मीथेन को नियंत्रित करने का अवसर गंवा देंगे क्योंकि प्राकृतिक प्रतिक्रिया के साथ हमारे पास कोई समाधान नहीं होगा।

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