डॉल्फिन की त्वचा के 70 फीसदी हिस्से में हुआ रोग, जलवायु परिवर्तन है जिम्मेवार

इस अध्ययन में पहली बार ताजे पानी वाली बॉटलनोज़ डॉल्फ़िन की त्वचा की बीमारी के बारे में विस्तार से बताया गया है।
डॉल्फिन की त्वचा के 70 फीसदी हिस्से में हुआ रोग, जलवायु परिवर्तन है जिम्मेवार
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दुनिया के सबसे बड़े समुद्री स्तनधारी केंद्र के वैज्ञानिकों और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों ने डॉल्फ़िन में एक नए त्वचा रोग की पहचान की है, जो जलवायु परिवर्तन से जुड़ा है। यह बीमारी 2005 में पहली बार सामने आई थी। अब पहली बार वैज्ञानिक दुनिया भर के तटीय डॉल्फिनों को प्रभावित करने वाली स्थिति के कारणों का पता लगाने में सफल हुए हैं। जलवायु परिवर्तन द्वारा पानी के खारेपन में कमी के कारण, डॉल्फ़िन अपने शरीर के चारों ओर चकतीदार और उभरी हुए त्वचा, एक तरह के घावों को विकसित करती हैं। ये घाव कभी-कभी उनकी त्वचा के 70 प्रतिशत हिस्से तक फैल जाते हैं।

इस अध्ययन में पहली बार ताजे पानी वाली बॉटलनोज़ डॉल्फ़िन की त्वचा की बीमारी के बारे में विस्तार से बताया गया है। अध्ययन हाल के वर्षों में लुइसियाना, मिसिसिपी, अलबामा, फ्लोरिडा और टेक्सास और ऑस्ट्रेलिया के महत्वपूर्ण हिस्सों में किया गया।

इन सभी स्थानों में पानी के खारेपन में अचानक आई भारी कमी को एक सामान्य कारण माना गया था। तटीय डॉल्फ़िन अपने समुद्री आवास में खारेपन के स्तर में आने वाले मौसमी बदलाव के आदी होते हैं, लेकिन वे मीठे पानी में नहीं रहते हैं। लगातार बढ़ते तूफान और चक्रवात जैसे तूफान की घटनाओं के खतरे, खासकर यदि वे सूखे की स्थिति से पहले होते हैं, बारिश की अधिक मात्रा को जमा कर लेते हैं जो तटीय जल को मीठे पानी में बदल देते हैं। मीठे पानी की स्थिति महीनों तक बनी रह सकती है, विशेष रूप से तीव्र तूफान जैसे कि हार्वे और कैटरीना के आने के बाद। बढ़ते जलवायु तापमान के साथ, जलवायु वैज्ञानिकों ने अत्यधिक तूफानों का पूर्वानुमान लगाया है, जैसे कि तूफान अधिक बार आएंगे और परिणामस्वरूप डॉल्फ़िन में और अधिक गंभीर बीमारी का प्रकोप बढ़ेगा।

ड्यूगन ने कहा विनाशकारी त्वचा रोग तूफान कैटरीना के बाद से डॉल्फ़िन की मोत का कारण बन रहा है, हम अंत में समस्या को समझने की कोशिश कर रहे हैं। मेक्सिको की खाड़ी में इस साल रिकॉर्ड तूफान के मौसम और जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में अधिक तीव्र तूफान आए। हमें इस तरह के डॉल्फिन को मारने वाले विनाशकारी प्रकोपों के अधिक दिखाई देने की आशंका है। यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है।

अध्ययन में बताया गया है कि ऑस्ट्रेलिया में इस तरह के प्रकोप दिखाई दिए हैं, जो दक्षिण-पूर्व ऑस्ट्रेलिया में दुर्लभ और खतरे में आए बुररुन डॉल्फिन को प्रभावित कर रहा है। प्रभावित जानवरों की जांच और उपचार के लिए आवश्यक जानकारी पेशेवरों को दी जा सकती है। वर्तमान में त्वचा रोग से प्रभावित डॉल्फ़िन लंबे समय तक जीवित रह पाएंगे इस विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता है।

2005 में आए तूफान कैटरीना के बाद न्यू ऑरलियन्स के पास लगभग 40 बॉटलनोज़ डॉल्फ़िन पर शोधकर्ताओं ने घातक त्वचा रोग को पहली बार देखा था।

ड्यूगिनन ने कहा चूंकि समुद्र के तापमान में गर्माहट से दुनिया भर के समुद्री स्तनधारियों पर प्रभाव पड़ता है, इसलिए इस अध्ययन के निष्कर्ष तटीय क्षेत्रों में रहने वाली डॉल्फिनों की बीमारी के प्रकोप को बेहतर ढ़ग से समझने में मदद करेगा। जिनका पहले से ही रहने की जगहों का नुकसान और उनमें आ रही कमी से ये खतरे में हैं। हम आशा करते हैं कि यह घातक बीमारी को कम करने के लिए पहला कदम होगा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए महासागर में रहने वाले जीव इसका मुकाबला करेंगे।

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