59 फीसदी भारतीयों ने माना दुनिया में चल रहा है जलवायु आपातकाल: सर्वे

सर्वेक्षण में शामिल 50 से भी ज्यादा देशों के दो-तिहाई लोगों ने इस समय को जलवायु आपातकाल माना है
59 फीसदी भारतीयों ने माना दुनिया में चल रहा है जलवायु आपातकाल: सर्वे
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यूएनडीपी और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड द्वारा किए सर्वेक्षण ‘द पीपल्स क्लाइमेट वोट’ में 59 फीसदी भारतीयों ने माना है कि जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक आपातकाल है। यह जलवायु परिवर्तन को लेकर दुनिया भर में किया गया अब तक का सबसे बड़ा सर्वे है। हालांकि यह सर्वे कोरोना काल में किया गया है, इसके बावजूद 64 फीसदी लोगों ने जलवायु परिवर्तन को इस समय का सबसे बड़ा संकट माना है। इसमें सबसे ज्यादा यूनाइटेड किंगडम और इटली के 81 फीसदी, जापान के 79 फीसदी, फ्रांस और जर्मनी के 77 फीसदी, दक्षिण अफ्रीका के 76 फीसदी, कनाडा के 75 फीसदी, फ़िलीपीन्स के 74 फीसदी, रूस, अमेरिका, अल्जीरिया के 65, ब्राजील 64, नाइजीरिया, पाकिस्तान, थाईलैंड के 60 फीसदी जबकि भारत और पोलैंड के 59 फीसदी लोग शामिल हैं। 

इस सर्वे में 50 देशों के करीब 12 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था। यह देश दुनिया की 56 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह एक बार फिर इस बात को स्पष्ट कर देता है कि लोग जलवायु परिवर्तन को लेकर कितना सजग हैं और वो चाहते हैं कि इस पर तुरंत कार्रवाई  होनी चाहिए। जिन लोगों ने इस वक्त को जलवायु आपातकाल माना हैं उनमें से 59 फीसदी का मानना है कि इसपर तुरंत ध्यान देने की जरुरत है, वहीं 20 फीसदी का मानना है कि अभी कोई जल्दी नहीं है, जबकि 10 फीसदी का मानना है कि पहले ही इसपर जरुरी कार्रवाही की जा रही है। 

यदि उम्र के लिहाज से लोगों के मंतव्य को देखें तो छोटी उम्र के युवा जलवायु परिवर्तन को एक बड़ा संकट मानते हैं। 14 से 18 वर्ष के 69 फीसदी युवा मानते हैं कि जो समय चल रहा है वो जलवायु आपातकाल है। इसी तरह 18 से 35 वर्ष के 65 फीसदी युवा इस बात से सहमत हैं। वहीं 36 से 59 वर्ष के 66 फीसदी लोग इसे आपातकाल मानते हैं जबकि 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के केवल 58 फीसदी लोग उनसे इत्तेफाक रखते हैं। 

यदि आय के आधार पर देखें तो सबसे ज्यादा छोटे द्वीप समूह वाले देशों के 74 फीसदी लोगों ने जलवायु आपातकाल माना है, इसके बाद अमीर देशों के 72 फीसदी, मध्यम आय वाले देशों के 62 फीसदी जबकि सबसे आखिर में सबसे कम विकसित देशों के 58 फीसदी लोग इस बात को मानते हैं। इसी तरह यदि स्थान विशेष के आधार पर देखें तो पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 72 फीसदी, पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया के 65 फीसदी, अरब 64 फीसदी, दक्षिण अमेरिका और कैरेबियन के 63 फीसदी, एशिया पैसिफिक के 63 और अफ्रीका के केवल 61 फीसदी इसे जलवायु आपातकाल मानते हैं। 

44 फीसदी भारतीयों ने माना जलवायु परिवर्तन से निपटने में अक्षय ऊर्जा है महत्वपूर्ण 

इस सर्वे में लोगों से जलवायु आपातकाल और उससे निपटने के लिए ऊर्जा, अर्थव्यवस्था, परिवहन, कृषि और खाद्य, लोगों और प्रकृति के विषय में क्या नीतियां उनकी सरकार को बनानी चाहिए, उससे जुड़े सवाल पूछे गए थे।

जिसमें जंगल और जमीन के संरक्षण को इससे निपटने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना है, 54 फीसदी लोग इससे सहमत है। एशिया पैसिफिक के 48 फीसदी लोगों ने भी सबसे ज्यादा इसी पर जोर दिया है। इसी तरह 53 फीसदी लोगों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में अक्षय ऊर्जा को महत्व दिया है। 52 फीसदी ने जलवायु के अनुकूल कृषि और 50 फीसदी ने पर्यावरण अनुकूल व्यापार और नौकरियों पर बल दिया है। भारत की बात करें तो यहां के 44 फीसदी ने अक्षय ऊर्जा, 43 फीसदी ने पर्यावरण के अनुकूल व्यापार और नौकरियों, 44 फीसदी ने जंगलों और भूमि के संरक्षण साथ ही जलवायु अनुकूल कृषि को महत्वपूर्ण माना है।

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