जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में भीषण बादल फटने से 38 की मौत; 100 घायल, 200 लापता

मृतकों में ज़्यादातर तीर्थयात्री थे, जो किश्तवाड़ शहर से 70 किलोमीटर दूर स्थित मचैल माता मंदिर जा रहे थे या वहां से लौट रहे थे
बादल फटने के बाद का चिशोती गांव। यह तस्वीर बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रविंदर रैना ने अपने एक्स हैंडल पर साझा की।
बादल फटने के बाद का चिशोती गांव। यह तस्वीर बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रविंदर रैना ने अपने एक्स हैंडल पर साझा की।
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जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के पड्डर आथोली उपमंडल के दूरस्थ चिशोती गांव में 14 अगस्त, 2025 को एक भीषण बादल फटने की घटना हुई। इस आपदा में अब तक लगभग 38 लोगों के मारे जाने की खबर है, जिनमें से कई तीर्थयात्री थे जो या तो किश्तवाड़ शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित मचैल माता मंदिर जा रहे थे या वहां से लौट रहे थे।

यह बादल फटने की घटना 14 अगस्त को सुबह करीब 11 बजे हुई, जिससे चिशोती नाला और दासनी नाला में बाढ़ आ गई। दोनों नालों का पानी उस गांव में घुस गया जो यात्रा के लिए बेस कैंप के रूप में काम करता है।

कई घर क्षतिग्रस्त हो गए जबकि वाहनों के ऊपर भारी मलबा जमा हो गया।

किश्तवाड़ के वकील शेख नासिर ने डाउन टू अर्थ को बताया कि स्थानीय लोगों की मदद से शव निकाले जा रहे हैं। अब तक 30 से अधिक शव बरामद हो चुके हैं और लगभग 200 लोग, जिनमें से ज्यादातर मचैल माता यात्रा के तीर्थयात्री हैं, अभी भी लापता हैं। करीब 100 घायलों को पड्डर के उप जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। करीब 20 गंभीर रूप से घायल लोगों को आगे के इलाज के लिए किश्तवाड़ के जिला अस्पताल भेजा गया है।

हालांकि देर शाम मीडिया रिपोर्ट्स में मरने वालों की संख्या 38 बताई गई।

वार्षिक मचैल माता यात्रा 2025 आधिकारिक तौर पर 25 जुलाई से शुरू हुई थी और इसे 5 सितंबर को समाप्त होना था। लेकिन बादल फटने की घटना के कारण प्रशासन ने यात्रा को निलंबित कर दिया है।

हर रोज हजारों तीर्थयात्री पड्डर आथोली आते हैं और फिर वाहनों से चाशोती पहुंचते हैं। कुछ साल पहले तक तीर्थयात्री मचैल माता मंदिर तक पैदल ही यात्रा करते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में सड़कें बनाई गई हैं, जिससे वाहन चिशोती तक पहुंच सकते हैं जो पड्डर आथोली से लगभग 25 किलोमीटर दूर है।

चिशोती से मचैल माता मंदिर की दूरी लगभग 15 किलोमीटर है, जिसे तीर्थयात्री पैदल तय करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से प्रशासन मंदिर तक पूरी तरह सड़क बनाने पर भी काम कर रहा है।

मचैल माता यात्रा, जम्मू-कश्मीर के जम्मू डिवीज़न की सबसे महत्वपूर्ण तीर्थयात्राओं में से एक है। यह यात्रा पिछले पांच-छह वर्षों में काफी लोकप्रिय हुई है। पिछले साल लगभग 3 लाख तीर्थयात्रियों ने यहां दर्शन किए थे। इस साल की यात्रा ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और श्रद्धालुओं की संख्या 5 लाख तक पहुंचने की संभावना है।

श्रीनगर स्थित पर्यावरणीय संगठन एनवायरमेंटल पॉलिसी ग्रुप के संयोजक फैज बख्शी ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सड़क निर्माण, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ को नियंत्रित करना जरूरी है, क्योंकि इसके परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं। चिशोती में जो हमने देखा है, वह सिर्फ एक चेतावनी है, आने वाले वर्षों में यह और भी खतरनाक हो सकता है। प्रशासन को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।”

इस बीच, प्रशासन प्रभावित लोगों की मदद के लिए सभी कदम उठा रहा है।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया, “मैंने अभी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात करके किश्तवाड़ क्षेत्र में विकसित हो रही स्थिति की जानकारी दी है। खबरें गंभीर हैं और बादल फटने से प्रभावित क्षेत्र से सत्यापित जानकारी धीमी गति से आ रही है। बचाव कार्यों के लिए जम्मू-कश्मीर के भीतर और बाहर से सभी संभावित संसाधन जुटाए जा रहे हैं। मैं चैनलों या समाचार एजेंसियों से बात नहीं करूंगा। सरकार समय-समय पर जानकारी साझा करेगी।”

जम्मू के पुलिस महानिरीक्षक के एक्स हैंडल पर पोस्ट किया गया, “मौजूदा मौसम की स्थिति और हाल ही में बादल फटने से आई बाढ़ (विशेषकर चिशोती व पड्डर में) के कारण किश्तवाड़ पुलिस और जिला प्रशासन ने जिले भर में कंट्रोल रूम और हेल्प डेस्क सक्रिय कर दिए हैं… नागरिकों और तीर्थयात्रियों से अपील है कि सतर्क रहें, जोखिम भरे क्षेत्रों से बचें और सहायता के लिए हेल्पलाइन से संपर्क करें।”

इसी बीच, जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा 14 अगस्त की शाम को जारी एक अलर्ट में कहा गया, “अगले 3-5 घंटों में अनंतनाग, बांदीपोरा, बारामूला, डोडा, गांदरबल, जम्मू, किश्तवाड़, कुपवाड़ा, पुंछ, राजौरी, रामबन, रियासी, उधमपुर और बडगाम में भारी बारिश होने की संभावना है। बादल फटनेे, बाढ़ आने व भूस्खलन की आशंका है।”

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