अंटार्कटिका में 332 नई पनडुब्बी घाटियों की पहचान, जलवायु परिवर्तन को समझने में होगी मददगार

पनडुब्बी घाटियां महासागरीय गतिशीलता में निर्णायक भूमिका निभाती हैं, वे तट से तलछट व पोषक तत्वों को गहरे क्षेत्रों तक पहुंचाती हैं, उथले और गहरे पानी का मिलन कराती हैं तथा जैव विविधता से भरपूर आवास बनाती हैं।
बर्फ वाले हिस्सों के पास का ठंडा, घना पानी गहरे महासागर में प्रवाहित होता है और अंटार्कटिक तल जल के रूप में जाना जाता है, जो महासागर  के प्रसार और वैश्विक जलवायु में एक मुख्य भूमिका निभाता है।
बर्फ वाले हिस्सों के पास का ठंडा, घना पानी गहरे महासागर में प्रवाहित होता है और अंटार्कटिक तल जल के रूप में जाना जाता है, जो महासागर के प्रसार और वैश्विक जलवायु में एक मुख्य भूमिका निभाता है।फोटो साभार: आईस्टॉक
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पनडुब्बी घाटियां महासागर तल पर पाए जाने वाले सबसे शानदार और आकर्षक संरचनाओं में से हैं। दुनिया भर में वैज्ञानिकों को अभी भी उनके कई रहस्यों को उजागर करना बाकी है, विशेष रूप से वे जो पृथ्वी के सबसे दूरस्थ इलाकों जैसे उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों में स्थित हैं।

पनडुब्बी घाटियां महाद्वीपों के ढलानों के समुद्र तल में काटी गई खड़ी घाटियां हैं, जो अक्सर महाद्वीप के तलों तक फैली होती हैं।

अब एक नए शोध में अंटार्कटिका की पनडुब्बी घाटियों की अब तक की सबसे विस्तृत सूची तैयार की गई है, जिसमें कुल 332 घाटी नेटवर्क की पहचान की गई है, कुछ मामलों में जिनकी गहराई 4,000 मीटर से अधिक है।

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बर्फ वाले हिस्सों के पास का ठंडा, घना पानी गहरे महासागर में प्रवाहित होता है और अंटार्कटिक तल जल के रूप में जाना जाता है, जो महासागर  के प्रसार और वैश्विक जलवायु में एक मुख्य भूमिका निभाता है।

यह सूची जिसमें पिछले अध्ययनों की तुलना में पांच गुना अधिक घाटियों की पहचान की गई है, बार्सिलोना विश्वविद्यालय के पृथ्वी विज्ञान संकाय में समुद्री भूविज्ञान पर आधारित शोधकर्ता के द्वारा तैयार की गई है।

मरीन जियोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि अंटार्कटिक पनडुब्बी घाटियों का समुद्री प्रसार, बर्फ की परतों के पतले होने और दुनिया में जलवायु परिवर्तन पर पहले की तुलना में अधिक गहरा प्रभाव हो सकता है, विशेष रूप से अमुंडसेन सागर और पूर्वी अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में।

जब चट्टानें कमजोर या ढह जाती हैं, तो महाद्वीप की बर्फ तेजी से समुद्र में प्रवाहित होती है और दुनिया भर में समुद्र के स्तर में वृद्धि में सीधे योगदान देती है।
जब चट्टानें कमजोर या ढह जाती हैं, तो महाद्वीप की बर्फ तेजी से समुद्र में प्रवाहित होती है और दुनिया भर में समुद्र के स्तर में वृद्धि में सीधे योगदान देती है।स्रोत: मरीन जियोलॉजी पत्रिका

समुद्र तल में घाटियों का निर्माण करने वाली पनडुब्बी घाटियां महासागरीय गतिशीलता में निर्णायक भूमिका निभाती हैं। वे तट से तलछट व पोषक तत्वों को गहरे क्षेत्रों तक पहुंचाती हैं, उथले और गहरे पानी का मिलन कराती हैं तथा जैव विविधता से भरपूर आवास बनाती हैं।

वैज्ञानिकों ने दुनिया भर में लगभग 10,000 पनडुब्बी घाटियों की पहचान की है, क्योंकि पृथ्वी के केवल 27 फीसदी समुद्र तल का ही उच्च रिज़ॉल्यूशन में मानचित्रण किया गया है, इसलिए इनकी वास्तविक संख्या इससे भी अधिक होने की संभावना है। अपने पारिस्थितिक समुद्र विज्ञान संबंधी और भू-वैज्ञानिक महत्व के बावजूद, पनडुब्बी घाटियां, विशेष रूप से ध्रुवीय क्षेत्रों में, अभी भी कम खोजी गई हैं।

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पनडुब्बी घाटियां और जलवायु परिवर्तन

शानदार भौगोलिक घटनाएं होने के साथ-साथ, अंटार्कटिक घाटियां गहरे महासागर और महाद्वीप के हिस्सों के बीच पानी की अदलाबदली को भी सुगम बनाती हैं, जिससे बर्फ वाले हिस्सों के पास बना ठंडा, घना पानी गहरे महासागर में प्रवाहित होता है और अंटार्कटिक तल जल के रूप में जाना जाता है, जो महासागर के प्रसार और वैश्विक जलवायु में एक मुख्य भूमिका निभाता है

इसके अलावा ये घाटियां खुले समुद्र से गर्म जल, जैसे कि वृत्ताकार गहरे जल, को तटरेखा की ओर ले जाती हैं। यह प्रक्रिया उन मुख्य प्रक्रियाओं में से एक है जो तैरती हुई बर्फ की चट्टानों के पिघलने और पतले होने के लिए जिम्मेवार है, जो स्वयं अंटार्कटिका के आंतरिक हिमनदों की स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। जब चट्टानें कमजोर या ढह जाती हैं, तो महाद्वीप की बर्फ तेजी से समुद्र में प्रवाहित होती है और दुनिया भर में समुद्र के स्तर में वृद्धि में सीधे योगदान देती है।

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बर्फ वाले हिस्सों के पास का ठंडा, घना पानी गहरे महासागर में प्रवाहित होता है और अंटार्कटिक तल जल के रूप में जाना जाता है, जो महासागर  के प्रसार और वैश्विक जलवायु में एक मुख्य भूमिका निभाता है।

अध्ययन इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) के द्वारा उपयोग किए जाने वाले वर्तमान महासागरीय प्रसार मॉडल, जलराशियों और घाटियों जैसी जटिल स्थलाकृतियों के बीच स्थानीय स्तर पर होने वाली भौतिक प्रक्रियाओं को सटीक रूप से दोबारा सामने नहीं लाते हैं।

ये प्रक्रियाएं जिनमें धारा प्रवाह, ऊर्ध्वाधर मिश्रण और गहरे जल का वायुसंचार शामिल हैं, अंटार्कटिका के तल जल जैसे ठंडे, सघन जलराशियों के निर्माण और बदलाव के लिए आवश्यक हैं। इन स्थानीय तंत्रों को छोड़ देने से मॉडलों की महासागर और जलवायु गतिशीलता में बदलावों का पूर्वानुमान लगाने की क्षमता सीमित हो जाती है।

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बर्फ वाले हिस्सों के पास का ठंडा, घना पानी गहरे महासागर में प्रवाहित होता है और अंटार्कटिक तल जल के रूप में जाना जाता है, जो महासागर  के प्रसार और वैश्विक जलवायु में एक मुख्य भूमिका निभाता है।

इसलिए शोधकर्ताओं ने मानचित्र में शामिल न किए गए इलाकों में उच्च-रिजॉल्यूशन बैथिमेट्रिक आंकड़े एकत्र करने के काम को जारी रखने की सलाह दी है, जिससे निश्चित रूप से नई घाटियां सामने आएंगी, रिमोट सेंसरों के माध्यम से इनके आंकड़े एकत्र किए जाने चाहिए। इन प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए जलवायु मॉडल में सुधार करते रहना जरूरी है जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के सटीक अनुमानों से उनकी विश्वसनीयता बढ़ जाएगी।

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