इंसान के लिए खाना एक ऐसी जरुरत है जिसके बिना वो नहीं जी सकता। पर सोचिये क्या हो अगर भरपेट भोजन ही न मिले। दुनिया भर के करोड़ों लोगों के लिए कड़वी पर यही सच्चाई है। हाल ही में ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फूड क्राइसेस द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 2020 में खाद्य संकट का सामना कर रहे लोगों की संख्या दोगुनी हो सकती है जिसके लिए कोरोना वायरस को एक बड़ी वजह माना जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार 2019 में करीब 13.5 करोड़ लोग भुखमरी का सामना कर रहे थे। जिनके 2020 में बढ़कर 26.5 करोड़ हो जाने की आशंका है। जिसके लिए कोरोनावायरस और उसके कारण उपजे आर्थिक संकट को जिम्मेदार माना जा रहा है। इसके अनुसार साल के अंत तक केवल कोरोनावायरस के चलते करीब 13 करोड़ लोग भूखे सोने को मजबूर हो जाएंगे। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन, विश्व खाद्य कार्यक्रम सहित दुनिया भर की 14 अन्य एजेंसियों द्वारा मिलकर तैयार की गयी है।
रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल 2019 में, करीब 13.5 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार थे। जिनमें से करीब 7.7 करोड़ लोग उन देशों से सम्बन्ध रखते हैं, जहां संघर्ष की स्थिति थी। जबकि 2.4 करोड़ लोग आर्थिक संकट की वजह से और करीब 3.4 करोड़ लोग जलवायु परिवर्तन के चलते खाली पेट सोने को मजबूर थे। रिपोर्ट के अनुसार यमन और दक्षिणी सूडान में स्थिति सबसे बदतर हैं जहां की आधी से भी ज्यादा आबादी खाद्य संकट से जूझ रही है। इसके अनुसार यमन में करीब 53 फीसदी, दक्षिण सूडान में 61 फीसदी, सीरिया में 36 फीसदी, अफ़ग़ानिस्तान में 37, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो में 26, वेनेजुएला में 32, इथियोपिया में 27, सूडान में 14, हैती में 35 और उत्तरी नाइजीरिया में करीब 5 फीसदी आबादी गंभीर खाद्य संकट से जूझ रही है। रिपोर्ट के अनुसार अफ्रीका में स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है। आंकड़ों के अनुसार अफ्रीका में 7.3 करोड़ और मध्य पूर्व और एशिया के करीब 4.3 करोड़ लोग भुखमरी का शिकार हैं।
गौरतलब है कि कोरोनावायरस के पहले भी कई देश भुखमरी का सामना कर रहे थे। यमन में जहां बढ़ते संघर्ष के चलते लाखों लोग भुखमरी का सामना कर रहे थे। वहीँ पूर्वी अफ्रीका के कई देशों में टिड्डियों के चलते आकाल जैसी स्थिति बन गयी है। हालांकि दुनिया के कई हिस्सों में इस बार अच्छी फसल होने की सम्भावना है। पर इसके बावजूद राजनैतिक अस्थिरता, संघर्ष, कीटों और अब इस महामारी के चलते स्थिति बद से बदतर हो सकती है। ऊपर से जलवायु परिवर्तन की मार इस संकट को और बढ़ा देगी।
भारत में खाद्य सुरक्षा की जो स्थिति है उस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि 117 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2019 में भारत को 102 वां स्थान दिया गया था। जिसके अनुसार भारत उन 45 देशों में शामिल है जहां खाद्य सुरक्षा की स्थिति सबसे बदतर है। इस इंडेक्स में भारत को अपने सबसे करीबी पडोसी पाकिस्तान (94), बांग्लादेश (88) और श्रीलंका (66) से भी नीचे रखा गया था। ग्लोबल हंगर इंडेक्स के अनुसार, भारत में 2010 के बाद से लगातार बच्चों में कमजोरी (वेस्टिंग) बढ़ रही है । 2010 में पांच साल तक के बच्चों में कमजोरी की दर 16.5 प्रतिशत थी, लेकिन 2019 में यह बढ़ कर 20.8 फीसदी हो गई है। द स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड, 2019 रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 194 करोड़ लोग कुपोषित हैं। साथ ही 15 से 49 साल की करीब 51.4 फीसदी महिलाएं खून की कमी का शिकार हैं।
वहीं स्वयं भारत सरकार द्वारा किये गए राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (2016 - 18) के अनुसार देश में करीब 94 फीसदी नौनिहालों को पोषक आहार नहीं मिलता है। जबकि करीब 58 फीसदी आज भी भरपेट नहीं सोते हैं। करीब 79 फीसदी नौनिहालों के भोजन में विविधता की कमी है। 93.6 फीसदी नौनिहालों (6-23 माह) को पोषक आहार नहीं मिलता है। वहीँ यूनिसेफ द्वारा जारी रिपोर्ट 'द स्टेट ऑफ द वर्ल्डस चिल्ड्रन 2019' के अनुसार देश में 50 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। ऐसे में इस बात की पूरी सम्भावना है कि कोरोनावायरस और जलवायु परिवर्तन की मार देश में हालत को और बदतर बना देगी।
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ आरिफ हुसैन ने बताया कि "पहले से ही अनगिनत समस्याओं को झेल रहे लाखों लोगों पर इस महामारी के विनाशकारी प्रभाव पड़ेंगे। दुनिया भर में करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिन्हें तभी खाने को मिलता है जब वो काम करते हैं और मजदूरी पाते हैं। ऐसे में इस महामारी से उपजा लॉकडाउन और आर्थिक संकट उन लोगों के घरों को पूरी तरह बर्बाद कर देगा। यह ऐसा समय है जिसमें इस तबाही से बचने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा।"