स्मिथसोनियन के नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के शोधकर्ताओं के एक नए विश्लेषण से पता चलता है कि हेलिकोनिया प्रजाति के लगभग आधे पौधे, जो अपने चमकीले फूलों के लिए लोकप्रिय उष्णकटिबंधीय समूह है, ये अब विलुप्ति के कगार पर है।
शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि इनमें से कई खतरे में पड़े पौधे संरक्षित क्षेत्रों या वनस्पति उद्यानों में नहीं पाए जाते हैं, जिससे इन आकर्षक, बागवानी के लिहाज से महत्वपूर्ण और पारिस्थितिकी के लिहाज से अहम वनस्पतियों को बचाने के लिए अतिरिक्त संरक्षण की जरूरत है।
नया शोध हेलिकोनिया को पौधों के एक चुनिंदा समूह में रखता है, जिसका विस्तृत, व्यापक संरक्षण मूल्यांकन जारी है। परंपरागत रूप से इस तरह के प्रयास के लिए कई घंटों तक जमीनी स्तर पर काम किए जाने की जरूरत पड़ती है।
नया प्रोजेक्ट वनस्पतिशास्त्रियों द्वारा किए गए पिछले काम पर निर्भर था। शोधकर्ताओं ने उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में हेलिकोनिया के पौधों को इकट्ठा करने में दशकों बिताए। इन प्रयासों से हजारों सूखे नमूने और आंकड़े हासिल किए गए, जिन्हें दुनिया भर के हर्बेरियम में रखा गया है।
उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के प्रतीक हैं हेलिकोनिया
हेलिकोनिया वंश में केले से संबंधित उष्णकटिबंधीय पौधों की 187 प्रजातियां शामिल हैं। जबकि हेलिकोनिया की कुछ प्रजातियां पश्चिमी प्रशांत द्वीपों की मूल निवासी हैं, अधिकांश उष्णकटिबंधीय मध्य और दक्षिण अमेरिका में वर्षा वनों में पाई जाती हैं।
यहां पौधे विभिन्न जीवों के लिए महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी संसाधन हैं, जिनमें चमगादड़ और हमिंगबर्ड शामिल हैं, जो कई हेलिकोनिया प्रजातियों के लिए अहम परागणकर्ता हैं। पौधे पक्षियों को लुभाने के लिए पराग का उत्पादन करते हैं, जो फिर पराग को अन्य फूलों तक फैलाते हैं।
हेलिकोनिया पौधों को आवास के नुकसान होने, आक्रामक प्रजातियों और जलवायु परिवर्तन से भारी खतरा है। अब तक, जंगलों में हेलिकोनिया की आबादी के बारे में बहुत कम जानकारी थी। केवल कुछ हेलिकोनिया पौधों का संरक्षण मूल्यांकन किया गया है और करिश्माई वनस्पतियों की केवल 21 प्रजातियां वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में सूचीबद्ध हैं।
हर्बेरियम लेबल और स्थानीय सॉफ़्टवेयर
शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं को यह जानने में दिलचस्पी थी कि हेलिकोनिया की आबादी जंगल में कैसे पनप रही है। शोधकर्ताओं ने पिछले अध्ययन से डेटासेट का उपयोग किया और लगभग 10,000 हेलिकोनिया नमूनों का विश्लेषण किया।
शोधकर्ता के द्वारा एकत्र किए गए इन सूखे पौधों में से कई को संग्रहालय के हर्बेरियम में रखा गया था और उन्हें कागज की बड़ी सीटों पर लेबल के साथ चिपकाया गया था, जिसमें प्रत्येक पौधे को कब और कहां से एकत्र किया गया था, इसकी अहम जानकारी दी गई थी।
शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया कि कुछ क्षेत्रों में पौधों की बहुतायत जैसे संख्या की गणना करने के लिए जियोस्पेशियल कंजर्वेशन असेसमेंट टूल (जियोकैट) नामक एक स्थानीय सॉफ्टवेयर टूल का उपयोग किया।
फिर इस बात की जांच की गई कि इन क्षेत्रों में मानवजनित गतिविधियों ने उपग्रह इमेजरी जैसे संसाधनों का उपयोग करके वन कवरेज को कैसे प्रभावित किया है। उन्होंने यह भी पता लगाया कि हेलिकोनिया की कौन सी आबादी संरक्षित क्षेत्रों में पाई जाती है और कौन सी प्रजातियां वनस्पति उद्यानों में मौजूद हैं।
संकटग्रस्त पौधे
शोध में कहा गया है कि 87 हेलिकोनिया प्रजातियां (वंश का 47 फीसदी) विलुप्त होने के कगार पर है, जो पूरे समूह का लगभग आधा हिस्सा है। चिंताजनक बात यह है कि इनमें से एक को छोड़कर सभी खतरे में पड़ी प्रजातियां जंगल में केवल कुछ संरक्षित क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
इन संकटग्रस्त प्रजातियों की अपेक्षाकृत कम संख्या उनके मूल क्षेत्रों के बाहर मौजूद है। शोधकर्ताओं ने पाया कि वनस्पति उद्यानों में उगने वाले हेलिकोनिया के अधिकांश नमूने आईयूसीएन की रेड लिस्ट में सबसे कम संरक्षण चिंता वाली प्रजातियों में शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने 45 हेलिकोनिया प्रजातियों की सूची बनाई है जिन्हें वे अतिरिक्त सुरक्षा के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता देने को कहते हैं। इनमें वे प्रजातियां शामिल हैं जो संरक्षित क्षेत्रों से बाहर रहती हैं और वनस्पति उद्यानों में अच्छी तरह से शामिल नहीं हैं।
इसमें उन प्रजातियों पर भी प्रकाश डाला गया है जो नाजुक वातावरण में पनपने के लिए अनुकूलित हैं, जैसे कि अधिक ऊंचाई वाले बादल वन जो विशेष रूप से बदलाव के लिए कुछ ज्यादा ही संवेदनशील होते हैं।
जर्नल प्लांट्स, पीपल, प्लैनेट में प्रकाशित शोध के मुताबिक, आज तक सभी पौधों की प्रजातियों में से 20 फीसदी से भी कम का संरक्षण के लिए मूल्यांकन किया गया है। कुछ समूहों की संकटग्रस्त स्थिति को समझे बिना, आगे का रास्ता तय करना कठिन है।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि अब जब हम हेलिकोनिया की 187 प्रजातियों में से हर एक की संरक्षण स्थिति जानते हैं, तो हम उन्हें कैसे संरक्षित किया जाए, इस बारे में एक सुसंगत योजना बना सकते हैं।