गोनोरिया का बढ़ता प्रतिरोध: 2022–2024 में सेफ्ट्रियाक्सोन और सेफिक्सिम के प्रति प्रतिरोध तेजी से बढ़ा, सिप्रोफ्लोक्सासिन 95 फीसदी प्रतिरोधी।
कई देशों में फैलाव: उच्च प्रतिरोध वाले मामले कंबोडिया और वियतनाम में सबसे ज्यादा, कुल 12 देशों से 3,615 मामले रिपोर्ट हुए।
अधिकांश मामले पुरुषों में (विशेषकर पुरुष जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं), 27 साल औसत आयु, 42 फीसदी में हालिया कई यौन साझेदार।
वैश्विक निगरानी और अनुसंधान: 2024 में लगभग 3,000 नमूनों का जीनोमिक अनुक्रमण, नई दवाओं (जोलिफ्लोडासिन, गेपोटिडासिन) और रोकथाम रणनीतियों का अध्ययन।
चुनौतियां और समाधान: सीमित फंडिंग, अधूरी रिपोर्टिंग, महिलाओं और अतिरिक्त जननांग साइटों के आंकड़ों में कमी, डब्ल्यूएचओ ने बेहतर निगरानी, नई दवाओं और जागरूकता पर जोर दिया।
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि गोनोरिया, एक सामान्य यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई), अब तेजी से एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो रहा है। यह जानकारी डब्ल्यूएचओ के एनहांस्ड गोनोकोकल एंटीमाइक्रोबियल सुर्वेइल्लांसेस प्रोग्राम (ईजीएएसपी) के नवीनतम आंकड़ों पर आधारित है, जो दुनिया भर में दवा प्रतिरोधी गोनोरिया की निगरानी करता है।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि गोनोरिया का बढ़ता प्रतिरोध सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। संगठन ने सभी देशों से आग्रह किया है कि वे इस संक्रमण की निगरानी बढ़ाएं, बेहतर जांच प्रणाली विकसित करें और नई दवाओं तक समान पहुंच सुनिश्चित करें। यह चेतावनी विश्व एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) जागरूकता सप्ताह के अवसर पर आई है, जो दुनिया भर में दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत को सामने लाता है।
गोनोरिया और दवा प्रतिरोध के आंकड़े (2022-2024)
गोनोरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली मुख्य एंटीबायोटिक दवाओं सेफ्ट्रियाक्सोन और सेफिक्सिम के प्रति प्रतिरोध 2022 से 2024 के बीच तेजी से बढ़ा है।
सेफ्ट्रियाक्सोन: 0.8 फीसदी से 5 फीसदी
सेफिक्सिम: 1.7 फीसदी से 11 फीसदी
एजिथ्रोमाइसिन: 4 फीसदी (स्थिर)
सिप्रोफ्लोक्सासिन: 95 फीसदी
प्रतिरोधी मामलों की संख्या बढ़ते देशों में कंबोडिया और वियतनाम सबसे आगे हैं। यह दर्शाता है कि गोनोरिया की दवा प्रतिरोधी किस्में अब कई देशों में फैल रही हैं।
संक्रमित देशों और मामलों का विवरण
2024 में 12 देशों ने ईजीएएसपी के तहत आंकड़े प्रदान किए, जो 2022 में केवल चार देशों से बढ़कर काफी हुआ है। इन देशों में ब्राजील, कंबोडिया, भारत, इंडोनेशिया, मलावी, फिलीपींस, कतर, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, थाईलैंड, युगांडा और वियतनाम शामिल हैं। इन देशों ने कुल 3,615 गोनोरिया मामलों की जानकारी दी।
मामलों का क्षेत्रीय वितरण
पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र: 52 फीसदी (फिलीपींस 28 फीसदी, वियतनाम 12 फीसदी, कंबोडिया 9 फीसदी, इंडोनेशिया 3 फीसदी)
अफ्रीकी क्षेत्र: 28 फीसदी
दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र: 13 फीसदी (थाईलैंड)
पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र: 4 फीसदी (कतर)
अमेरिका क्षेत्र: 2 फीसदी (ब्राजील)
रोगियों की पहचान
मध्य आयु: 27 वर्ष (12 से 94 वर्ष के बीच)
20 फीसदी पुरुष जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं
42 फीसदी ने पिछले 30 दिनों में एक से अधिक यौन साझेदार होने की सूचना दी
8 फीसदी ने हाल ही में एंटीबायोटिक दवा का सेवन किया
19 फीसदी ने हाल ही में यात्रा की
दुनिया भर में निगरानी और शोध के प्रयास
डब्ल्यूएचओ ने 2024 में जीनोमिक निगरानी को बढ़ाया, जिसमें आठ देशों से लगभग 3,000 नमूनों का विश्लेषण किया गया। इसके अलावा नई दवाओं जैसे जोलिफ्लोडासिन और गेपोटिडासिन पर भी अध्ययन चल रहे हैं। टेट्रासाइक्लिन प्रतिरोध और डॉक्सीसाइक्लिन आधारित रोकथाम (पर भी अध्ययन किए जा रहे हैं।
ईजीएएसपी के दायरे में वृद्धि भी हुई है
नए देश शामिल: ब्राजील, कोटे डी’आईवोअर, कतर
भारत 2025 से राष्ट्रीय एचआईवी और यौन संचारित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत आंकड़ों की रिपोर्टिंग शुरू करेगा
इन प्रयासों का उद्देश्य है कि दवा प्रतिरोधी गोनोरिया के फैलाव को रोकने के लिए सटीक डेटा और वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध हो।
मुख्य चुनौतियां और डब्ल्यूएचओ की सिफारिशें
क्या हैं चुनौतियां?
पर्याप्त वित्त पोषण की कमी
रिपोर्टिंग का अधूरा होना
महिलाओं और अतिरिक्त जननांग साइटों से आंकड़ों का अभाव
डब्ल्यूएचओ की सिफारिशें
राष्ट्रीय निगरानी प्रणालियों को मजबूत करना
जांच और परीक्षण क्षमता बढ़ाना
नई दवाओं और उपचार तक समान पहुंच सुनिश्चित करना
गोनोरिया निगरानी को राष्ट्रीय एसआईटी कार्यक्रमों में शामिल करना
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि गोनोरिया की बढ़ती दवा प्रतिरोधी किस्मों पर नजर रखना और नई रणनीतियां अपनाना सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
गोनोरिया अब सिर्फ एक सामान्य यौन संचारित रोग नहीं रह गया है, बल्कि यह दवा प्रतिरोधी संक्रमणों की गंभीर समस्या बनता जा रहा है। इसके खिलाफ वैश्विक स्तर पर निगरानी, शोध और नई उपचार नीतियां अपनाना जरूरी है। डब्ल्यूएचओ का प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि दुनिया भर के देश समय पर जानकारी साझा करें और मरीजों तक सुरक्षित और प्रभावी उपचार पहुंच सके।
यदि हम समय रहते कदम उठाएं, तो गोनोरिया और अन्य दवा प्रतिरोधी संक्रमणों को नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सार्वजनिक जागरूकता, स्वास्थ्य प्रणाली की मजबूती और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है।