अर्थव्यवस्था

बजट 2025-26: सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए शिप-ब्रेकिंग को मिला प्रोत्साहन

कुशल सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए, सीएसई से जुड़े विशेषज्ञ ने सुझाव दिया है कि सरकार को शिप ब्रेकिंग और रीसाइक्लिंग को स्क्रैपेज नीति से जोड़ना चाहिए

DTE Staff, Lalit Maurya

वैश्विक जहाज निर्माण बाजार में भारत की मौजूदगी को बढ़ावा देने के लिए आम बजट 2025-26 में कई प्रोत्साहनों की पेशकश की गई। इसमें जहाजों की रेंज, श्रेणियों और क्षमता का विस्तार करने के लिए जहाज निर्माण से जुड़े क्लस्टरों को बेहतर बनाना शामिल है। इसके तहत नए शिपबिल्डिंग क्लस्टर बनाए जाएंगे।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी, 2025 को अपना लगातार आठवां बजट पेश करते हुए कहा कि उद्योग को विकसित करने के लिए नई तकनीक, बेहतर बुनियादी ढांचे, कौशल विकास, प्रशिक्षण और आधारभूत संरचना पर जोर दिया जाएगा।

नई नीति से अतिरिक्त बुनियादी सुविधाओं, कौशल और प्रौद्योगिकी के प्रावधान में सुविधा होगी।

लागत सम्बन्धी नुकसान को सीमित करने के लिए, सीतारमण ने कहा कि जहाज निर्माण से जुड़ी वित्तीय सहायता नीति को नया रूप दिया जाएगा। गौरतलब है कि इस नीति के तहत भारत सरकार 2016 से जहाज निर्माण उद्योग को वित्तीय सहायता दे रही है। इसका उद्देश्य उद्योग को वैश्विक बाजार में उबरने और अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में मदद करना है।

सीतारमण के मुताबिक शिपब्रेकिंग (पुराने जहाजों की रिसाइक्लिंग) को बढ़ावा देने के लिए ‘शिपब्रेकिंग क्रेडिट नोट’ योजना शुरू की जाएगी। इसका लक्ष्य सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देना है।

शुरू की जाएगी ‘शिपब्रेकिंग क्रेडिट नोट’ योजना

इस नई योजना के तहत भारतीय यार्ड में तोड़े जाने वाले बेड़े के मालिकों को स्क्रैप मूल्य का 40 फीसदी क्रेडिट नोट मिलेगा। इस क्रेडिट का उपयोग नए भारतीय जहाज खरीदने में किया जा सकता है। इससे उन्हें नया जहाज बनाने की लागत को कम करने में मदद मिलेगी।

सीतारमण ने अपने आम बजट 2025-26 के भाषण के दौरान कहा, "यह देखते हुए कि चूंकि जहाज निर्माण में लंबा समय लगता है, मैं जहाज निर्माण के लिए कच्चे माल, भागों और घटकों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को दी जा रही छूट को अगले दस वर्षों तक जारी रखने का प्रस्ताव रखती हूं।" उन्होंने अपने बजट भाषण के दौरान जहाज-तोड़ने को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए समान व्यवस्था का प्रस्ताव रखा है।

गौरतलब है कि इस साल जहाज निर्माण तथा अनुसंधान एवं विकास के लिए बजट को 2025-26 में बढ़ाकर 365 करोड़ रुपए कर दिया गया है, जो 2023-24 में 99.12 करोड़ रुपए था।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के कार्यक्रम निदेशक निवित यादव ने भारत में शिप ब्रेकिंग उद्योग को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रयासों का स्वागत किया है। जहाजों को रीसाइकिल करने से बड़ी मात्रा में स्टील और अन्य धातुएं मिलती हैं, जिससे खनन की मांग कम होती है।

हालांकि, साथ ही यादव ने चेताया है कि शिप ब्रेकिंग का काम बेहद खतरनाक होता है। शिप ब्रेकिंग के दौरान हानिकारक कचरा पैदा होता है। उदाहरण के लिए  जहाज को काटने की प्रक्रिया के दौरान श्रमिक एस्बेस्टस और भारी धातुओं जैसे जहरीले पदार्थों के संपर्क में आते हैं।

इसी तरह जहाज के तेल टैंकों की सफाई और खाली करते समय बहुत सारा तेल और अपशिष्ट जल भी लीक हो जाता है, जिससे तटीय क्षेत्रों को नुकसान पहुंचता है। हालांकि उनके मुताबिक भारत में पर्यावरण की रक्षा और श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून और नियम मौजूद हैं, लेकिन शिप ब्रेकिंग के तरीके अभी भी प्रदूषण का कारण बन रहे हैं और बेहद कुशल नहीं हैं।

अधिक कुशल सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए, यादव सुझाव देते हैं कि सरकार को शिप ब्रेकिंग और रीसाइक्लिंग को स्क्रैपेज नीति से जोड़ना चाहिए। इस तरह, जहाज के स्क्रैप का इस्तेमाल स्टील उद्योगों में किया जा सकता है, जिससे स्क्रैप का बेहतर इस्तेमाल होगा और भारत के स्टील उद्योग में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी।