दिल्ली में लगातार दूसरे साल पीएम 2.5 का स्तर बढ़ा, सीएसई का आकलन

अब तक किए गए उपायों से दिल्ली की हवा में सुधार की प्रक्रिया में गिरावट आई
दिल्ली में 2023 के मुकाबले 2024 में पीएम 2.5 में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि रिकॉर्ड की गई।  फोटो: आईस्टॉक
दिल्ली में 2023 के मुकाबले 2024 में पीएम 2.5 में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि रिकॉर्ड की गई। फोटो: आईस्टॉकPRABHAS ROY
Published on

देश की राजधानी दिल्ली लगातार प्रदूषित हो रही है और साल दर साल प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। पर्यावरण पर काम कर रही देश की अग्रणी गैर लाभकारी संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की हवा में पार्टिकुलेट मैटर 2.5 (पीएम2.5) के स्तर में 2022 के बाद से लगातार दूसरे वर्ष लगातार वृद्धि दर्ज की गई है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने साल 2024 में दिल्ली की हवा में पीएम2.5 के स्तर का विश्लेषण किया और इसकी तुलना पिछले सालों से की।

सीएसई के आकलन में पाया गया कि दिल्ली में  2024 में सालाना पीएम2.5 की सांद्रता 104.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गई, जो 2023 के स्तर से 3.4 प्रतिशत अधिक है। साथ ही, यह नेशनल एंबिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड (40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से लगभग ढाई गुना अधिक है।  

एक प्रेस बयान में सीएसई की कार्यकारी निदेशक (रिसर्च एंड एडवोकेसी) अनुपमा रॉयचौधरी ने कहा, “इसे केवल मौसम विज्ञान संबंधी कारकों के कारण हुई वार्षिक असमानता नहीं माना जा सकता। पीएम2.5 में लगातार वृद्धि यह दर्शाती है कि क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ रहा है। पिछले कुछ सालों के दौरान दिल्ली ने कई कदम उठाए थे और उसके चलते हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ था, लेकिन अब इसमें लगातार गिरावट हो रही है। प्रदूषण के स्थानीय एवं क्षेत्रीय स्रोत जैसे वाहन, उद्योग, कचरे का खुले में जलाना, ठोस ईंधन का उपयोग, निर्माण कार्यों और धूल की वजह से इन सुधारों में गिरावट आई है।”

अब तक दिल्ली में प्रदूषण का बड़ा कारण पंजाब-हरियाणा के किसानों द्वारा पराली जलाने को माना जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। अनुमिता के मुताबिक दिल्ली अब पराली जलाने के बहाने के पीछे छिप नहीं सकती। अक्टूबर-दिसंबर 2024 के दौरान पराली जलाने की घटनाओं में 71.2 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद, सर्दियों में प्रदूषण का स्तर ऊंचा बना रहा, जिसका असर सालाना रुझान पर दिखाई दिया।”

सीएसई, अर्बन लैब की कार्यक्रम अधिकारी शरणजीत कौर ने कहा, “1 अक्टूबर से 31 दिसंबर के दौरान सर्दी के मौसम में दिल्ली के निगरानी स्टेशनों के रियल टाइम डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि दिल्ली में पिछले साल की तुलना में सर्दियों की शुरुआती अवधि में प्रदूषण के उच्चतम स्तर में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं, दिल्लीवालों ने इस दौरान गंभीर या इससे भी खराब वायु गुणवत्ता वाले 17  दिनों का सामना किया। इस दौरान दो दिन स्मॉग की स्थिति रही इस दौरान स्मॉग की तीव्रता क्रमशः 371 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 324 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही। इसने पीएम2.5 के औसत स्तर को ऊंचा बनाए रखा।”

अपने आकलन में सीएसई ने पाया कि 2024 की सर्दियों में प्रदूषण स्तर में 26 प्रतिशत वृद्धि हुई। 2024 में सर्दियों का औसत पीएम2.5 स्तर 178.3 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर दर्ज किया गया। इस सर्दी के दौरान चरम प्रदूषण का स्तर 732 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पहुंच गए, जो पिछले वर्ष के 580 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर के शिखर से 26 प्रतिशत अधिक था।

सीएसई के शोधकर्ताओं का कहना है कि 2024 का यह आकलन बढ़ते वायु प्रदूषण के खतरों और पिछले कार्यों से हुए वायु गुणवत्ता सुधार के नुकसान के बारे में सख्त चेतावनी है। दिल्ली की हवा में सुधार के लिए दीर्घकालिक व सतत उपाय करने होंगे, ताकि पूरे वर्ष के प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित किया जा सके।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in