पराली जलाने में उत्तर प्रदेश ने पंजाब को पीछे छोड़ा, 60 प्रतिशत अधिक जली

इस साल पंजाब में अब तक 415 पराली में आग की घटनाएं हुईं जबकि उत्तर प्रदेश में 660 घटनाएं सामने आईं
हरियाणा व पंजाब में पराली जलाने की घटना बढ़ रही हैं। फाइल फोटो: विकास चौधरी
हरियाणा व पंजाब में पराली जलाने की घटना बढ़ रही हैं। फाइल फोटो: विकास चौधरी
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सारांश
  • आंकड़े बताते हैं, पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं

  • उत्तर प्रदेश में इन घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। राज्य में पराली में आग की घटनाएं 15 सितंबर से 21 अक्टूबर 2025 के बीच 660 दर्ज हुई हैं

  • पंजाब में पराली में आग की 415 घटनाएं हुई हैं जो पिछले छह वर्षों का सबसे न्यूनतम आंकड़ा है

  • राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है, लेकिन वास्तविकता में उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं अधिक हो रही हैं

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। हवा की गति में ठहराव, पटाखों के धुएं और पराली में आग को इस प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। दिल्ली के राजनीतिक गलियारों मुख्य रूप से सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल आम आदमी पार्टी के बीच इस मुद्दे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है।

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने आरोप लगाया है कि पंजाब की सरकार किसानों को पराली जलाने के लिए उकसा रही है ताकि इस पराली से होने वाले प्रदूषणप्रदूषण का असर दिल्ली पर हो। वहीं आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने प्रदूषण का डाटा छुपाने का आरोप लगाया है।

दोनों राजनीतिक दलों के आरोपों से अलग अगर हम पराली में आग की घटनाओं के आंकड़ों को देखें तो 15 सितंबर से 21 अक्टूबर 2025 तक छह राज्यों- पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में पराली में आग की कुल 1,729 घटनाएं दर्ज की गईं है। इस अवधि में पंजाब में पराली में आग की 415 घटनाएं हुई हैं जो पिछले छह वर्षों का सबसे न्यूनतम आंकड़ा है।  

नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोईकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (सीआरईएएमएस) के 21 अक्टूबर के बुलेटिन के अनुसार, पंजाब में 15 सिंतबर से 21 अक्टूबर 2024 के बीच की अवधि में 1,510 आग की घटनाएं, 2023 में 1,764 आग की घटनाएं, 2022 में 3,114 आग की घटनाएं, 2021 में 4,327 आग की घटनाएं और 2020 में 10,791 पराली में आग की घटनाएं दर्ज की गई थीं। अगर 2020 से 2025 की इस अवधि की तुलना करें तो पंजाब में करीब 96 प्रतिशत पराली में आग की घटनाओं में कमी आई है।

पंजाब के अलावा दूसरे धान के बड़े उत्पादक राज्य हरियाणा में भी इसी तरह की प्रवृत्ति है। हरियाणा में 15 सितंबर से 21 अक्टूबर के बीच पराली में आग की 55 घटनाएं दर्ज की गई हैं। इस अवधि में 2024 में हरियाणा में 655, साल 2023 में 689, साल 2022 में 771, साल 2021 में 1,367 और साल 2020 में 1,326 पराली में आग की घटनाएं दर्ज की गई थीं।

हालांकि दिल्ली के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की स्थिति उलट है। यहां पराली में आग की घटनाएं बढ़ रही हैं। 2025 में यहां सर्वाधिक पराली में आग की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

सीआरईएएमएस के बुलेटिन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 660 पराली में आग की घटनाएं 15 सितंबर से 21 अक्टूबर 2025 के बीच दर्ज हुई हैं। साल 2020 के बीच राज्य का यह दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। 2024 में इस अवधि के दौरान 723 पराली में आग की घटनाएं दर्ज की गई थीं।

बुलेटिन के अनुसार, पंजाब के 21 जिलों में पराली में आग की घटनाएं दर्ज की गईं जिनमें सबसे अधिक 136 घटनाएं तरनतारण और 120 घटनाएं अकेले अमृतसर की हैं। हरियाणा के 14 जिलों में आग की घटनाएं हुई हैं जिनमें सर्वाधिक 15 घटनाएं जींद जिले की हैं। 

उत्तर प्रदेश के 58 जिलों में आग की घटनाएं सैटेलाइट के जरिए रिपोर्ट की गई हैं। इसमें मथुरा, बाराबंकी, पीलीभीत, शाहजहांपुर, अलीगढ़ और फतेहपुर सबसे आगे हैं।

छह राज्यों में 21 अक्टूबर को 268 पराली में आग की घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें से 62 घटनाएं पंजाब, 4 घटनाएं हरियाणा, 103 घटनाएं उत्तर प्रदेश, 41 घटनाएं राजस्थान और 58 घटनाएं मध्य प्रदेश की हैं।  

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