

वायु प्रदूषण कम करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत 130 शहरों में ठोस कार्ययोजनाएं लागू की गई।
जल जीवन मिशन से 81 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण घरों को नल से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराया गया।
जल संरक्षण हेतु जल शक्ति अभियान के अंतर्गत वर्षा जल संचयन और भूजल रिचार्ज पर विशेष जोर दिया गया।
वनाग्नि रोकथाम के लिए उपग्रह आधारित अलर्ट, सामुदायिक भागीदारी और आधुनिक अग्निशमन उपकरणों का उपयोग बढ़ाया गया।
पर्यावरणीय सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए विकास परियोजनाओं के लिए ईआईए प्रक्रिया में वैज्ञानिक और पारदर्शी सुधार किए गए।
संसद का शीतकालीन सत्र का अंतिम दौर जारी है, वहीं आज, लोकसभा व राज्यसभा में वायु प्रदूषण, पेयजल, जल संरक्षण, वनाग्नि और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से संबंधित नीतियों, योजनाओं को लेकर सवाल उठाए गए, जिनका जवाब विभिन्न मंत्रालयों के द्वारा दिया गया।
वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें
देश में वायु प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। सदन में इसको लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्य सभा में बताया कि मंत्रालय के पास केवल वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों के लिए कोई निर्णायक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, क्योंकि इसके प्रभाव कई कारणों पर निर्भर करते हैं।
फिर भी, प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। जनवरी 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया, जिसका उद्देश्य प्रदूषित शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करना है। इसके तहत 24 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 130 शहरों में कार्ययोजनाएं लागू की गई हैं। नागरिक जागरूकता, प्रदूषण स्रोतों पर नियंत्रण और स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देना प्रमुख कदम हैं।
डूंगरी बांध की वजह से विस्थापन
सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में कहा कि राजस्थान के सवाई माधोपुर-करौली क्षेत्र में प्रस्तावित डूंगरी बांध से कुछ गांवों के आंशिक रूप से प्रभावित होने के आसार हैं। शुरुआती आकलन के अनुसार 16 गांवों की आबादी का 10 प्रतिशत से अधिक हिस्सा प्रभावित हो सकता है।
यह परियोजना संशोधित पार्वती–कालीसिंध–चंबल लिंक परियोजना का हिस्सा है। मंत्री ने कहा कि परियोजना की ऊंचाई को प्रभावित क्षेत्र कम करने के लिए संशोधित किया गया है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के अनुमोदन के बाद ही भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और मुआवजे की प्रक्रिया शुरू होगी। पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव आकलन भी अनुमोदन के बाद पूरा किया जाएगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति
ग्रामीण इलाकों में पानी की आपूर्ति को लेकर सदन में उठे एक प्रश्न के उत्तर में आज, जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने लोकसभा में बताया कि ग्रामीण भारत में सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है। जल जीवन मिशन के तहत हर ग्रामीण परिवार को नल से जल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
मंत्री ने कहा कि अगस्त 2019 में मिशन की शुरुआत के समय केवल 16.72 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल जल था, जो अब बढ़कर 81 प्रतिशत से अधिक हो गया है। पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बीआईएस मानकों को अपनाया गया है और जल परीक्षण प्रयोगशालाओं को मजबूत किया गया है। राज्यों को तकनीकी और वित्तीय सहायता भी दी जा रही है।
पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए)
सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्य सभा में जानकारी देते हुए कहा कि पर्यावरण प्रबंधन को प्रभावी बनाने के लिए समय-समय पर ईआईए नियमों में बदलाव किए जाते हैं।
कुछ परियोजनाओं को तकनीकी प्रगति और मानकीकृत प्रक्रियाओं के आधार पर ईआईए से छूट दी जाती है, लेकिन इसके साथ कड़े पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय भी लागू होते हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसी छूट सार्वजनिक परामर्श और विशेषज्ञों की समीक्षा के बाद ही दी जाती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों द्वारा निगरानी सुनिश्चित की जाती है। जिससे पर्यावरण संरक्षण और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है।
वनाग्नि की रोकथाम
देश में जंगलों में बढ़ती आग की घटनाओं को लेकर सदन में प्रश्न पूछा गया, जिसके उत्तर में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्य सभा में कहा कि भारत में वनाग्नि एक बार-बार होने वाली समस्या है, जो जलवायु परिवर्तन से और गंभीर हो रही है। मंत्रालय वन सर्वेक्षण संस्थान के माध्यम से उपग्रह आधारित अलर्ट जारी करता है।
राज्यों को वनाग्नि रोकथाम और प्रबंधन योजना के तहत वित्तीय सहायता भी दी जाती है। सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिए संयुक्त वन प्रबंधन समितियों को जोड़ा गया है। इसके अलावा, फायर लाइनों का निर्माण और अग्निशमन उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
वायु प्रदूषण और फेफड़ों की बीमारियां
सदन में सवालों का सिलसिला जारी रहा, एक अन्य सवाल के जवाब में आज, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने राज्य सभा में कहा कि वायु प्रदूषण श्वसन रोगों का एक प्रमुख कारण है, हालांकि सीधे संबंध के निर्णायक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
दिल्ली-एनसीआर में स्थिति सुधारने के लिए मंत्रालय ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) का गठन किया है। इसके तहत सख्त उत्सर्जन मानक और ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू किया गया है। स्वास्थ्य जागरूकता, स्वच्छ ईंधन और निगरानी तंत्र को मजबूत किया गया है।
सौर आधारित जल योजनाएं
सदन में आज उठे एक प्रश्न के उत्तर में, जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने लोकसभा में बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति को टिकाऊ बनाने के लिए सौर ऊर्जा आधारित जल योजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने बताया जल जीवन मिशन के तहत दूरदराज और पहाड़ी इलाकों में सौर पंपों का उपयोग किया जा रहा है।
इससे बिजली पर निर्भरता कम होती है और नियमित जल आपूर्ति सुनिश्चित होती है। योजना की निगरानी के लिए डैशबोर्ड, जियो-टैगिंग और तीसरे पक्ष द्वारा निरीक्षण की व्यवस्था की गई है।
जल संरक्षण की पहल
जल संरक्षण को लेकर उठाए गए एक सवाल के जवाब में आज, जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने लोकसभा में कहा कि जल संरक्षण को लंबी अवधि तक बनाए रखने के लिए मंत्रालय द्वारा जल शक्ति अभियान: कैच द रेन चलाया जा रहा है।
इस अभियान में बारिश के पानी का संचयन, पारंपरिक जल स्रोतों का पुनरुद्धार और भूजल रिचार्ज पर जोर दिया गया है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और दादरा एवं नगर हवेली में हजारों जल संरक्षण कार्य पूरे किए गए हैं। सामुदायिक भागीदारी और ऑनलाइन निगरानी से अभियान को मजबूती मिली है।