
मुंबई की 62 वर्षीय घरेलू सहायिका सीमा पाटिल अपने काम के लिए प्रभादेवी स्थित अपने घर से बांद्रा तक रोजाना साढ़े तीन किलोमीटर आती-जाती हैं। बस से यात्रा करने के कारण यह यात्रा सामान्यतया लगभग 40 मिनट में पूरी हो जाती है।
सीमा को घर से बस स्टेशन तक की दूरी पैदल तय करनी होती है और फिर वहां से अपने काम पर जाने के लिए सीधी बस मिल जाती है, लेकिन उन्हें यह बस हफ्ते में केवल सात दिन ही सीधी मिल पाती है।
माह के शेष दिनों में दादर में बस बदलनी पड़ती है। ऐसे में घर से निकल कर कार्य स्थल तक पहुंचने में डेढ़ से दो घंटे लग ही जाते हैं। उन्होंने डाउन टू अर्थ से कहा, "मैं पिछले 13 वर्षों से इसी तरह से अपने कार्य स्थल तक पहुंचती हूं लेकिन वहां तक पहुंचने में बहुत अधिक थक जाती हूं।"
पाटिल कहती हैं कि पिछले कुछ वर्षों में बसों के चक्कर कम हो गए हैं। ऐसे में उनका मासिक बस भाड़ा बढ़ गया है और इसके चलते उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। वह कहती हैं कि माह के सात दिन ही ऐसे होते हैं जब उन्हें सीधी बस मिल पाती है और ऐसा होने पर वह अपने पोते-पोतियों को समय दे पाती हैं और थोड़ा बहुत घर के कामों में हाथ बटाती हूं जबकि अन्य दिनों में घर के कामों को करते हुए बहुत अधिक थक जाती हूं।
उन्होंने बताया, “सुबह के समय जब मुझे समय पर पहुंचना होता है तो मैं कैब (टैक्सी) लेती हूं, इसके चलते 50 रुपए अधिक खर्चने होते हैं।” अपनी वापसी यात्रा पर सीमा कैब खर्च साझा करने के लिए अपने दोस्तों के साथ कारपूल करती हैं।
सीमा पाटिल जैसे बस नियमित बस यात्रियों की संख्या यहां लगभग 3.5 लाख है। ये यात्री परिवहन के साधन के रूप में बस का ही नियमित रूप से उपयोग करते हैं। लेकिन बेस्ट द्वारा प्रदान की जाने वाली सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में बस यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मुंबई की सड़कों पर कुल 2,603 बसें चलती हैं। अधिकारियों ने डीटीई को बताया कि बेस्ट इस साल नवंबर तक अपने बेड़े से 248 और बसें और हटा देगा। ऐसे में संकट और बढ़ जाएगा।
शहर की जीवनरेखा कही जाने वाली यहां की लोकल ट्रेन नेटवर्क भी विश्वसनीयता के मामले में बस से बहुत अधिक अलग नहीं है। 29 वर्षीय केयरटेकर आदित्य वाघमारे ठाणे के दिवा से बांद्रा तक डेढ़ घंटे की एक यात्रा करते हैं।
वह कहते हैं कि लोकल ट्रेनें कभी भी समय पर नहीं आतीं है, आमतौर पर ये कम से कम 15 मिनट देरी से ही आती हैं। बारिश के समय तो इनकी स्थिति और भी खराब हो जाती है। तब तो इन ट्रेनों का 45 मिनट की देरी चलना सामान्य बात हो जाती है।
लेकिन ट्रेन पकड़ने से पहले वह रोजाना सुबह 6.15 बजे घर से लगभग 700 मीटर की दूरी पैदल चलकर बस स्टेशन जाते हैं। वह कहते हैं कि बस कभी भी समय पर नहीं आती लेकिन नियमित रूप से देरी होने के बावजूद मैं खुद को धन्य मानता हूं यदि मैं सुबह 7.45 बजे तक काम पर पहुंच गया।
स्नातक की छात्रा निशा चोकसी कहती हैं कि अक्सर बस के लिए किया जाने वाले इंतजार का समय बस यात्रा के समय के बराबर ही होता है या इससे अधिक ही होता है।
मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) के लिए 2021 में अपडेट की गई व्यापक गतिशीलता योजना (सीएमपी) के अनुसार 2025 में मुंबई की आबादी 2,69,12,000 होने का अनुमान है और इनमें से कम से कम 75.6 लाख लोग आवाजाही के लिए लोकल ट्रेन का उपयोग करते हैं।
2017 को आधार वर्ष मानते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि बस परिवहन का हिस्सा 2005 में 26.3 प्रतिशत से घटकर 2017 में 20.3 प्रतिशत हो गया था। इसमें 2040 तक और भी गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है। यह गिरावट 9 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
शहर की एक बड़ी आबादी अपने कार्य स्थल तक पहुंचने के लिए लोकल परिवहन साधनों का उपयोग करती हैं। एमएमआर के अनुसार कुल यात्राओं में से 46.9 प्रतिशत पैदल यात्री हैं और इसमें 72.5 प्रतिशत यात्री स्कूली कार्यों से जुड़े हुए लोग हैं।
मुंबई शहर और मुंबई उपनगरीय जिलों से मिलकर बना ग्रेटर मुंबई गंभीर रूप से भूमि की कमी से जूझ रहा है और 458.28 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और दुनिया के प्रमुख महानगरों में से एक सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला शहर बन गया है।
6,328 वर्ग किलोमीटर में फैले एमएमआर में ग्रेटर मुंबई सहित नौ नगर निगम और इसके शहरों की नौ नगर परिषदें शामिल हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि भूमि की कमी वाले शहर में जहां सार्वजनिक परिवहन लोगों के आवागमन की जीवन रेखाएं हुआ करती हैं, हाल के दशकों में सरकारी नीतियों में निजी वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के कारण इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव देखा गया है।
सस्टेनेबल अर्बन ग्रोथ एंड मोबिलिटी स्पेशलिस्ट जोहरा मुताबन्ना का कहना है कि 1990 के दशक से (जब सड़क की भीड़भाड़ को कम करने के लिए फ्लाईओवर के निर्माण पर जोर दिया जाने लगा) निजी वाहनों की वृद्धि देखी गई है। सीएमपी 2021 के अनुसार निजी वाहन मोड यानी दोपहिया और कारों से यात्रा करने वाले दैनिक यात्रियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
एमएमआर में 2001 में कुल निजी वाहनों की संख्या 13,73,000 दर्ज की गई थी, इसमें 8,65,008 दोपहिया और 5,08,811 चार पहिया वाहन शामिल थे। 2018 में दोपहिया वाहनों की संख्या बढ़कर 47 लाख और चारपहिया वाहनों की संख्या 19.6 लाख हो गई। इस प्रकार 2018 तक 67 लाख वाहन सड़कों पर आ गए। ध्यान रहे कि अकेले 2024 में मुंबई के मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र ने कुल 29 लाख से अधिक वाहन हैं।
जोहरा मुताबन्ना का कहना है कि मुंबई जैसे उच्च घनत्व वाले आबादी वाले शहर को उच्च क्षमता वाली परिवहन प्रणाली की आवश्यकता है, लेकिन राज्य सरकार ने इसके बजाय कम क्षमता वाले परिवहन को बढ़ावा दिया है। जो भी नीतियां बनाई गई है, उनमें निजी वाहनों की अधिक खरीद को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
मुताबन्ना ने बताया कि हाल ही में तटीय सड़क, वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे से जुड़ने के लिए सांताक्रूज चेंबूर लिंक रोड पर फ्लाईओवर, बांद्रा वर्सोवा सी लिंक, बीकेसी से कुर्ला फ्लाईओवर जैसे उदाहरण सामने आए हैं।
मुताबन्ना ने बताया कि सांताक्रूज स्टेशन से दक्षिण मुंबई तक पैदल चलने में ट्रेन से लगभग 40 मिनट लगते हैं। लेकिन अब मेरे घर से यही यात्रा कार से 20 मिनट में पूरी की जा सकती है। यह मुंबई में रहने वाले व्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण लाभ बन जाता है, जिसके लिए समय कई बार पैसे से अधिक कीमती होता है।
बढ़ते वाहनों के कारण शहर में पार्किंग स्थलों की कमी हो गई है। सीएमपी ने पाया कि सड़क पर पार्किंग एक बड़ी समस्या है जो कि कुल क्षमता को कम करती है और एमएमआर के भीतर सड़कों पर महत्वपूर्ण यातायात भीड़भाड़ का कारण बनती है।
इसमें कहा गया है कि यातायात की बढ़ती मांग के कारण सड़क पर पार्किंग की सुविधा उपलब्ध क्षमता को कम कर देती है और मुख्य यातायात की आवाजाही में भी बाधा उत्पन्न करती है, जिसके परिणामस्वरूप भीड़भाड़ होती है। सड़क पर पार्किंग की अनुचित और अपर्याप्त व्यवस्था से नियमित यातायात पर भी अतिक्रमण होता है।
राज्य यातायात विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पार्किंग नीति का मसौदा तैयार करने के लिए बातचीत चल रही है। राज्य परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डीटीई को बताया कि यह चिंता वास्तविक है कि यदि पार्किंग और यातायात की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो शहर में वाहन नहीं चल पाएंगे।
उपलब्ध पार्किंग स्थलों की पहचान करने और वास्तविक आवश्यकता की पहचान करने के लिए काम शुरू हो गया है। अधिकारी ने कहा कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट की समीक्षा करने के लिए इस महीने के अंत में एक बैठक आयोजित की जाएगी और योजनाएं बनाई जाएंगी।
राज्य सरकार के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि निजी वाहनों की बढ़ती संख्या ने सड़क पर सबसे कमजोर आबादी पर दबाव डाला है। मुंबई सड़क सुरक्षा रिपोर्ट 2022 में कहा गया है कि 2022 में दोपहिया और तिपहिया वाहन सवारों (चालक और यात्री दोनों) की मृत्यु दर 49 प्रतिशत थी और पैदल चलने वालों की मृत्यु दर 44 प्रतिशत थी।
कुल 95 प्रतिशत मौतें ऐसे लोगों की हुई जो सबसे कम उपयेाग करते थे। जैसे पैदल यात्री, मोटरसाइकिल चालक, तिपहिया वाहन सवार और साइकिल चालक। उसी वर्ष सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में पैदल यात्रियों की मृत्यु दर में लगातार तीसरे वर्ष दो और तीन पहिया वाहन सवारों के मुकाबले सबसे अधिक थी।
अधिकारी ने यह भी कहा कि सरकार पार्किंग शुल्क बढ़ाने और नासिक, पुणे और सूरत जैसे पड़ोसी शहरों से आने वाले वाहनों पर भीड़भाड़ शुल्क लगाने पर विचार कर रही है जिससे वाहनों की आमद कम होगी। हालांकि वायु प्रदूषण में तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता 16 प्रतिशत वाहन प्रदूषण पीएम 2.5 है। अधिकारियों का दावा है कि सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करने के लिए बदलाव किए गए हैं। अधिकारी ने कहा कि स्थानीय ट्रेनों में डिब्बों की संख्या भी नौ से बढ़कर अब 15 हो गई है। लेकिन इन सब मामूली बदलावों से यात्रियों को कोई राहत नहीं मिली है।
रेलवे पुलिस (जीआरपी) के अनुसार जनवरी 2014 से मई 2025 के बीच अकेले 6,760 यात्री ट्रेन से गिरकर मारे गए और 14,257 घायल हुए।
शहर में आवागमन को आसान बनाने के लिए शुरू की गई तीन मेट्रो लाइनों ने मामूली मदद की है और अभी तक पूरी तरह से काम नहीं कर रही हैं। राज्य सरकार के परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर को जोड़ने वाली मेट्रो लाइन 1 पर प्रतिदिन लगभग 6 लाख छह हजार यात्री आते हैं, लेकिन चार कोचों तक सीमित होने के कारण यह यात्रियों के लिए असुविधा का कारण बनती है।
अधिकारी ने कहा कि चालू मेट्रो कनेक्टिविटी का उद्देश्य लोकल ट्रेन पर निर्भरता कम करना और यात्रियों को मेट्रो की ओर ले जाना और पूर्व से पश्चिम क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ाना है। यात्रियों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए बांद्रा और कुर्ला के बीच एक पॉड टैक्सी चलाने का भी प्रस्ताव रखा गया है। हालांकि 42 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कहा कि वे कम टिकट वाली मेट्रो का इस्तेमाल करना पसंद करेंगे।
टाउन प्लानर सुलक्षणा महाजन कहती हैं कि परिवहन अपने आप में एक जटिल मुद्दा है, जिसके कई स्तर हैं। उदाहरण के लिए बस परिवहन में क्षेत्रीय, स्कूल, संस्थागत और यात्री शामिल हैं। वे सभी अलग-अलग गति से काम करते हैं और अपने अनूठे तरीके से व्यवहार करते हैं। वह कहती हैं कि कारों के साथ भी ऐसा ही है क्योंकि इसमें कैब और निजी वाहन शामिल हैं।
साथ ही सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करने और निजी परिवहन को हतोत्साहित करने की नीति को लागू किया जाना चाहिए, जिसे परिवहन के मामले में अच्छी तरह से समझा जाता है। महाजन का कहना है कि यातायात प्रवाह परिवर्तनशील है और समय, स्थान, भीड़भाड़, यात्रियों के व्यवहार और परिवहन के साधनों के उपयोग पर निरंतर डेटा संग्रह की मांग करता है।
विभिन्न स्तरों पर राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने वाले विशेषज्ञ का कहना है कि लोगों का दबाव और व्यावसायिक हित मजबूत निर्णय लेने की राजनीतिक इच्छाशक्ति को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मुताबन्ना का कहना है कि मुंबई के साथ लाभ यह है कि लोग अभी भी सार्वजनिक परिवहन पर वापस जाने, पैदल चलने और अपने दैनिक आवागमन के लिए निजी परिवहन के बजाय अन्य परिवहन साधनों का उपयोग करने के लिए तैयार हैं। केवल विकसित देशों की तरह एक मजबूत और सुविधाजनक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली ही अत्यधिक घनी आबादी को समायोजित करने वाले भूमि की कमी वाले शहर को बचा सकती है।