भारत में आवाजाही : मसौदे में सिमटी कोयला राजधानी की मोबिलिटी, आधी रह गई रफ्तार

भारत की कोयला राजधानी धनबाद अपनी धुन में बढ़ रहा है लेकिन इस शहर की सड़कों पर चलने वालों के कदम धीमे पड़ते जा रहे हैं। शहर में करीब 10 हजार ऑटो और 2000 से ज्यादा बैट्री रिक्शा सड़को पर आवाजाही कर रहे
धनबाद के सबसे बड़े थोक बाजार रांगाटाड़ के पास चौराहे पर शेयरिंग ऑटो का जमावड़ा। फोटो : विकास चौधरी/ सीएसई
धनबाद के सबसे बड़े थोक बाजार रांगाटाड़ के पास चौराहे पर शेयरिंग ऑटो का जमावड़ा। फोटो : विकास चौधरी/ सीएसई
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भारत की कोयला राजाधानी के नाम से मशहूर धनबाद जिले के बारे में 2015 में एक मोबिलिटी सर्वे के द्वारा यह अनुमान लगाया गया था कि यदि यातायात सुधार में किसी तरह का काम नहीं किया जाता है तो 2035 तक औसत नेटवर्क गति 23.54 किलोमीटर (किमी) प्रति घंटा से घटकर 14.89 किमी प्रति घंटा तक गिर सकती है।

मालवाहक वाहनों और यात्रियों को संभालने में विफल धनबाद ने दस साल पहले ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया है। शहर में इस वक्त औसत नेटवर्क गति महज 10 से 12 किलोमीटर प्रति घंटा तक ही रह गई है। डाउन टू अर्थ ने मुख्य शहर से दस किलोमीटर दूर प्रवेश द्वारों की यात्रा करने के बाद यह परिणाम हासिल किया।

जनगणना, 2011 के मुताबिक, 15,60,394 ( कुल आबादी का 58.13%) वाले धनबाद शहर में खराब गुणवत्ता वाली संकरी सड़के और भारी वाहन आपको रेंगने पर मजबूर कर सकते हैं और इसका खामियाजा दैनिक मजदूर से लेकर नियमित कर्मचारियों तक को उठाना पड़ रहा है। दशकों से आम लोगों के लिए ऑटो रिक्शा ही शहर में सार्वजनिक यातायात का प्रमुख साधन बना हुआ है। निगम के अधिकारियों के मुताबिक शहर में करीब 10 हजार ऑटो और 2000 से ज्यादा बैट्री रिक्शा सड़को पर आवाजाही कर रहे हैं। 

"स्वास्थ्य की कोई इमरजेंसी पड़ जाए तो शायद ही यहां से कोई धनबाद के केंद्रीय चिकित्सालय जल्दी पहुंच पाएगा।" धनबाद के मुख्य शहर से करीब 12 किलोमीटर दूर बेलगड़िया में 2009 से रहने वाले बबलू सिंह की परिवहन व्यवस्था को लेकर यह मुख्य चिंता है। वह आगे कहते हैं "यहां ऑटो रिक्शा ही एकमात्र सहारा है।" 

झारखंड के अर्बन डेवलमेंट डिपार्टमेंट (यूडीडी) ने एल एंड टी इफ्रांसट्रक्चर इंजीनियरिंग लिमिटेड को धनबाद नगर निगम के लिए कंप्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (सीएमपी) बनाने का काम 22 अक्तूबर, 2014 में दिया था। इसमें यूडीडी, धनबाद नगर निगम और कंपनी के बीच त्रिपक्षीय समझौता था। 2015 में ही इस कंप्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान का अंतिम मसौदा तैयार हुआ जो सिर्फ मसौदा ही रह गया। आश्चर्यजनक यह है कि अधिकारियों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।

धनबाद जिला परिवहन अधिकारी दिवाकर सी द्विवेदी से मोबिलिटी और उससे जुड़े प्लान संबंधी सवाल पूछने पर वह जवाब देते हैं, "कंप्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान जैसे  मसौदे के बारे में  मुझे कोई जानकारी नहीं है। यह सब काम विभाग का है। मेरा काम सिर्फ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत नियम उल्लंघन करने वाले वाहनों का चालान करना है।" 

एल एंड टी का सीएमपी संबंधी फाइनल मसौदा यहां के यात्रा चरित्र को आंकड़ों में बताता है। इसके मुताबिक, शहर में सर्वाधिक यात्राएं शेयरिंग ऑटो के जरिए (38 फीसदी) की जाती हैं। इसके बाद लोग निजी दोपहिया वाहन (31 फीसदी) और नॉन-मोटराइज्ड मोड यानी पैदल और साइकिल के जरिए 28 फीसदी लोग यात्रा करते हैं। यात्राओं में कार की भागीदारी 1.9 फीसदी ही है। 

धनबाद शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर बेलगड़िया क्षेत्र में लोगों के यातायात का सहारा सिर्फ ऑटो और ई-रिक्शा है। फोटो : विकास चौधरी/सीएसई
धनबाद शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर बेलगड़िया क्षेत्र में लोगों के यातायात का सहारा सिर्फ ऑटो और ई-रिक्शा है। फोटो : विकास चौधरी/सीएसई

दैनिक मजदूर बबलू सिंह अपने परिवहन संबंधी खर्चे का हिसाब साझा करते हैं, "रोजाना 300 से 400 रुपए की  दिहाड़ी कमाने के लिए शहर में आवाजाही (मोबिलिटी) करते हैं और इस आवाजाही में वह शेयरिंग ऑटो पर करीब 50 रुपए यानी 12-15 फीसदी से ज्यादा खर्च कर देते हैं।" 

शहर की सबसे व्यस्ततम जगहों में से एक बैंक मोड़ पर काम करने वाले राजकुमार बताते हैं  "शोर और बेतरतीबी ही इस शहर का नियम है। कहीं भी गाड़ी खड़ी कर दो, कोई पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, पैदल तक चलने की कोई जगह सड़क पर नहीं बची है। सड़कों को जगह-जगह घेरे रखने वाले ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा और यह ट्रैफिक जाम ही इस शहर का नसीब है।" 

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक  शहर की मुख्य जगहें जैसे बारटांड़, हीरापुर, सरायढेला, बैंक मोड़, पुराना बाजार,  फूस बंगला, दीगवाडीह में शोर सामान्य दिनों में औद्योगिक क्षेत्र के लिए तय सामान्य मानक 75 डेसिबल (ए) दिन और रात के लिए 70 डेसिबल (ए) के मानकों से भी ज्यादा है।  इस बात की पुष्टि स्प्रिंजर नेचर लिंक में प्रकाशित शोध एसेसमेंट एंड मैपिंग ऑफ ट्रैफिक नॉइज लेवल्स इन कोल कैपिटल ऑफ इंडिया, धनबाद : इंप्लिकेशन्स फॉर नॉयज पॉल्यूशन मैनेजमेंट में भी की गई है। शोध के मुताबिक, "धनबाद में ध्वनि प्रदूषण का स्तर अनुमेय सीमाओं से अधिक है। अध्ययन दर्शाते हैं कि निगरानी किए गए 36% स्थानों पर दिन के समय औसत ध्वनि स्तर 75 डेसिबल से अधिक है, जबकि 100% स्थानों पर यह 70 डेसिबल से अधिक है, जो गंभीर यातायात जनित ध्वनि प्रदूषण की ओर संकेत करता है।"

शहर में निजी वाहनों के ट्रांसपोर्ट का काम करने वाले रवि सिंह बताते हैं पारंपरिक साइकिल अब शहर में न के बराबर है। सिर्फ कोयला ढोने वालों तक ही यह सीमित है। यदि साइकल चलाना भी चाहें तो कैसे चलाएं। वह बताते हैं कि बीच में स्वराज मजदा की कुछ मिडी बसें आई थीं, लेकिन सब बंद हो गईं।  

शहर और आस-पास की बस्तियों में कोई चूल्हा बिना कोयला के नहीं जलता। कोयले की खदानों और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल ने यहां के वातावरण को गर्म और प्रदूषित बना दिया है, लेकिन लोग इस वातावरण के अभ्यस्त हैं।  शहर में दैनिक मजदूरी का काम करने वाले किरण राम कहते हैं, "आखिर कहां चले जाएं। रोजी-रोटी का सवाल है।" 

धनबाद शहर का सबसे बड़ी थोक बाजार वाली जगह रांगाटाड़ चौक पर शहर के बाहर जाने वाली प्राइवेट बसों का जमावड़ा होता है। यहां से शहर के बाहर गोविंदपुरी जाने के लिए अभिजीत मजिला 25 मिनट से बस का इंतजार कर रहे हैं। वह बताते हैं, "अभी मेरे रूट की बस नहीं आई है। वह करीब शाम छह बजे आती है" 

अभिजीत गोविंदपुरी में एक निजी कंपनी में काम करते हैं और शहर में उनका आना-जाना लगा रहता है। वह कहते हैं कि ऑटो रिक्शा 30 रुपए लेता है जबकि यह निजी बसें 15 रुपए लेती हैं। करीब 12 किलोमीटर का सफर वह 45 मिनट में तय करेंगे। 

शहर के एक और व्यस्ततम इलाके श्रमिक चौक के पास भी 2 जून, 2025 को जाम जैसी स्थितियां बनी हुई हैं। शैलेंद्र वर्मा, अपनी दोपहिया वाहन पर बैठे हैं। बातचीत में बताते हैं कि यहां की मुख्य समस्या ट्रैफक नियमों की अवमानना है। कोई नियमों का पालन नहीं करता। 

सार्वजनिक परिवहन को लेकर वर्मा कहते हैं, बहुत दिनों से सुन रहे हैं कि शहर में चलने के लिए सरकारी बसें आएंगी लेकिन यही सोचता हूं कि अगर आ जाएंगी तो कहां खड़ी होंगी। जगह है ही नहीं। 

धनबाद के एक प्रमुख चौराहे श्रमिक चौक पर बाइक यात्री शैलेंद्र वर्मा अपनी समस्या बताते हुए , फोटो : विकास चौधरी / सीएसई
धनबाद के एक प्रमुख चौराहे श्रमिक चौक पर बाइक यात्री शैलेंद्र वर्मा अपनी समस्या बताते हुए , फोटो : विकास चौधरी / सीएसई

वह आगे कहते हैं, "मैंने 5 साल पहले साइकल चलाना छोड़ दिया क्योंकि यहां साइकल चलाना मौत को दावत देने जैसा है। मेरे घर से ऑफिस तक करीब 7 किलोमीटर की दूरी है। अब मैं बाइक से ही आवाजाही करता हूं। दस हजार की कमाई में 3 हजार तो तेल में ही फूंकना पड़ता है।"

एल एंड टी के अंतिम सीएमपी मसौदे के मुताबिक, 275 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए धनबाद जिले में नगर निगम क्षेत्र में करीब 47 फीसदी जमीन कोयला खदान के काम में आती है, जबकि 14.7 फीसदी कृषि, 36.3 फीसदी में रिहायश, 0.8 फीसदी वाटर बॉडी,, 0.5 फीसदी कॉमर्शियल, 0.7 फीसदी इंस्टीट्यूशनल और 0.2 फीसदी मिक्स्ड रेजिडेंशियल जमीन का इस्तेमाल होता है। 

यानी शहरी और आस-पास की आबादी के लिए बहुत कम क्षेत्र में  ही आवाजाही करना पड़ता था। हालांकि, शहर अब विस्तार ले रहा है। बैंक मोड़ जो धनबाद की सबसे पुरानी व्यावसायिक बाजारों में से एक है अब वहां से 7 किलोमीटर दूर शहर के बाहरी क्षेत्र में सिटी सेंटर बाजार को विकसित किया जा रहा है। 

सीएमपी मसौदे में यह अनुमान लगाया गया था कि 2035 तक यात्री किलोमीटर में तीन गुना बढोत्तरी हो सकती है। शहर में यह दिखाई पड़ रहा है। यात्री किलोमीटर में विस्तार हुआ है लेकिन सस्ती और सुलभ सरकारी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था नदारद है। 

बसें आईं लेकिन सफल नहीं हुई, मोटर चालित साइकल की बढ़ती संख्या

धनबाद में भले ही शेयरिंग ऑटो पर शहर का यातायात निर्भर है लेकिन वाहनों के पंजीकरण एक नया रूझान दे रहे हैं। मोटाराइज्ड साइकिल की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2021 से 2025 के बीच कुल 1,12,181 मोटराइज्ड साइकल >25 सीसी दर्ज किए गए।  सड़कों पर यह दिखाई नहीं पड़ीं।  हालांकि, धनबाद एक साइकल विक्रेता ने बताया कि इसका चलन दरअसल बच्चों के बीच अधिक बढ़ा है। सड़क पर पारंपरिक साइकल ही बिकती है लेकिन उसकी बिक्री ना के बराबर है। 

इसके अलावा  पांच सालों में कुल 57,335 मोटरसाइकल की संख्या पंजीकृत हुई, जो दर्शाता है कि दोपहिया वाहन अब भी परिवहन का सबसे पसंदीदा साधन बने हुए हैं। मोटर कारों की संख्या भी चिंताजनक रूप से बढ़ रही है – पाँच वर्षों में कुल 35,820 कारें पंजीकृत हुईं। यह निजी वाहनों की बढ़ती प्रवृत्ति और ट्रैफिक व प्रदूषण की संभावित चुनौतियों की ओर संकेत करता है।

सार्वजनिक परिवहन की स्थिति कमजोर बनी हुई है। उदाहरण के लिए, पांच साल में निजी बसों की कुल रजिस्ट्रेशन 233 रहा।  मैक्सी कैब (229) और मोटर कैब (937) जैसे छोटे व्यावसायिक वाहनों की संख्या भी सीमित रही है। यह दर्शाता है कि बसों जैसे बड़े सार्वजनिक परिवहन साधनों की उपलब्धता और वृद्धि नगण्य है।

ई-रिक्शा की तेज वृद्धि दर्ज हो रही है। पांच सालों (2021-2025) में कुल 6,546 ई-रिक्शा (व्यक्तिगत) और 120 ई-रिक्शा विद कार्ट पंजीकृत हुए। यह आखिरी मील कनेक्टिविटी और स्वच्छ ऊर्जा आधारित विकल्पों की ओर बढ़ते रुझान को दर्शाता है। ट्रैफिक और वायु प्रदूषण को बढ़ाने वाले मालवाहक वाहनों की संख्या भी बढ़ी है। पांच वर्षों में 8,754 वाहन पंजीकृत हुए हैं। 

वायु प्रदूषण, स्थिति चिंताजनक

10 जनवरी 2019 को भारत सरकार ने देशभर में वायु गुणवत्ता सुधारने की एक महत्त्वाकांक्षी पहल राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) को शुरू किया था। इसका मकसद 2017 को आधार वर्ष मानते हुए 2024 तक प्रमुख प्रदूषकों  पार्टिकुलेट मैटर 2.5 और पार्टिकुलेट मैटर 10 के स्तर को 20 से 30 फीसदी तक कम करना था। बाद में संशोधित प्लान में प्रदूषकों की 40 फीसदी तक की कमी की बात की गई थी। धनबाद भी देश के उन 102 नॉन-एटेटमेंट शहरों में शामिल है जहां वायु प्रदूषण बहुत ज्यादा है।

बीते वर्ष, 2024 नवंबर, में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने  लोकसभा के एक जवाब में कहा कि एनसीएपी के तहत कई शहरों में पीएम 10 में कमी आई है हालांकि, कोल वाले इलाकों में प्रदूषण अब भी बड़ी समस्या है। वहीं, निगम आयुक्त रविराज शर्मा ने दावा किया कि शहर में पर्यावरणीय सख्ती के चलते पीएम 10 में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है। 

नगर निगम ने कुछ स्थानों पर वायु प्रदूषण के डिस्पले बोर्ड लगाए हैं, हालांकि, निगम खुद मानता है कि तकनीकी कारणों से आंकड़ों का संग्रह नियमित नहीं हो पा रहा। 

सड़क नेटवर्क सुधार बेहद धीमा है। धनबाद का सबसे पुराना और प्रमुख ओवरब्रिज बैंक मोड़ ओवरब्रिज है, जिसका उद्घाटन 20 अगस्त 1972 को बिहार के तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री नरसिंह बैठा ने किया था। यह पुल शहर के हीरापुर क्षेत्र को बैंक मोड़ से जोड़ता है और धनबाद की प्रमुख लाइफलाइन के रूप में कार्य करता है।  इस वक्त इस ओवरब्रिज की मरम्मती का काम जारी है। 

2015 सीएमपी मसौदे के मुताबिक यदि सड़क नेटवर्क सुधार किया गया होता तो शहर परिवहन की गति  30.09 किमी प्रति घंटा तक पहुंच सकती थी। यह भी कयास लगाया गया था कि सार्वजनिक परिवहन में सुधार से निजी वाहन के उपयोग में से 71 से 53 फीसदी की कमी आती। हालांकि, वाहन पंजीकरण के आंकड़े बताते हैं कि ऐसा नहीं किया गया है। 

रेलवे स्टेशन के पास बसों के ठहराव की व्यवस्था, साझा ऑटो व टैक्सी के लिए अलग पिकअप पॉइंट, साइकिल ट्रैक और पैदल मार्गों का विकास, सड़कों से अतिक्रमण हटाना और हरियाली बढ़ाने जैसे काम अब भी कागजों में कैद हैं। 

नया सीएमपी विचाराधीन, प्रति किलोमीटर खर्च पर रूकी बात

नगर आयुक्त रविराज शर्मा ने डाउन टू अर्थ को बताया कि हमने एक कंसल्टेंसी से कंप्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान अगले 20 वर्षों के लिए बनवाया है। इसे राज्य के संबंधित विभाग को भेजा जा चुका है। सीएमपी मसौदे पर मंजूरी की बात चल रही है। हमने प्रति किलोमीटर 22 रुपए खर्च के हिसाब से बसों की मांग की है। जबकि सरकार के आला अधिकारी इसे 18 रुपए प्रति किलोमीटर तक घटाने के लिए कह रहे हैं। जैसे ही सीएमपी मसौदे को मंजूरी मिलेगी, टेंडर निकाले जाएंगे। 

इस नए मसौदे के तहत 32 सीटर वाली 192 बसें, जिसमें 20 फीसदी सीएनजी बसें और शेष डीजल सिटी बसों को चलाने का प्लान है। इसके अलावा धनबाद में लिलोरी के पास 18 एकड़ में इंटर स्टेट बसों को चलाने के लिए आईएसबीटी बस अड्डे के निर्माण का प्रस्ताव भी इसमें शामिल हैं। 

प्रस्ताव में कहा गया है कि 26 जरूरी रूट पर 10 से 20 मिनट के अंतराल पर बसें उपलब्ध हों और किराया 5 रुपए से लेकर 20 रुपए तक करने का प्रस्ताव है। प्रशासन ने बताया कि वह शहर में चरणबद्ध तरीके से ऑटो रिक्शा को खत्म करना चाहते हैं, हालांकि यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम है। 

एल एंड टी के मसौदा सीएमपी के मुताबिक, 2015 में धनबाद नगर निगम अध्ययन क्षेत्र में 4410 परिवारों का सर्वे किया गया था। इस आधार पर पाया गया कि  शहर में यात्रा की कुल संख्या प्रतिदिन औसतन 34,924 यात्राएं होती हैं। इसका मतलब है कि क्षेत्र के निवासी हर दिन लगभग 17.48 लाख यात्राएं करते हैं। वहीं, प्रति व्यक्ति यात्रा दर  (पीसीटीआर) औसतन 1.5 है, जिसमें वाहन आधारित पीसीटीआर (पैदल और साइकिल को छोड़कर) 1.08 है। पीसीटीआर का सामान्य अर्थ हुआ कि एक व्यक्ति  ने कितना आना-जाना किया, औसत में यह संख्या किसी के आने-जाने को 2 के बजाए 1.5 बता सकती है। 

बहरहाल धनबाद की जनता एक खस्ताहाल और बदहाल यातायात और परिवहन की मार झेल रही है। 

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