भारत में आवाजाही: हैदराबाद का शहरी डिजाइन, बस-साइकिल व पैदल यात्रियों की अनदेखी

लगातार कम होती बस सेवा, सुस्त मेट्रो और दुर्घटनाओं को न्यौता देती सड़कों के कारण हैदराबाद में रोजाना का सफर एक बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है
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हैदराबाद मेट्रो ट्रेन हैदराबाद शहर के सबसे व्यस्त क्षेत्र में से एक पंजागुट्टा सर्कल से गुजरती है। मेट्रो सेवाएं अभी भी शहर की ज़रूरतों के हिसाब से नहीं बन पाई हैं। फोटो: जी राम मोहन
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एक निजी फर्म में काम करने वाले के. नागार्जुन ने कहा, “हैदराबाद में सार्वजनिक परिवहन न तो सस्ता है और न ही तेज।” तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएसआरटीसी) की बस से अलमासगुडा कामन में अपने घर से तरनाका तक की एकतरफा यात्रा में उन्हें 160 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

वह कहते हैं, “मेरे लिए बाइक से यात्रा करना सस्ता है। अगर मैं मेट्रो लेता हूं तो मुझे निकटतम स्टेशन तक ऑटो लेने के लिए 60 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। मेट्रो नेटवर्क पर्याप्त क्षेत्रों को कवर नहीं करता है।”

 तेलंगाना सरकार ने दिसंबर 2023 में मौजूदा कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू की गई महालक्ष्मी योजना के तहत स्थानीय पहचान पत्र वाली महिलाओं के लिए बस यात्रा मुफ्त कर दी है लेकिन हर कोई खुश नहीं है। क्योंकि सरकार ने एक तरफ मुफ्त सेवा दी तो दूसरी ओर बसों की संख्या में कमी करने से भी नहीं चुके।

ऐसे में बस में यात्रा करना एक भयावह सपना से कम नहीं होता। पिछले कुछ सालों में टीएसआरटीसी बेड़े में लगातार गिरावट देखी गई है। 2014-15 में 3,811 बसें संचालित की जाती थीं लेकिन 2024-25 तक इनकी संख्या 3,042 रह गईं। यह स्थिति 2019 में महालक्ष्मी योजना की शुरुआत के बाद मांग में वृद्धि के बावजूद है, जिसने औसत बस के उपयोग को 104 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था।

इसके विपरीत 2014-15 में उपयोग करने की दर 69 प्रतिशत ही थी। राज्य के मुख्यमंत्री ने हाल ही में केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी को पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत हैदराबाद को 2,000 इलेक्ट्रिक बसें स्वीकृत करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने अतिरिक्त 800 की मांग की है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि हैदराबाद महानगर क्षेत्र को वास्तव में कितनी बसें आवंटित की जाएंगी।

यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (यूएमटीए) द्वारा 2014 में किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि बस सेवाएं शहर की परिवहन आवश्यकताओं का 42, एमएमटीएस रेल 1.5, ऑटो 8 और निजी वाहन (दोपहिया और चार पहिया वाहन) 48.5 प्रतिशत पूरा करते हैं। यूएमटीए के प्रबंध निदेशक बी जीवन बाबू ने कहा कि निजी वाहनों का उपयोग निश्चित रूप से बढ़ गया है लेकिन महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा शुरू होने के बाद से बसों में सवारियों की संख्या में वृद्धि हुई है।”

जवाहरलाल नेहरू प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (जेएनटीयू) के परिवहन इंजीनियरिंग विशेषज्ञ प्रोफेसर केएम लक्ष्मण राव ने नीति और नियोजन की विफलताओं की ओर इशारा किया।

वह कहते हैं, “शहर को भीड़भाड़ से मुक्त करने के लिए बनाई गई आउटर रिंग रोड का इस्तेमाल रियल एस्टेट विकास को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। भीड़भाड़, दुर्घटनाओं और प्रदूषण को कम करने के लिए हमें सभी रिंग और रेडियल सड़कों की गहन निगरानी की जरूरत है।”

उनका कहना है कि सबसे बड़ी चुनौती निजी वाहनों से (48.5 प्रतिशत) यातायात का प्रबंधन करना है। धीमी गति से चलने वाले यातायात से ईंधन की लागत, प्रदूषण और तनाव से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं।

वहीं दूसरी ओर हैदराबाद में सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड सोशल स्टडीज के पूर्व संकाय सदस्य सी रामचंद्रैया ने कहा कि हैदराबाद को पुरानी यातायात भीड़ से मुक्त करने के प्रयासों को गलत प्राथमिकताओं का सामना करना पड़ा है। ध्यान रहे कि मेट्रो परियोजना से प्रतिदिन 24 लाख यात्रियां अनुमान लगाया गया था, लेकिन अब यह केवल 5 लाख यात्रियों को ही संभालती है।

क्या फ्लाईओवर और रिंग रोड हैदराबाद में भीड़भाड़ का वास्तविक समाधान है? हैदराबाद अर्बन लैब के कार्यकारी निदेशक अनंत मरिंगंती ने कहा कि यातायात, भीड़भाड़ कई कारकों से प्रभावित होते हैं। उन्होंने चेतावनी दी की रिंग रोड और फ्लाईओवर को अलग-अलग बनाने से हालात और खराब हो सकते हैं।

शहर के यातायात पुलिस अधिकारियों का तर्क है कि इस मुद्दे को हल करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपनाई जा रही है। इसमें सड़क चौड़ीकरण, साझा गतिशीलता और कारपूलिंग को बढ़ावा देना, ट्रैफिक सिग्नल का अनुकूलन, अधिक कर्मियों को तैनात करना और जंक्शनों पर “फ्री लेफ्ट” मोड़ आदि बनाना शामिल है।

 पर्यावरण कार्यकर्ता डॉ. लुबना सरवत ने कहा कि बसें, कारों की तुलना में सड़क पर अधिक जगह घेरती हैं लेकिन वे बहुत अधिक लोगों को ले भी जाती हैं। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन हमें बैटरी उत्पादन और निपटान की पर्यावरणीय लागतों पर विचार करना होगा।

साथ ही बिजली का स्रोत भी मायने रखता है। साथ ही उनका कहना है कि सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे के बीच कार के उपयोग पर कर लगाने से अनावश्यक यात्राओं को हतोत्साहित किया जा सकता है बशर्ते हमारे पास विश्वसनीय सार्वजनिक परिवहन विकल्प हो।

 शहर की ट्रैफिक पुलिस के अनुसार हैदराबाद की औसत वाहन गति 23 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह कोलकाता (16.67), दिल्ली (17.37), मुंबई (18.07), बेंगलुरु (18.47) और चेन्नई (20 किमी प्रति घंटा) से अधिक है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ में अकादमिक डीन अंचला रघुपति ने कहा कि पीएम 2.5 के बढ़ते स्तर को हृदय रोग और श्वसन संबंधी समस्याओं से जोड़ा गया है। उन्होंने अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि बुजुर्ग मरीज और पांच साल से कम उम्र के बच्चे विशेष रूप से निचले श्वसन संक्रमण के प्रति संवेदनशील होते हैं।

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