
इस साल जून की शुरुआत में दिल्ली सरकार ने अपने तीन प्रमुख लैंडफिल स्थलों में से एक ओखला लैंडफिल में कचरा मुक्त भूमि पर 8,000 बांस के पौधे लगाने की एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की।
इस पहल का उद्देश्य उस जमीन को हराभरा बनाना है, जहां पहले लैंडफिल थी या अभी भी है।
ओखला लैंडफिल क्षेत्र में बंबूसा तुल्दा और बंबूसा पॉलीमोर्फा नाम की दो प्रजातियों के लगभग 8,000 बांस के पौधे लगाए जाएंगे।
इन बांसों के बीच में लेमनग्रास और खस (वेटिवर) के 8,000 और पौधे भी लगाए जाएंगे।
दिल्ली नगर निगम के अनुसार, इन पौधों की जड़ें भारी बारिश के दौरान मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करती हैं। ये पौधे भूजल में भारी धातुओं के प्रवेश को भी रोकते हैं और हवा में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाकर स्थानीय पर्यावरण को बेहतर बनाते हैं।
ओखला लैंडफिल के साथ-साथ भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल की भी बायोमाइनिंग की जा रही है।
2019 से इन तीनों लैंडफिल स्थलों की बायोमाइनिंग की जा रही है जब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने निर्देश दिया था कि पुराने कूड़े के ढेर को "एक साल के भीतर साफ किया जाए, लेकिन छह महीने के अंदर ठोस प्रगति दिखनी चाहिए।"